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जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र

Lokesh Pal November 05, 2025 03:03 25 0

संदर्भ

प्रत्येक वर्ष 3 नवंबर को विश्व जैवमंडल रिजर्व के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाता है।

जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र क्या हैं?

  • परिभाषा:  जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र (BRs) ऐसे निर्दिष्ट क्षेत्र हैं, जिनका उद्देश्य जैव विविधता का संरक्षण करना और साथ ही स्थानीय समुदायों के सतत् आजीविका साधनों को बढ़ावा देना है।
  • उद्देश्य: ये क्षेत्र “सतत् विकास के लिए अधिगम केंद्र” के रूप में कार्य करते हैं, जहाँ अनुसंधान, शिक्षा, और मनुष्य व पारिस्थितिकी तंत्र के बीच संघर्ष-मुक्त सहअस्तित्व को बढ़ावा दिया जाता है।
  • परिधि:  BRs स्थलीय, समुद्री और तटीय पारिस्थितिकी तंत्रों को शामिल करते हैं तथा जैव विविधता संरक्षण और सतत् उपयोग के बीच संतुलन स्थापित करने के मॉडल के रूप में कार्य करते हैं।
  • जैवमंडल संरक्षित क्षेत्रों के उद्देश्य
    • स्थानिक संरक्षण:  जीन → प्रजाति → पारिस्थितिकी-तंत्र तक जैव विविधता का संपूर्ण संरक्षण।
    • अनुसंधान और निगरानी:  पारिस्थितिकी प्रक्रियाओं और मानव–प्रकृति संबंधों की बेहतर समझ विकसित करना।
    • एकीकृत विकास:  स्थानीय एवं आदिवासी समुदायों के जीवन स्तर को सतत् उपयोग के माध्यम से सुधारना।
  • प्रशासन एवं संचालन
    • जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र का नामांकन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है और वे राष्ट्रीय संप्रभुता के अंतर्गत रहते हैं।
    • इन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूनेस्को (UNESCO) द्वारा ‘मैन एंड द बायोस्फीयर प्रोग्राम’ (MAB) के तहत मान्यता प्राप्त होती है।
  • तीन-क्षेत्रीय मॉडल
    • कोर क्षेत्र: कठोर संरक्षित क्षेत्र, जहाँ वनस्पति और जीव-जंतुओं का आवास होता है; यह जल, मृदा, वायु और जैव तंत्र के संपूर्ण संरक्षण हेतु समर्पित होता है।

    • बफर क्षेत्र: कोर क्षेत्र के चारों ओर स्थित जहाँ मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहते हैं। यह वैज्ञानिक अध्ययन, प्रशिक्षण और अध्ययन के लिए प्रयुक्त होता है
    • संक्रमण क्षेत्र: बाह्य क्षेत्र , जहाँ समुदाय सामाजिक-सांस्कृतिक एवं पारिस्थितिकी रूप से सतत् मानवीय गतिविधियाँ करते हैं।

यूनेस्को का ‘मैन एंड द बायोस्फीयर प्रोग्राम’ (MAB)

  • यूनेस्को द्वारा वर्ष 1971 में शुरू किया गया MAB कार्यक्रम मानव और पर्यावरण के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देता है।
  • यह प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों का एकीकरण करता है ताकि पारिस्थितिकी अनुकूलन और मानव कल्याण को सुदृढ़ किया जा सके।
  • मुख्य उद्देश्य
    • जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में मानव और प्राकृतिक प्रभावों का आकलन।
    • जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत के क्षय के बीच पारिस्थितिकी–समाज अंतःक्रियाओं का अध्ययन।
    • शहरीकरण और ऊर्जा उपभोग के बावजूद रहने योग्य वातावरण सुनिश्चित करना।
    • राष्ट्रों के बीच ज्ञान विनिमय, पर्यावरण शिक्षा, और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना।
  • ‘वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व्स’ (WNBR)
    • इसमें 134 देशों के 738 स्थल शामिल हैं (वर्ष 2025 तक)।
    • यह एक गतिशील अंतरराष्ट्रीय सहयोग नेटवर्क है, जो सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और सतत् प्रबंधन को प्रोत्साहित करता है।
  • शासन: यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय समन्वय परिषद (MAB-ICC) द्वारा संचालित, जिसमें 34 सदस्य देश (भारत सहित) शामिल हैं।

भारत में जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र

  • कुल जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र: 18 (कुल क्षेत्रफल: लगभग 91,425 वर्ग किलोमीटर)
  • यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त: 13 स्थल ‘वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व्स’ (WNBR) में शामिल
    • नवीनतम शामिल क्षेत्र: कोल्ड डेजर्ट (2025)।
  • प्रशासनिक एजेंसी
    • केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अंतर्गत जैवमंडल रिजर्व प्रभाग (Division) द्वारा संचालन।
    • योजना: संरक्षित क्षेत्र एवं पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण कार्यक्रम (CNRE) की उप-योजना, जैव विविधता संरक्षण हेतु केंद्र प्रायोजित योजना के अंतर्गत कार्यान्वित की जा रही है।
  • वित्तीय साझेदारी मॉडल: केंद्र एवं राज्य का हिस्सा अधिकांश राज्यों के लिए 60:40 और पूर्वोत्तर एवं हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 है।
  • वैश्विक मान्यता
    • अक्टूबर 2025 तक, भारत वन क्षेत्र में विश्व स्तर पर 9वें स्थान पर और वार्षिक वन लाभ में तीसरे स्थान पर होगा (FAO  वैश्विक वन संसाधन आकलन रिपोर्ट, 2025)।
    • नीलगिरी, मन्नार की खाड़ी, सुंदरबन और नोक्रेक जैसे कई भारतीय जैवमंडल क्षेत्र यूनेस्को द्वारा मानव–प्रकृति सहअस्तित्व के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में मान्यता प्राप्त हैं।

भारत के जैवमंडल कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ

  • समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण: स्थानीय निवासियों की सहभागिता के माध्यम से पर्यावरण-अनुकूल आजीविका, इको-टूरिज्म, और संसाधन प्रबंधन को प्रोत्साहन।
  • आजीविका का साधन 
    • वैकल्पिक आय स्रोतों द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव कम करना।
    • स्थानीय भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु पर्यावरण विकास गतिविधियाँ लागू करना।
  • राष्ट्रीय कार्यक्रमों से एकीकरण
    • प्रोजेक्ट टाइगर (वर्ष 1973): बाघ और उसके आवास का संरक्षण।
    • प्रोजेक्ट एलीफेंट (वर्ष 1992): मानव–हाथी संघर्ष शमन और आवास संरक्षण।
    • ग्रीन इंडिया मिशन (वर्ष 2014): जलवायु परिवर्तन शमन हेतु वन पुनर्स्थापन।
    • राष्ट्रीय जैव विविधता कार्य योजना (NBAP): जैव संसाधनों का नियमन (जैव विविधता अधिनियम, 2002)।
    • वन्यजीव आवासों का एकीकृत विकास (IDWH): राज्य स्तरीय संरक्षण हेतु सहयोग।
    • पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र (ESZs): अस्थायी विकास से संरक्षित क्षेत्रों की रक्षा।

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