जन्म: 28 सितंबर, 1907, बंगा, पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान में)।
पारिवारिक पृष्ठभूमि: भगत सिंहस्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल एक सिख परिवार से संबंधित थे;
उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे।
जलियाँवाला बाग हत्याकांड: 12 वर्ष की आयु में इस हत्याकांड को देखा, जिसने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने की उनकी प्रतिज्ञा को बल दिया।
शिक्षा और क्रांतिकारी संगठन
शिक्षा: भगत सिंह ने लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित नेशनल कॉलेज, लाहौर में प्रवेश लिया, जहाँ वे क्रांतिकारी विचारों से परिचित हुए और स्वदेशी आंदोलन पर ध्यान केंद्रित किया।
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन: वर्ष 1924 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हुए, जो बाद में वर्ष 1928 में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) बन गया।
नौजवान भारत सभा: स्वतंत्रता संग्राम के लिए युवाओं को संगठित करने हेतु भगत सिंह द्वारा वर्ष 1926 में नौजवान भारत सभास्थापित की गई।
मजदूर और किसान पार्टी: वर्ष 1926 में, भगवंत सिंह, सोहन सिंह की सहायता से भगत सिंह ने मजदूर और किसान पार्टी की स्थापना की।
इस पार्टी ने पंजाब में ‘कीर्ति’ नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया, जो मजदूरों और किसानों के मुद्दों पर केंद्रित थी।
शहीद दिवस: भगत सिंह की फाँसी की तारीख, 23 मार्च, को भगत सिंह और उनके साथी क्रांतिकारियों, सुखदेव और राजगुरु को सम्मानित करने के लिए शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रमुख कार्यवाहियाँ
जे.पी. सांडर्स की हत्या: पुलिस की बर्बरता के कारण लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए वर्ष 1928 में पुलिस अधिकारी जे.पी. सांडर्स की हत्या में शामिल।
सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में बम विस्फोट: 18 अप्रैल 1929 को बी.के.दत्त के साथ मिलकर दमनकारी ब्रिटिश कानूनों के खिलाफ विरोध जताने के लिए ‘सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली’ में बम फेंका।
गिरफ्तारी और फाँसी
गिरफ्तारी: वर्ष 1929 में बम कांड में पकड़े गए और लाहौर षडयंत्र केस में हत्या का आरोप लगाया गया।
उन्हें पहली बार काकोरी कांड से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
काकोरी कांड एक सशस्त्र डकैती थी, जो उत्तर प्रदेश में घटित हुई थी।
इसका मुख्य उद्देश्य हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के लिए ब्रिटिश प्रशासन से बलपूर्वक धन प्राप्त करना था।
फाँसी: 23 मार्च, 1931 को साथी क्रांतिकारी सुखदेव और राजगुरु के साथ उन्हें भी दोषी करार दिया गया और फाँसी दे दी गई।
उन्हें सामान्य भाषा में ‘शहीद-ए-आजम’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है, सबसे महान शहीद।
साहित्यिक योगदान
मैं नास्तिक क्यों हूँ: भगत सिंह की आत्मकथा
जेल नोटबुकऔर अन्य लेखन।
विचारधाराएँ
विश्वास: मार्क्सवादी और समाजवादी विचारधाराओं की वकालत, तर्कवाद, समानता और न्याय पर ध्यान केंद्रित करना।
धर्म की आलोचना: संगठित धर्म को मानसिक और शारीरिक गुलामी के रूप में देखा गया।
भगत सिंह के प्रसिद्ध उद्धरण
“व्यक्तियों को मारना आसान है, लेकिन आप विचारों को नहीं मार सकते। महान साम्राज्य ध्वस्त हो गए, जबकि विचार बच गए।”
“क्रांति मानव जाति का एक अविभाज्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक अविनाशी जन्मसिद्ध अधिकार है।”
“जीवन का उद्देश्य अब मन को नियंत्रित करना नहीं है, बल्कि इसे सामंजस्यपूर्ण रूप से विकसित करना है।”
“बम और पिस्तौल क्रांति नहीं करते। क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।”
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