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GST अपीलीय न्यायाधिकरण पर विधेयक (Bill on GST Appellate Tribunal)

Samsul Ansari December 23, 2023 12:16 239 0

संदर्भ 

राज्यसभा ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) अपीलीय न्यायाधिकरणों के अध्यक्ष और सदस्यों की आयु सीमा बढ़ाने के लिए विधेयक पारित किया है।

संबंधित तथ्य

  • उद्देश्य: विधेयक अन्य न्यायाधिकरणों की आयु सीमा को देखते हुए “वस्तु एवं सेवा कर (GST) अपीलीय न्यायाधिकरण” के अध्यक्ष और सदस्यों की आयु सीमा को क्रमशः 67 से बढ़ाकर 70 वर्ष और 65 से 67 वर्ष कर रहा है।
  • अन्य विधेयक: राज्यसभा ने प्रोविजनल टैक्स संग्रह विधेयक, 2023 भी पारित किया, जो प्रोविजनल टैक्स संग्रह अधिनियम, 1931 का स्थान लेगा।
    • दोनों विधेयक हाल ही में लोकसभा से पारित हुए थे।

GST अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT):

  • उद्देश्य: “वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण” GST संबंधी कानूनों में दूसरी अपील का माध्यम है तथा केंद्र सरकार और राज्यों के बीच विवाद समाधान का पहला माध्यम है।
    • प्रथम अपीलीय निकाय: केंद्रीय और राज्य GST अधिनियमों के तहत प्रदान किए गए अपीलीय प्राधिकरण।
    • GSTAT यह सुनिश्चित करेगा कि देश भर में GST संबंधी विवाद के समाधान और कार्यान्वयन में एकरूपता हो।
  • इतिहास: GSTAT पहले भी बनाया गया था, लेकिन वर्ष 2019 में मद्रास उच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया था। तब से GST से संबंधित मुकदमों के कारण उच्च न्यायालयों का बोझ बढ़ गया है।
  • दूसरी कोशिश: GSTAT को फिर से स्थापित करने के लिए हाल ही में एक विधेयक पेश किया गया था और निकायों को इस साल सितंबर में अधिसूचित किया गया था।
  • आयु संबंधी विवाद: हालाँकि, SC ने GSTAT में आयु से संबंधित विवाद का जिक्र किया, जो ट्रिब्यूनल सुधार अधिनियम, 2021 के अनुरूप नहीं था, यह अधिनियम ट्रिब्यूनल के अध्यक्षों और सदस्यों के लिए आयु सीमा क्रमशः 70 और 67 वर्ष निर्धारित करता है।
    • इस विवाद को खत्म करने वाला विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पारित हो चुका है।

लोकसभा द्वारा पारित विधेयक के साथ राज्यसभा क्या-क्या कर सकती है

  • साधारण विधेयक: यदि किसी साधारण विधेयक पर असहमति है, तो लोकसभा अध्यक्ष अनुच्छेद-108 के तहत दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकते हैं।
    • यदि दूसरा सदन विधेयक को पूरी तरह से खारिज कर देता है या छह महीने तक कोई कार्यवाही नहीं करता है, तो विधेयक कानून नहीं बन सकता है।
  • धन विधेयक: धन विधेयक के मामले में, राज्यसभा विधेयक को खारिज नहीं कर सकती है। राज्यसभा को 14 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशों के साथ या उसके बिना लोकसभा को वापस लौटाना होगा।
  • संवैधानिक विधेयक: संविधान संशोधन विधेयक के मामले में, यदि कोई विधेयक राज्यसभा द्वारा खारिज कर दिया जाता है, तो विधेयक वहीं समाप्त हो जाता है।

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