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द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (BUR)

Lokesh Pal January 06, 2025 02:59 16 0

संदर्भ

हाल ही में भारत ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) को अपनी नवीनतम द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट-4 (BUR -4) सौंपी है।

संबंधित तथ्य

  • रिपोर्ट में वर्ष 2020 के लिए राष्ट्रीय GHG सूची शामिल है एवं इसमें यह प्रस्तुत किया गया है कि भारत अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की राह पर है।

द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट 

  • UNFCCC ढाँचे के तहत, विकासशील देश जलवायु कार्रवाई की दिशा में अपने प्रयासों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बाध्य हैं। 
  • यह रिपोर्ट पेरिस जलवायु समझौते के तहत दायित्वों के हिस्से के रूप में प्रस्तुत की जाती है, जिसे द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट या BUR कहा जाता है।
  • BURs में मुख्य विशेषताएँ शामिल हैं:
    •  देश की जलवायु का एक सिंहावलोकन।
    • सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ।
    • वानिकी 
    • राष्ट्रीय ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन, उनके स्रोतों तथा प्राकृतिक अवशोषण तंत्र की एक विस्तृत सूची।
  • इसमें उत्सर्जन को कम करने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजनाओं पर महत्त्वपूर्ण अपडेट, उन कार्यों को मापने के तरीकों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए देश को प्राप्त वित्तीय, तकनीकी एवं क्षमता-निर्माण सहायता की जानकारी शामिल है।

GDP उत्सर्जन तीव्रता

  • GDP उत्सर्जन तीव्रता का तात्पर्य आर्थिक उत्पादन की प्रति इकाई GHG उत्सर्जन में कमी से है। 
    • जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा एवं जीवाश्म ईंधन से विद्युत ऊर्जा को वरीयता देना, उत्सर्जन तीव्रता को कम करने के कुछ उदाहरण हैं।

द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट-4 (BUR 4) की मुख्य विशेषताएँ

  • उत्सर्जन तीव्रता में कमी के लिए भारत की प्रतिबद्धता: भारत ने वर्ष 2030 तक अपनी GDP उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में 45% कम करने की प्रतिबद्धता जताई है।
    • BUR-4 ने प्रस्तुत किया है कि वर्ष 2005 एवं वर्ष 2020 के बीच, भारत की सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता 36% कम हो गई है।
  • GHG उत्सर्जन: BUR-4 का सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि वर्ष 2020 में, भारत का कुल GHG उत्सर्जन 2,959 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बराबर था। 
    • वानिकी क्षेत्र एवं भूमि संसाधनों द्वारा अवशोषण की गणना के बाद, देश का शुद्ध उत्सर्जन 2,437 मिलियन टन CO2 के बराबर था। 
  • कुल राष्ट्रीय उत्सर्जन: कुल राष्ट्रीय उत्सर्जन (भूमि उपयोग, भूमि-उपयोग परिवर्तन एवं वानिकी सहित) वर्ष 2019 की तुलना में 7.93% कम हो गया, हालाँकि BUR-4 के अनुसार, वर्ष 1994 के बाद से इसमें 98.34% की वृद्धि हुई है।
  • क्षेत्रवार उत्सर्जन: ऊर्जा (75.66%) > कृषि (13.72%) > औद्योगिक प्रक्रिया एवं उत्पाद उपयोग (8.06%) > अपशिष्ट (2.56%)।
  • कार्बन सिंक का उत्पादन: वन एवं वृक्ष आवरण के माध्यम से 2.29 बिलियन टन CO2 का अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाया गया है ( वर्ष 2005 से 2021)।
    • वन एवं वृक्ष आवरण: वर्तमान में देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है एवं इसमें लगातार वृद्धि हुई है।
  • कुल GHG उत्सर्जन में मुख्य योगदानकर्ता जीवाश्म ईंधन जलाने से उत्पन्न CO2 उत्सर्जन, पशुधन से मेथेन उत्सर्जन एवं बढ़ता एल्यूमीनियम तथा सीमेंट उत्पादन हैं।
  • GHG उत्सर्जन का विश्लेषण: GHG के आधार पर उत्सर्जन के विश्लेषण से पता चला कि उत्सर्जन में CO2 का योगदान 80.53% था, इसके बाद मेथेन (13.32%), नाइट्रस ऑक्साइड (5.13%) एवं अन्य का स्थान 1.02% था।
  • प्रौद्योगिकी अपनाने में बाधाएँ: भारत काफी हद तक घरेलू संसाधनों पर निर्भर है, धीमी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं बौद्धिक संपदा अधिकार जैसी बाधाएँ नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने में बाधा बन रही हैं। 

सिफारिश

  • निम्न-कार्बन विकास के लिए उन्नत तकनीक: भारत को कम-कार्बन विकास एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल होने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC) 

  •  यह ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाले GHG के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए अनुकूलन एवं शमन प्रयासों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्यों को नियंत्रित करने वाली एक प्राथमिक बहुपक्षीय संधि है।
  • हस्ताक्षर: पर्यावरण एवं विकास पर सम्मेलन में इस पर हस्ताक्षर किए गए।
  • मुख्यालय: बॉन, जर्मनी। 
  • लागू: यह 21 मार्च, 1994 को लागू हुआ।
  • फोकस: वातावरण में ग्रीनहाउस गैस (GHG) सांद्रता को उस स्तर पर स्थिर करना, जो जलवायु प्रणाली में खतरनाक मानवजनित हस्तक्षेप को रोक सके।
  • भारत में UNFCCC के लिए नोडल एजेंसी: पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC)।

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