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केंद्रीय बजट वर्ष 2025 में जनजातीय कल्याण को बढ़ावा

Lokesh Pal February 07, 2025 02:52 15 0

संदर्भ

केंद्रीय बजट वर्ष 2025- 2026 जनजातीय कल्याण के लिए ऐतिहासिक वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करता है, जिसमें पूरे भारत में 10.45 करोड़ जनजातीय लोगों के विकास के लिए वित्तपोषण में 45.79% की वृद्धि की गई है।

जनजातीय कल्याण के लिए बजटीय सहायता

  • जनजातीय विकास के लिए कुल आवंटन: ₹14,925.81 करोड़ (2025-26) → ₹10,237.33 करोड़ (2024-25) से 45.79% की वृद्धि।
  • वर्ष 2014-15 से 231.83% की वृद्धि (₹4,497.96 करोड़): जनजातीय कल्याण पर सरकार का निरंतर ध्यान दिया जा रहा है।

प्रमुख योजनाएँ एवं आवंटन

  • एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (EMRS)
    • वर्ष 2025-2026 आवंटन: ₹7,088.60 करोड़ (2024- 2025 में ₹4,748 करोड़ से लगभग दोगुना)।
    • उद्देश्य: दूरदराज के क्षेत्रों में आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना।
  • प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन
    • वर्ष 2025-26 आवंटन: ₹380.40 करोड़ (₹152.32 करोड़ से ऊपर)।
    • उद्देश्य: आदिवासी समुदायों के लिए वर्ष भर आय-सृजन के अवसर पैदा करना।
  • प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (PMAAGY)
    • वर्ष 2025-26 आवंटन: ₹335.97 करोड़ (163% वृद्धि)।
    • उद्देश्य: शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार में बुनियादी ढाँचे की कमी को पूरा करना।
  • PM-JANMAN के तहत बहुउद्देश्यीय केंद्र (MPC)
    • वर्ष 2025-2026 आवंटनः ₹300 करोड़ (₹150 करोड़ से दोगुना)।
    • उद्देश्य: विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) बाहुल्य बस्तियों में सामाजिक-आर्थिक सहायता बढ़ाना।
  • धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (DAJGUA)
    • उद्देश्य: 63,843 गाँवों में बुनियादी ढाँचे की कमी को पूर्ण करना।
    • बजटीय परिव्यय: पाँच वर्षों में ₹79,156 करोड़ (केंद्रीय हिस्सा: ₹56,333 करोड़, राज्य हिस्सा: ₹22,823 करोड़)।
    • वर्ष 2025-26 आवंटन: ₹2,000 करोड़ (₹500 करोड़ से चौगुना)।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) के बारे में

  • स्थापना एवं उद्देश्य: EMRS की शुरुआत वर्ष 1997-98 में दूरदराज के क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए की गई थी, ताकि उन्हें उच्च एवं व्यावसायिक शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में अवसर प्राप्त करने तथा विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके।
    • स्कूल छात्रों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • कवरेज: प्रत्येक स्कूल में 480 छात्रों की क्षमता है, जो कक्षा VI से XII तक के छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है।
  • वित्तपोषण: संविधान के अनुच्छेद-275 (1) के तहत अनुदान के तहत राज्य सरकारों को स्कूलों के निर्माण और आवर्ती व्यय के लिए अनुदान दिया गया।
  • एकलव्य मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल (EMDBS): जहाँ भी पहचाने गए उप-जिलों में एसटी आबादी का घनत्व अधिक है (90% या अधिक), वहाँ आवासीय सुविधा के बिना स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक एसटी छात्रों के लिए अतिरिक्त गुंजाइश प्रदान करने के लिए प्रायोगिक आधार पर एकलव्य मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल (EMDBS) स्थापित करने का प्रस्ताव है।

प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (PMJVM)

