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Lokesh Pal
May 02, 2025 12:32
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1 मई को, जब दुनिया कार्य की गरिमा और श्रमिकों के अधिकारों के सम्मान के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस मनाती है, साथ ही भारत में बंधुआ मजदूरी में फँसे लाखों लोगों की कहानियाँ एक अंधकारमय परिदृश्य प्रस्तुत करती हैं।
बंधुआ मजदूरी मानवीय गरिमा और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, जो भारत के अनौपचारिक क्षेत्र में व्यवस्थित शोषण को जारी रखती है। इसे समाप्त करने के लिए सख्त प्रवर्तन, प्रभावी पुनर्वास और सभी श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता तथा न्याय सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने की आवश्यकता है।
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