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बायो-फोर्टिफाइड आलू

Lokesh Pal August 05, 2025 02:56 11 0

संदर्भ

भारत में शीघ्र हीआयरन एनरिच्ड बायो-फोर्टिफाइड’ आलू उपलब्ध होंगे, जिसका उद्देश्य जनसामान्य के पोषण स्तर को बढ़ावा देना तथा किसानों के लिए गुणवत्ता युक्त बीजों की उपलब्धता में सुधार करना है।

बायो-फोर्टिफाइड आलू क्या है?

  • बायो-फोर्टिफाइड आलू में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्व, जैसे आयरन और जिंक, उच्च स्तर पर होते हैं, जो मुख्य खाद्य पदार्थों के माध्यम से जन स्वास्थ्य में सुधार करते हैं।
    • अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) द्वारा विकसित बायो-फोर्टिफाइड आलू पारंपरिक पादप प्रजनन तकनीकों का परिणाम हैं, न कि आनुवंशिक अभियांत्रिकी (जैव-इंजीनियरिंग) का।
  • विकसितकर्ता: इन किस्मों का विकास पेरू स्थित अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) द्वारा किया गया है एवं इन्हें भारतीय संस्थानों का समर्थन प्राप्त है।
  • लाभ
    • आयरन  की कमी से होने वाले रोग एनीमिया जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को दूर करने में सहायक।
    • बेहतर गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध होंगे, जिनमें कम रासायनिक सामग्री की आवश्यकता हो।
    • मध्याह्न भोजन जैसे सरकारी पोषण कार्यक्रमों में एकीकृत किया जा सकता है।

अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP)

  • अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) एक वैश्विक विकास-अनुसंधान संगठन है, जो आलू, शकरकंद और एंडियन मूल एवं कंद फसलों पर केंद्रित है।
  • स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 1971 में जड़ और कंद फसलों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के लिए की गई थी।
  • भूमिका: यह पौष्टिक भोजन तक पहुँच में सुधार, समावेशी और सतत् कृषि-व्यवसायों को बढ़ावा देने और कृषि-खाद्य प्रणालियों में जलवायु लचीलापन मजबूत करने के लिए विज्ञान-आधारित समाधान विकसित करता है।
  • मुख्यालय: लीमा, पेरू।
  • पहुँच: CIP अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के 20 से अधिक देशों में कार्यरत है।
  • भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश के आगरा में CIP-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (CSARC) की स्थापना को मंजूरी दे दी है।

खाद्य फोर्टिफिकेशन के बारे में

  • परिभाषा: खाद्य पदार्थों में आवश्यक विटामिन और खनिजों को मिलाने की वह प्रक्रिया, जिसका उद्देश्य उनके पोषण मूल्य को बढ़ाना और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को रोकना होता है।
  • विभिन्न प्रकार की फोर्टिफिकेशन तकनीकें
    • बायो-फोर्टिफिकेशन: पोषक तत्त्वों की बढ़ी हुई मात्रा वाली फसलों का उत्पादन (जैसे, ‘आयरन एनरिच्ड’ आलू, विटामिन A-समृद्ध शकरकंद)।
    • इंडस्ट्रियल फोर्टिफिकेशन: खाद्य प्रसंस्करण के दौरान मिलाए गए पोषक तत्त्व (जैसे, आयोडीन युक्त नमक, फोर्टिफाइड आटा)।
    • होम फोर्टिफिकेशन: घर में पकाए गए भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के चूर्ण का उपयोग।
  • जैव-संवर्द्धित फसलों के उल्लेखनीय उदाहरण
    • CR धान 416 (चावल): लवणता-सहिष्णु और बहु-कीट प्रतिरोधक।
    • ड्यूरम गेहूँ: सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त, जिंक (41.1 ppm), आयरन (38.5 ppm) और प्रोटीन (12%) से भरपूर।
    • अन्य: आयरन एनरिच्ड’ बाजरा, जिंक एनरिच्ड’ चावल, विटामिन-A युक्त शकरकंद और येलो कसावा (कैरोटिनॉयड-फोर्टिफिकेशन)।
  • फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों को शामिल करने की आवश्यकता
    • प्रछन्न भुखमरी का समाधान: फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ प्रछन्न भुखमरी” से निपटने में मदद करते हैं, जहाँ लोग पर्याप्त कैलोरी तो ग्रहण कर लेते हैं, लेकिन आवश्यक पोषक तत्त्वों की कमी महसूस करते हैं।
      • ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2024 में 27.3 अंकों के साथ भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर है, जो भुखमरी के गंभीर” स्तर को दर्शाता है।
    • किफायती पोषण: पोषण संवर्द्धन एक लागत-प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति है, खासकर निम्न-आय वर्ग की आबादी के लिए, जो मुख्य खाद्य पदार्थों पर निर्भर हैं।
    • कमजोर समूहों के लिए सहायता:आयरन एनरिच्ड’ आलू और विटामिन A युक्त शकरकंद जैसी पौष्टिक फसलों को स्कूल के भोजन कार्यक्रमों और मध्याह्न भोजन में शामिल किया जा सकता है, जिससे बच्चों को सीधे लाभ होगा।
  • सार्वजनिक वितरण में खाद्यान्न के उदाहरण
    • आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B-12 जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से युक्त फोर्टिफाइड चावल अब सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत वितरित किया जाता है।
    • आयोडीन युक्त नमक और आयरन-फोलिक एसिड की गोलियाँ राष्ट्रीय पोषण पहलों, जैसे एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (ICDS), मध्याह्न भोजन योजना एवं पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) का हिस्सा हैं।

आलू उत्पादन के बारे में

  • आलू (सोलनम ट्यूबरोसम) दक्षिण अमेरिका के एंडियन क्षेत्र की एक कंदयुक्त फसल है।
    • इसे 17वीं शताब्दी के आरंभ में पुर्तगाली व्यापारी भारत लाए थे और बाद में यह भारत की एक मुख्य खाद्य फसल बन गई।
  • इन्हें उनकी उच्च पोषण सामग्री, विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट, और विविध व्यंजनों के अनुकूल होने के लिए महत्त्व दिया जाता है।
  • परिस्थितियाँ: आलू ठंडी जलवायु, अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में उत्पादित होते हैं और इसके इष्टतम विकास के लिए मध्यम वर्षा और 15-20°C के बीच तापमान की आवश्यकता होती है।
  • उत्पादन रैंकिंग
    • वैश्विक: आलू उत्पादन में चीन पहले स्थान पर है, उसके बाद भारत है, जो दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
    • राष्ट्रीय: राष्ट्र स्तरीय उत्पादन में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, उसके बाद पश्चिम बंगाल और बिहार का प्रमुख स्थान है।

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