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बायोलम्पिवैक्सिन: लंपी स्किन डिजीज वैक्सीन

Lokesh Pal February 12, 2025 02:48 6 0

संदर्भ

भारत बायोटेक ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council for Agricultural Research-ICAR) के साथ मिलकर लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease-LSD) के लिए दुनिया का पहला बायोलम्पिवैक्सिन वैक्सीन विकसित किया है।

संबंधित तथ्य

  • यह वैक्सीन बायोवेट द्वारा विकसित की गई है, जो भारत बायोटेक समूह की एक फर्म है।
  • इस वैक्सीन को हाल ही में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drug Standards Control Organization-CDSCO) से मंजूरी मिली है, जो भारत के पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है।

बायोलम्पिवैक्सिन (Biolumpi Vaxin) की मुख्य विशेषताएँ 

  • वैश्विक स्तर पर पहली बार: बायोलम्पिवैक्सिन, लंपी स्किन डिजीज के लिए दुनिया का पहला DIVA (टीकाकृत पशुओं से संक्रमित पशुओं में अंतर करना) मार्कर वैक्सीन है।
  • DIVA तकनीक: प्राकृतिक रूप से संक्रमित और टीकाकृत पशुओं के बीच अंतर करने में सक्षम बनाती है, जिससे रोग निगरानी और नियंत्रण कार्यक्रमों में सहायता मिलती है।
  • उच्च सुरक्षा और प्रभावकारिता: वैक्सीन की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता के लिए इसका प्रभावी परीक्षण किया गया है।
  • एकल खुराक वाला आहार: 3 महीने से अधिक उम्र के मवेशियों और भैंसों को वर्ष में एक बार दिया जाता है।
  • वैक्सीन स्ट्रेन: ICAR-NRCE, हिसार से LSD वायरस/राँची/2019 स्ट्रेन का उपयोग करके विकसित किया गया।

लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease-LSD)

  • लंपी स्किन डिजीज (LSD) मवेशियों और भैंसों को प्रभावित करने वाला एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है।
  • यह पॉक्सविरिडे समूह के सदस्य लंपी स्किन डिजीज वायरस (LSDV) के कारण होता है।
  • LSD का पहला प्रकोप वर्ष 1929 में जाम्बिया में पता चला था।
  • LSD टिक्स और माइट्स जैसे घरेलू मक्खियों, मच्छरों आदि जैसे रक्त चूसने वाले वैक्टर के माध्यम से फैलता है। यह दूषित पानी, चारे के माध्यम से भी फैलता है।
  • यह रोग दूध उत्पादन में कमी, बाँझपन और मृत्यु दर के कारण डेयरी तथा पशुधन उद्योग में गंभीर आर्थिक नुकसान का कारण बनता है।

संक्रमित पशुओं और टीकाकृत पशुओं में अंतर

  • DIVA टीके विशेष रूप से डिजाइन किए गए टीके हैं, जो स्वाभाविक रूप से संक्रमित और टीका लगाए गए जानवरों के बीच अंतर करने की अनुमति देते हैं।
  • रोग की निगरानी और उन्मूलन प्रयासों को सक्षम करते हुए रोग के प्रकोप को रोकने के लिए पशुधन रोग नियंत्रण कार्यक्रमों में इनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

DIVA टीकों के लाभ

DIVA टीकों के नुकसान

  • संक्रमित पशुओं की पहचान करना: DIVA टीके संक्रमित पशुओं की पहचान करने में मदद कर सकते हैं, ताकि टीकाकृत पशुओं के लिए विशेष प्रतिबंधों में ढील दी जा सके।
  • टीका प्रभावकारिता की निगरानी करना: DIVA टीकों का उपयोग टीकाकृत आबादी में वाइल्ड टाइप के वायरस के संचरण की निगरानी के लिए किया जा सकता है।
  • कम प्रभावी: DIVA टीके पारंपरिक टीकों की तरह प्रभावी नहीं हो सकते हैं।
  • विशेष निदान परीक्षण: संक्रमित जानवरों की पहचान करने के लिए विशेष निदान परीक्षणों की आवश्यकता होती है। ये परीक्षण पारंपरिक परीक्षणों की तरह संवेदनशील नहीं हो सकते हैं।
  • विकास: DIVA टीके विकसित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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