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ब्लू कार्बन

Lokesh Pal January 28, 2025 03:56 47 0

संदर्भ

‘नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (NOAA) के एक लेख ‘कोस्टल ब्लू कार्बन्स’ के अनुसार, मैंग्रोव एवं तटीय आर्द्रभूमि उष्णकटिबंधीय वनों की तुलना में प्रति समकक्ष क्षेत्र में तीन से पाँच गुना अधिक कार्बन संगृहीत करते हैं।

कच्छ वनस्पति

  • मैंग्रोव, लवण सहिष्णु वृक्ष एवं झाड़ियाँ हैं, जो तटीय अंतरज्वारीय क्षेत्रों में पनपते हैं। 
    • उदाहरण के लिए, राइजोफोरा म्यूक्रोनाटा (Rhizophora Mucronata) एवं एविसेनिया मरीना (Avicennia Marina) भारत में पाई जाने वाली मैंग्रोव प्रजाति हैं।
  • मैंग्रोव, ब्लू कार्बन पृथक्करण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:
    • उच्च कार्बन भंडारण: मैंग्रोव मृदा,  स्थलीय वनों की तुलना में अत्यधिक दर पर कार्बन का भंडारण करती है।
    • दीर्घकालिक कार्बन संग्रहण: कार्बनिक पदार्थ अनॉक्सीकृत मृदा में जमा हो जाते हैं, जिससे दीर्घकालिक कार्बन भंडारण होता है।
    • तटीय संरक्षण: मैंग्रोव कटाव को कम करते हैं एवं समुद्री तूफानों के विरुद्ध बफर के रूप में कार्य करते हैं, कार्बन युक्त तलछट की रक्षा करते हैं।

ब्लू कार्बन पर मुख्य निष्कर्ष

  • मैंग्रोव एवं तटीय आर्द्रभूमियाँ वार्षिक रूप से परिपक्व उष्णकटिबंधीय वनों की तुलना में 10 गुना अधिक दर से कार्बन संग्रहण कर सकती हैं।
  • अकेले मैंग्रोव में प्रति हेक्टेयर 1,000 टन से अधिक कार्बन जमा करने की क्षमता है।
  • वैश्विक स्तर पर केवल 10% विकृत मैंग्रोव का पुनर्स्थापन करने से अतिरिक्त 1.6 बिलियन टन कार्बन को पृथक किया जा सकता है।
  • मैंग्रोव में गिरावट मुख्य रूप से कृषि, जलीय कृषि एवं शहरी विकास जैसी मानवीय गतिविधियों से प्रेरित है।

ब्लू कार्बन 

  • ब्लू कार्बन समुद्री एवं तटीय पारिस्थितिकी तंत्र, जैसे मैंग्रोव, समुद्री घास तथा लवणीय दलदल द्वारा संगृहीत किए गए कार्बन को संदर्भित करता है। 
  • ये पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि ये प्रकृति के सबसे कुशल कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं।

  • ब्लू कार्बन विधि: उत्सर्जन कटौती कोष के तहत ऑस्ट्रेलियाई सरकार की ब्लू कार्बन विधि का उद्देश्य ऐसी परियोजनाओं को कार्बन क्रेडिट उत्पन्न करने की अनुमति देकर तटीय आर्द्रभूमि पुनर्स्थापन को प्रोत्साहित करना है। 
    • स्पष्ट दिशा-निर्देशों एवं मजबूत सत्यापन प्रक्रियाओं द्वारा संचालित इस पद्धति में क्रमिक प्रगति देखी गई है।
    • एक उल्लेखनीय उदाहरण दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में ज्वारीय पुनर्भंडारण परियोजना (Tidal Restoration Project) है। 
    • 18 दिसंबर, 2024 तक, इस योजना के तहत लगभग 16.45 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई कार्बन क्रेडिट यूनिट (Australian Carbon Credit Units- ACCUs) जारी किए गए हैं, जो जलवायु परिवर्तन को कम करने एवं मूल्यवान पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के लिए इस दृष्टिकोण की क्षमता को प्रदर्शित करता है।
  • वैश्विक पहल: IUCN ब्लू नेचुरल कैपिटल फाइनेंसिंग फैसिलिटी (BNCFF) एवं ब्लू कार्बन एक्सेलेरेटर फंड (Blue Carbon Accelerator Fund-BCAF) के माध्यम से ब्लू कार्बन पहल में संलग्न है।

