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“बिरसा 101” थेरेपी

Lokesh Pal November 22, 2025 02:46 3 0

संदर्भ

भारत ने सिकल सेल रोग (SCD) की रोकथाम के लिए अपनी पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी, बिरसा 101 (BIRSA 101), लॉन्च की है।

जीन थेरेपी एक चिकित्सा तकनीक है, जिसमें किसी व्यक्ति की कोशिकाओं में आनुवंशिक पदार्थ को परिवर्तित कर रोग का उपचार या रोकथाम की जाती है।

  • इसका उद्देश्य रोग के विकास के लिए उत्तरदायी दोषपूर्ण जीन को ठीक करना है।
  • जीन थेरेपी के प्रकार
    • दैहिक जीन थेरेपी (Somatic gene therapy): गैर-प्रजनन कोशिकाओं में परिवर्तन करती है; प्रभाव वंशानुगत नहीं होते  (उदाहरण के लिए, कैंसर के उपचार के लिए, पेशीय दुर्विकास जैसे वंशानुगत विकार)।
    • जर्मलाइन जीन थेरेपी: प्रजनन कोशिकाओं में परिवर्तन करती है; परिवर्तन संतानों में भी पहुँच सकते हैं (अत्यधिक प्रतिबंधित/नैतिक चिंताएँ)।

‘बिरसा 101’ (BIRSA 101) थेरेपी के बारे में

  • नाम और प्रेरणा: इस जीन थेरेपी का नाम भगवान बिरसा मुंडा, एक सम्मानित आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी के सम्मान में बिरसा 101 रखा गया है।
  • तकनीकी प्लेटफॉर्म: इस थेरेपी में CRISPR-Cas9 तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो एक परिशुद्ध आनुवंशिक सर्जरी है, जिसका उद्देश्य न केवल सिकल सेल रोग का उपचार करना है, बल्कि अन्य आनुवंशिक विकारों के लिए भी इसके संभावित अनुप्रयोग हैं।
  • वहनीयता: एक कम लागत वाले विकल्प के रूप में विकसित, बिरसा 101 में ₹20-25 करोड़ के मूल्य वाले वैश्विक उपचारों को भारतीय परिस्थितियों के लिए अनुकूलित एक अधिक वहनीय समाधान से बदलने की क्षमता है।
  • विकसितकर्ता: इसे नई दिल्ली स्थित CSIR-इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) द्वारा विकसित किया गया है।
    • IGIB ने सिकल सेल रोग के लिए क्रिस्पर प्लेटफॉर्म को वहनीय उपचारों में विस्तारित करने के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SIIPL) के साथ साझेदारी की है।
  • कार्यप्रणाली
    • आनुवंशिक सुधार: यह चिकित्सा रोग का कारण बनने वाले आनुवंशिक कोड के दोषपूर्ण भाग को संशोधित करती है।
    • एकमुश्त उपचार: इसे एक बार दिया जाता है, जिसके बाद शरीर सिकल के आकार की कोशिकाओं के स्थान पर सामान्य लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन शुरू कर देता है।

CRISPR-Cas9 तकनीक के बारे में

  • CRISPR-Cas9 एक जीन-संपादन तकनीक है, जो जीवित जीवों के DNA में लक्षित परिवर्तन (हटाना, जोड़ना या संशोधित करना) संभव बनाती है।
  • CRISPR-Cas9 प्रणाली के दो मुख्य घटक हैं:
    • Cas9 एंजाइम: आणविक कैंची की तरह कार्य करता है, जीनोम में लक्षित स्थान पर DNA के दोनों रज्जुकों को काटता है।
    • गाइड आरएनए (gRNA): एक छोटा, पूर्व-निर्धारित RNA अनुक्रम, जो लक्षित अनुक्रम से बंधकर Cas9 को विशिष्ट DNA स्थान पर निर्देशित करता है।
  • DNA के कट जाने के बाद, कोशिका की प्राकृतिक मरम्मत प्रक्रिया का उपयोग आनुवंशिक सामग्री को हटाने, सम्मिलित करने या प्रतिस्थापित करने के लिए किया जाता है, जिससे जीनोम एडिटिंग संभव होती है।

सिकल सेल रोग (SCD) के बारे में 

  • परिभाषा: सिकल सेल रोग (SCD) एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर असामान्य हीमोग्लोबिन (S प्रकार) का उत्पादन करता है, जिससे सिकल के आकार की लाल रक्त कोशिकाएँ बनती हैं, जो रक्त प्रवाह को बाधित करती हैं।
  • कारण: SCD ‘ऑटोसोमल रिसेसिव पैटर्न’ में वंशानुगत होता है। इस रोग का वंशानुगत होना इस बात पर निर्भर करता है कि माता-पिता दोनों में दोषपूर्ण जीन मौजूद हों।
    • हीमोग्लोबिन S के कारण लाल रक्त कोशिकाएँ कठोर और अर्द्धचंद्राकार हो जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है और अंग संबंधी क्षति हो सकती है।
  • लक्षण: दर्द के दौरे (गंभीर दर्द के दौरे), एनीमिया, थकान, हाथों और पैरों में सूजन, बार-बार संक्रमण, विकास में देरी और दृष्टि संबंधी समस्याएँ इसके सामान्य लक्षण हैं।
  • सरकारी पहल: भारत सरकार ने इसकी निगरानी, रोकथाम और उपचार तंत्र को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (2023-2030) शुरू किया है।
    • विजन: मिशन का विजन वर्ष 2047 से पहले भारत में सिकल सेल रोग को एक जन-स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करना है।
    • लक्ष्य: एक प्रमुख प्रारंभिक लक्ष्य वित्त वर्ष 2025-26 तक चिह्नित आदिवासी-बहुल और उच्च-भार वाले राज्यों में 40 वर्ष तक की आयु के लगभग 7 करोड़ (70 मिलियन) लोगों की जाँच करना है।
    • फोकस राज्य: मिशन वर्तमान में 17 उच्च-केंद्रण वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को शामिल करता है, जिनमें से कई में आदिवासी आबादी महत्त्वपूर्ण है और सिकल सेल रोग का उच्च प्रसार है।
  • भारत में उच्च-भार वाले क्षेत्र: ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के आदिवासी-बहुल क्षेत्र।

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