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ब्लू NDC चैलेंज

Lokesh Pal November 22, 2025 03:01 10 0

संदर्भ 

17 देशों, जिनमें फ्राँस और ब्राजील शामिल हैं, ने बेलेम, ब्राजील में आयोजित COP-30 में ब्लू  NDC चैलेंज से जुड़कर महासागर-आधारित जलवायु कार्रवाइयों को गति देने की प्रतिबद्धता जताई है।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के तहत सभी देश, उत्सर्जन में कमी और जलवायु सहनशीलता बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) प्रस्तुत करते हैं।
  • पारंपरिक रूप से जलवायु नीतियाँ भूमि और ऊर्जा क्षेत्रों पर केंद्रित रही हैं, जबकि महासागर अपनी अत्यंत महत्त्वपूर्ण जलवायु-नियमन क्षमता के बावजूद नीति-निर्माण में उपेक्षित रहे हैं।
  • ब्लू NDC चैलेंज इस अंतर को कम करते हुए महासागर–जलवायु समाधानों को राष्ट्रीय जलवायु ढाँचों के मुख्यधारा एजेंडा में शामिल करता है।

ब्लू NDC चैलेंज के बारे में

  • ब्लू NDC चैलेंज एक वैश्विक पहल है, जिसे फ्राँस और ब्राजील ने जून 2025 में नीस, फ्राँस में आयोजित तीसरे संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (UNOC-3) में प्रारंभ किया। इसका उद्देश्य देशों को महासागर-आधारित जलवायु समाधानों को अपनी राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान (NDC) योजनाओं में सम्मिलित करने हेतु प्रोत्साहित करना है।
  • संस्थागत समर्थन: यह पहल ओशन कंजरवेंसी, ओशन एंड क्लाइमेट प्लेटफॉर्म, तथा वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट द्वारा ओशन रेजिलिएंस एंड क्लाइमेट अलायंस (ORCA) के माध्यम से समर्थित है।
  • प्रतिभागी  देश: फ्राँस, ब्राजील सहित ऑस्ट्रेलिया, फिजी, केन्या, मेक्सिको, सेशेल्स जैसे कुल 17 देशों ने महासागर संबंधी उपायों को अपनी जलवायु योजनाओं में शामिल करने की प्रतिबद्धता जताई है।

ब्लू NDC टास्कफोर्स के बारे में

  • उद्देश्य: यह टास्कफोर्स राजनीतिक नेतृत्व को सक्रिय करेगी, वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराएगी और तकनीकी सहायता का विस्तार करेगी ताकि महासागर-आधारित समाधानों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।
  • मुख्य फोकस: ब्लू NDC इंप्लीमेंटेशन टास्क फोर्स का लक्ष्य महासागर-आधारित समाधानों को राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं में तेजी से एकीकृत करना है, जिससे महासागर-सहनशीलता को स्वच्छ ऊर्जा विस्तार, रोजगार सृजन और तटीय समुदायों के विकास से जोड़ा जा सके।

जलवायु परिवर्तन से निपटने में महासागरों की भूमिका

  • कार्बन अवशोषक: महासागर वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का लगभग 30% अवशोषित करते हैं, जिससे वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता कम होती है।
  • ऊष्मा अवशोषक: वे वैश्विक तापन से उत्पन्न अतिरिक्त ऊष्मा का 90% से अधिक भाग अवशोषित करते हैं, जिससे पृथ्वी के तापमान को स्थिर रखने में सहायता मिलती है।
  • जलवायु-नियमन: महासागरीय धाराएँ वैश्विक मौसम प्रणालियों और जलवायु प्रतिरूपों को निर्धारित करती हैं।
  • प्राकृतिक तटीय सुरक्षा: तटीय एवं समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र समुद्र-स्तर वृद्धि, तूफानी लहरों और चरम मौसमीय घटनाओं के विरुद्ध प्राकृतिक सुरक्षा-ढाल के रूप में कार्य करते हैं।

बढ़ती वैश्विक प्रगति

  • NDC  में एकीकरण
    • अब 90% देश अपनी NDCs में महासागर प्राथमिकताओं को सम्मिलित कर रहे हैं, जिससे महासागर-आधारित समाधान, जलवायु महत्त्वाकांक्षा का मुख्य स्तंभ बन रहे हैं।
    • वर्ष 2025 की NDCs अद्यतन प्रक्रिया में 66 में से 61 देशों ने महासागर-आधारित कार्रवाइयों को शामिल किया।
  • न्यून उत्सर्जन क्षमता
    • महासागर-आधारित समाधान वर्ष 2050 तक 1.5°C लक्ष्य के भीतर रहने हेतु आवश्यक वैश्विक उत्सर्जन में लगभग 35% कमी में योगदान दे सकते हैं।

भारत के लिए प्रासंगिकता

भौगोलिक महत्त्व 

  • विस्तृत तटरेखा (7,500 किमी. से अधिक): नौ समुद्री राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विस्तृत सघन आबादी वाली तटरेखा भारत को समुद्र-स्तर वृद्धि, तटीय क्षरण, चक्रवात और तूफानी लहरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती है।
  • समृद्ध मैंग्रोव तंत्र: भारत के सुंदरबन विश्व के सबसे बड़े मैंग्रोव वनों में से एक हैं—ये शक्तिशाली प्राकृतिक कार्बन अवशोषक होने के साथ-साथ चक्रवातों व बाढ़ से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • विशाल ब्लू इकोनॉमी क्षमता: मत्स्यपालन, तटीय पर्यटन, समुद्री जैव-प्रौद्योगिकी, समुद्रतल खनिज और अपतटीय नवीकरणीय ऊर्जा भारत की आर्थिक वृद्धि तथा जलवायु अनुकूल विकास के लिए महासागर केंद्रीय तत्त्व हैं।

महासागर-आधारित जलवायु कार्रवाई में चुनौतियाँ और अंतराल

  • अनुकूलन बनाम शमन: समुद्र-केंद्रित कार्रवाइयों में प्रमुखता अनुकूलन को मिलती है, जबकि शमन केंद्रित उपाय, जैसे अपतटीय नवीकरणीय ऊर्जा, नौवहन-उत्सर्जन में कमी, निम्न-कार्बन जलीय खाद्य प्रणाली अभी भी कम प्रतिनिधित्व पाते हैं।
  • वित्तीय कमी: महासागर की विशाल क्षमता के बावजूद, महासागर-संबंधित जलवायु वित्त वैश्विक प्रवाह का 1% से भी कम है, जो गंभीर वित्तीय अंतराल को रेखांकित करता है।

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