  • लॉन्च: वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 की अवधि के लिए।
  • नोडल एजेंसी: ट्राइफेड (भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ)।
  • उद्देश्य: प्राकृतिक संसाधनों के सतत् उपयोग के माध्यम से जनजातीय उद्यमिता को मजबूत करना और आजीविका के अवसरों को बढ़ाना।
  • मौजूदा योजनाओं का विलय
    • “लघु ​​वन उपज (MFP) के विपणन के लिए तंत्र” – MFP के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और मूल्य शृंखला विकास सुनिश्चित करना।
    • ‘आदिवासी उत्पादों के विकास और विपणन के लिए संस्थागत समर्थन’ – आदिवासी उद्यमों और मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देना।
  • प्रमुख फोकस क्षेत्र
    • लघु वनोपज, कृषि एवं गैर-कृषि गतिविधियों के माध्यम से सतत् आजीविका सृजन।
    • आदिवासी उद्यमों, सहकारी समितियों एवं स्व-प्रबंधित उत्पादक समूहों को बढ़ावा देना।
    • बाजार संबंधों एवं मूल्य शृंखला विकास को सुदृढ़ बनाना।

प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (PMAAGY)

  • यह महत्त्वपूर्ण जनजातीय आबादी वाले गाँवों को आदर्श गाँवों में बदलने की योजना है।
  • यह जनजातीय उप-योजना (SCA  से TSS) के लिए विशेष केंद्रीय सहायता का एक नया संस्करण है।
  • अवधि: वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 के दौरान कार्यान्वित किया जाएगा।
  • उद्देश्य
    • स्वास्थ्य, शिक्षा, कनेक्टिविटी और आजीविका जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे में सुधार करना।
    • आवश्यकताओं, संभावनाओं और आकांक्षाओं के आधार पर ग्राम विकास योजनाएँ तैयार करना।
    • अनुसूचित आबादी को केंद्र और राज्यों की योजनाओं का अधिकतम लाभ पहुँचाना।

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान पैकेज

  • वर्ष 2024 में केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लॉन्च किया जाएगा।
  • कुल परिव्यय: पाँच वर्षों में कार्यान्वयन के लिए ₹79,156 करोड़ आवंटित किए गए।
  • उद्देश्य: आदिवासी बहुल गाँवों और आकांक्षी जिलों में आदिवासी परिवारों के लिए संतृप्ति कवरेज को अपनाकर आदिवासी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करना।
  • कवरेज: यह 30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सभी आदिवासी बहुल गाँवों में फैले 549 जिलों और 2,740 ब्लॉकों को कवर करेगा।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • 25 लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से 17 मंत्रालयों का एकीकरण। 
    • स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना।

भारत में अनुसूचित जनजातियों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  • भारत का संविधान ‘जनजाति‘ को परिभाषित नहीं करता है।
  • अनुसूचित जनजाति (ST) शब्द को अनुच्छेद-342(1) में शामिल किया गया।
  • अनुच्छेद-342(1): राष्ट्रपति सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा, संवैधानिक उद्देश्यों के लिए अनुसूचित जनजाति मानी जाने वाली जनजातियों या जनजातीय समुदायों को निर्दिष्ट कर सकते हैं।
  • भारत में आदिवासियों के शैक्षिक और सांस्कृतिक अधिकार
    • अनुच्छेद-15(4): अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान।
    • अनुच्छेद-29: अल्पसंख्यकों के अधिकारों के तहत आदिवासी पहचान, संस्कृति और भाषा का संरक्षण।
    • अनुच्छेद-46: राज्य को अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देना चाहिए और उन्हें सामाजिक अन्याय तथा शोषण से बचाना चाहिए।
    • अनुच्छेद-350: एक अलग भाषा, लिपि या संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार।
  • राजनीतिक अधिकार
    • अनुच्छेद-330: लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण।
    • अनुच्छेद-332: राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण।
    • अनुच्छेद-243D: जमीनी स्तर पर राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पंचायतों में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण।
  • प्रशासनिक एवं आर्थिक अधिकार
    • अनुच्छेद-275(1): अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को अनुदान सहायता।
    • अनुच्छेद-244(1)
      • पाँचवीं अनुसूची: असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों पर लागू होती है।
      • छठी अनुसूची: असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में आदिवासी क्षेत्रों को नियंत्रित करती है, स्वायत्त जिला परिषदों (ADC) को अनुमति देती है।
    • अनुच्छेद-16(4): अनुसूचित जनजातियों सहित पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान करता है।
    • अनुच्छेद-16(4A): सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जनजातियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की अनुमति देता है।