कार्बन का रंग आधारित वर्गीकरण

  • वैज्ञानिक कार्बन को उसके कार्य, विशेषताओं एवं कार्बन चक्र में स्थान के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत करते हैं। यहाँ मुख्य प्रकार हैं:-
    • बैंगनी कार्बन: वायु या औद्योगिक उत्सर्जन से कार्बन।
    • ब्लू कार्बन: समुद्री पौधों एवं अवसाद में संगृहीत कार्बन।
    • टील कार्बन: मीठे जल एवं आर्द्रभूमि वातावरण में संगृहीत कार्बन।
    • ग्रीन कार्बन: स्थलीय पौधों एवं जंगलों में संगृहीत कार्बन।
    • ब्लैक कार्बन: जीवाश्म ईंधन जलाने से उत्सर्जित कार्बन।
    • ग्रे कार्बन: औद्योगिक उत्सर्जन से निकलने वाला कार्बन।
    • ब्राउन कार्बन: कार्बनिक पदार्थों के अधूरे दहन से उत्पन्न कार्बन।
    • रेड कार्बन: बर्फ पर जैविक कणों के माध्यम से स्थापित कार्बन, एल्बिडो को कम करता है।

ब्लू कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र का महत्त्व

  • जलवायु परिवर्तन शमन: वायुमंडलीय कार्बन को कम करने के लिए प्रभावी कार्बन सिंक के रूप में कार्य करना।
  • तटीय सुरक्षा: समुद्री तूफानों के विरुद्ध प्राकृतिक अवरोध प्रदान करना एवं मिट्टी के कटाव को रोकना।
  • जैव विविधता समर्थन: समुद्री जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण आवास प्रदान करना।
  • आजीविका एवं खाद्य सुरक्षा: सतत मत्स्यपालन एवं पर्यावरण-पर्यटन का समर्थन करना।

चुनौतियाँ

  • मानवीय गतिविधियाँ: जलीय कृषि, कृषि, शहरी विकास एवं प्रदूषण इन पारिस्थितिकी तंत्रों के नुकसान का कारण बनते हैं।
  • नीति एवं आर्थिक बाधाएँ: उच्च लागत, जटिल सत्यापन प्रक्रियाएँ एवं कार्बन क्रेडिट बाजारों में पारदर्शिता की कमी परियोजना दक्षता को कम करती है।
    • बांग्लादेश में सुंदरबन मैंग्रोव वन को बड़े पैमाने पर अवैध कटाई, रिश्वतखोरी एवं कुप्रबंधन जैसे भ्रष्टाचार के कारण अत्यधिक गिरावट का सामना करना पड़ा है।

आगे की राह

  • नीति सुधार: कार्बन क्रेडिट तंत्र को सरल बनाना। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया की ब्लू कार्बन विधि।
  • प्रौद्योगिकी एकीकरण: पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी के लिए AI का उपयोग करना एवं पारदर्शी कार्बन क्रेडिट लेन-देन के लिए ब्लॉकचेन का उपयोग करना।
  • सामुदायिक भागीदारी: इंडोनेशिया के मैंग्रोव इकोसिस्टम रेस्टोरेशन एलायंस (MERA) पहल जैसे स्थानीय संचालित पुनर्स्थापन कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
  • पहलों का बेहतर कार्यान्वयन: तटरेखा पर्यावास एवं मूर्त आय के लिए भारत की मैंग्रोव पहल (Mangrove Initiative for Shoreline Habitats & Tangible Incomes- MISHTI) जैसी पहल अगर लक्ष्य के अनुसार लागू की जाए तो पुनर्स्थापन में मदद मिल सकती है।
  • वैश्विक प्रथाएँ: दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में ज्वारीय पुनर्स्थापना परियोजना जैसे सफल मॉडल को दोहराना, जो मजबूत सत्यापन प्रणालियों के साथ स्पष्ट दिशा-निर्देशों को जोड़ती है।

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