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BioE3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति

Lokesh Pal August 26, 2024 01:26 117 0

संदर्भ

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज जैव प्रौद्योगिकी विभाग के ‘उच्च प्रदर्शन वाले जैव विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए BioE3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) नीति’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

संबंधित तथ्य

  •   BioE3 नीति की मुख्य विशेषताएँ
    • विषयगत क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास तथा उद्यमिता को नवाचार संचालित समर्थन। 
    • यह जैव विनिर्माण एवं बायो-एआई हब तथा बायोफाउंड्री की स्थापना करके प्रौद्योगिकी विकास और व्यावसायीकरण में तेजी लाएगा। 
    • हरित विकास के पुनरुत्पादन जैव अर्थव्यवस्था मॉडल को प्राथमिकता देने के साथ-साथ, यह नीति भारत के कुशल कार्यबल के विस्तार की सुविधा प्रदान करेगी और रोजगार सृजन में वृद्धि करेगी।

‘नेट जीरो’ लक्ष्य

  • इसे कार्बन तटस्थता के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ यह नहीं है कि कोई देश अपने उत्सर्जन को शून्य पर लाएगा।
  • बल्कि, यह एक ऐसा देश है, जिसमें किसी देश के उत्सर्जन की भरपाई वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों के अवशोषण और हटाने से होती है।
  • इसके अलावा, वनों जैसे अधिक कार्बन सिंक बनाकर उत्सर्जन के अवशोषण को बढ़ाया जा सकता है।
  • जबकि वातावरण से गैसों को हटाने के लिए कार्बन कैप्चर और स्टोरेज जैसी भविष्य की तकनीकों की आवश्यकता होती है।
  • 70 से अधिक देशों ने सदी के मध्य तक अर्थात् वर्ष 2050 तक नेट जीरो बनने का दावा किया है।
    • भारत ने COP-26 शिखर सम्मेलन में वर्ष 2070 तक अपने उत्सर्जन को शुद्ध शून्य करने का वादा किया है।

    • यह नीति सरकार की ‘नेट जीरो’ कार्बन अर्थव्यवस्था और ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ जैसी पहलों को और मजबूत करेगी तथा ‘चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था’ को बढ़ावा देकर भारत को ‘हरित विकास’ के मार्ग पर आगे बढ़ने में गति प्रदान करेगी। 
    • BioE3 नीति भविष्य को बढ़ावा देगी और आगे बढ़ाएगी, जो वैश्विक चुनौतियों के लिए अधिक स्थायी, अभिनव और जवाबी प्रतिक्रिया से संबंधित है 
      • यह नीति विकसित भारत के लिए ‘बायो-विजन’ का निर्धारण करती है।
    • राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप,  BioE3 नीति मोटे तौर पर निम्नलिखित रणनीतिक/विषयगत क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी: 
      • उच्च मूल्य वाले जैव आधारित रसायन, बायोपॉलिमर और एंजाइम; 
      • स्मार्ट प्रोटीन और फंक्शनल फ़ूड; 
      • सटीक जैव चिकित्सा; 
      • जलवायु सहनीय कृषि; 
      • कार्बन स्तर में कमी और इसका उपयोग; 
      • समुद्री और अंतरिक्ष अनुसंधान।
  • वर्तमान स्थिति
    • वर्तमान युग जैव विज्ञान के औद्योगीकरण में निवेश करने का एक उपयुक्त समय है, ताकि जलवायु परिवर्तन शमन, खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य जैसे कुछ महत्त्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों का समाधान करने के लिए सतत् और चक्रीय तौर-तरीकों को बढ़ावा दिया जा सके। 
    • जैव-आधारित उत्पादों के विकास के संदर्भ में अत्याधुनिक नवाचारों को गति देने के लिए हमारे देश में एक सुदृढ़ जैव-विनिर्माण इकोसिस्टम का निर्माण करना महत्वपूर्ण है।
    • उच्च प्रदर्शन वाले जैव-विनिर्माण में, दवा से लेकर सामग्री तक का उत्पादन करने, खेती और खाद्य चुनौतियों का समाधान करने और उन्नत जैव-प्रौद्योगिकीय प्रक्रियाओं के एकीकरण के माध्यम से जैव-आधारित उत्पादों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की क्षमता है। 

नेट जीरो प्राप्त करने की दिशा में विभिन्न पहल

  • मिशन LiFE
  • राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (GIM) 
    • इसका उद्देश्य 5 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन/वृक्ष आवरण को बढ़ाना तथा अन्य 5 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन/वृक्ष आवरण की गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम (NAP) 
    • इसके अंतर्गत वर्ष 2020 तक 21.47 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वनरोपण किया गया है।
  • राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना
  • नगर वन योजना (शहरी वन योजना) 
    • यह शहरों और कस्बों के भीतर छोटे शहरी वन या “नगर वन” विकसित करने पर केंद्रित है।
  • स्कूल नर्सरी योजना 
    • यह स्कूलों को अपनी नर्सरी विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • CAMPA कोष 
    • वनरोपण और पुनर्जनन गतिविधियों आदि को बढ़ावा देने के लिए ‘प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण’ (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority- CAMPA) की स्थापना की गई है।
    • ये कार्यक्रम अनुपयोगी, खाली और बंजर भूमि पर वृक्षारोपण को बढ़ावा देते हैं।

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