भारत में जनजातियों के समक्ष प्रमुख मुद्दे

  • भूमि एवं संसाधन अधिकार: बड़े पैमाने पर विकास परियोजनाओं, खनन और वनों की कटाई के कारण आदिवासी समुदायों को जबरन विस्थापित किया गया है।
    • वर्ष 2022 तक, FRA के तहत 42.76 लाख दावों में से केवल 50% को ही मंजूरी दी गई (जनजातीय मामलों का मंत्रालय)।
  • सामाजिक-आर्थिक रूप से हाशिए पर मौजूद हैं: भारत में अनुसूचित जनजातियों की गरीबी दर सबसे अधिक है।
    • दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता का अभाव।
  • शैक्षणिक अंतर: गरीबी, स्कूलों की कमी और सांस्कृतिक अंतर के कारण अनुसूचित जनजातियों में स्कूल छोड़ने की दर अधिक है।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों (एसटी) में साक्षरता दर 59% थी, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।
  • शोषण और बंधुआ मजदूरी: आदिवासी बहुल क्षेत्रों में मानव तस्करी और बाल श्रम प्रमुख मुद्दे हैं।
    • आर्थिक अवसरों की कमी के कारण कई एसटी को कम वेतन वाली और जोखिम भरी नौकरियों के लिए मजबूर होना पड़ता है।
  • सांस्कृतिक क्षरण: शहरीकरण और आधुनिकीकरण के कारण आदिवासी भाषाएँ, परंपराएँ और रीति-रिवाज संकट का सामना कर रहे हैं।
    • राष्ट्रीय सांस्कृतिक नीतियों और मीडिया में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व।
  • राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अभाव: संवैधानिक सुरक्षा उपायों के बावजूद, एसटी समुदायों की अक्सर राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर नीति निर्धारण में बहुत कम भूमिका होती है।

जनजातीय कल्याण के लिए आगे की राह

  • भूमि एवं संसाधन अधिकार: वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 का कठोरता से क्रियान्वयन, ताकि अनुसूचित जनजातियों को कानूनी भूमि अधिकार प्रदान किए जा सकें।
    • विकास परियोजनाओं के कारण विस्थापन से सुरक्षा।
  • शिक्षा एवं कौशल विकास: आदिवासी छात्रों को उनकी मातृभाषा में सीखने में मदद करने के लिए द्विभाषी शिक्षा कार्यक्रम।
    • आदिवासी बच्चों में स्कूल छोड़ने की दर को कम करने के लिए छात्रवृत्ति एवं प्रोत्साहन।
    • शिक्षा तक पहुँच में सुधार के लिए EMRS (एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय) का विस्तार।
  • स्वास्थ्य सेवा एवं स्वच्छता: आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत करना।
    • सिकल सेल रोग, कुपोषण और मातृ स्वास्थ्य के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवा पहल।
  • महिला सशक्तीकरण: आदिवासी महिला सशक्तीकरण योजना (AMSY) जैसी योजनाओं के तहत आदिवासी महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम।
    • वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सहायता समूह (SHG) और माइक्रो-क्रेडिट योजनाएँ।
  • सांस्कृतिक संरक्षण: ट्राइफेड, आदि महोत्सव और सांस्कृतिक उत्सवों के माध्यम से आदिवासी कला और विरासत को प्रोत्साहित करना।
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म और समुदाय द्वारा संचालित स्कूलों के माध्यम से स्वदेशी भाषाओं को समर्थन देना।
  • समावेशी शासन और प्रतिनिधित्व: स्थानीय शासन में बेहतर भागीदारी के लिए आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को मजबूत बनाना।
    • नीति निर्धारण निकायों में ST का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना।

निष्कर्ष

केंद्रीय बजट 2025-26 में शिक्षा, आर्थिक अवसरों, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देकर आदिवासी सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया गया है। इस व्यापक दृष्टिकोण का उद्देश्य आत्मनिर्भर, सशक्त आदिवासी समुदायों का निर्माण करना है, जो विकसित भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है।

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