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भारत में सीमा प्रबंधन

Lokesh Pal January 16, 2025 04:37 59 0

संदर्भ

हाल ही में विदेश मंत्रालय (MEA) ने भारत में बांग्लादेश के कार्यवाहक उच्चायुक्त को ‘बाड़ लगाने सहित सीमा पर सुरक्षा उपायों’ को लेकर तलब किया।

हालिया घटना

  • बांग्लादेश ने ढाका में भारत के उच्चायुक्त को तलब कर सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force-BSF) की गतिविधियों पर ‘गहरी चिंताएँ’ व्यक्त की।
    • वर्ष 1975 के दिशा-निर्देशों के कथित उल्लंघन का हवाला दिया गया, विशेष तौर पर बाड़ के निर्माण के संबंध में।
    • बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) ने पश्चिम बंगाल के मालदा में काँटेदार तार की बाड़ के निर्माण में बाधा डालने का प्रयास किया।
  • बांग्लादेश की आपत्तियाँ
    • वर्ष 1975 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन: बांग्लादेश ने तर्क दिया कि सीमा के 150 गज के भीतर बाड़ लगाना रक्षा क्षमता वाली संरचनाओं के विकास को प्रतिबंधित करने वाले दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
    • स्थानीय निवासियों पर प्रभाव: बाड़ लगाने से सीमा के पास के निवासियों के जीवन में व्यवधान उत्पन्न हुआ, क्योंकि इससे उनकी आवाजाही एवं आर्थिक गतिविधियाँ सीमित हो गईं।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: बांग्लादेश ने इलेक्ट्रॉनिक निगरानी से लैस ‘स्मार्ट बाड़’ (Smart Fencing) पर चिंता व्यक्त की और दावा किया कि इससे भारत को बांग्लादेशी क्षेत्र की निगरानी करने की अनुमति मिल गई।
  • भारत का रुख: भारत ने दोहराया है कि बाड़ लगाने सहित सभी सीमा सुरक्षा उपाय बांग्लादेश के साथ स्थापित द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करते हैं।
    • विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस बात पर जोर दिया कि काँटेदार तार की बाड़ लगाना कोई ‘रक्षा संरचना’ (Defense Structure) नहीं है और इसका उद्देश्य सीमा सुरक्षा है।

भारत-बांग्लादेश सीमा मुद्दे की समयसीमा

  • वर्ष 1975: भारत और बांग्लादेश ने संयुक्त दिशा-निर्देशों पर हस्ताक्षर किए और अंतरराष्ट्रीय सीमा के 150 गज के भीतर रक्षा संरचनाओं का निर्माण न करने पर सहमति व्यक्त की।
  • 1980 का दशक: भारत ने घुसपैठ, तस्करी और अवैध प्रवासन को रोकने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा के महत्त्वपूर्ण हिस्सों पर काँटेदार तार की बाड़ लगाने की पहल की।
  • वर्ष 2015: भूमि सीमा समझौता (LBA)
    • दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे एन्क्लेव और भूमि विवादों को सुलझाया गया।
    • बेहतर सीमा सीमांकन संभव हुआ, अतिरिक्त बाड़ लगाने में सुविधा हुई।
    • भारत ने समझौते को लागू करने के लिए 100वाँ संविधान संशोधन लागू किया।
  • वर्ष 2019: ऑपरेशन बोल्ड-क्यूआईटी लॉन्च (Operation BOLD-QIT Launche):
    • असम के धुबरी जिले में व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) के तहत तैनात।
    • सीमा के नदी और छिद्रपूर्ण क्षेत्रों के लिए इलेक्ट्रॉनिक निगरानी शुरू की गई।
  • वर्ष 2023: बाड़ लगाने की प्रगति: वर्ष 2023 तक 4,096.7 किलोमीटर सीमा के लगभग 81.5% हिस्से पर बाड़ लगा दी गई है।
    • नदी वाले इलाके, स्थानीय समुदायों का प्रतिरोध और लंबित भूमि अधिग्रहण जैसी चुनौतियाँ प्रगति में बाधा डालती रहीं हैं।

भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के बारे में

  • भारत सात देशों के साथ अपनी अंतरराष्ट्रीय भूमि सीमा साझा करता है और इसकी तटरेखा 7,516 किमी लंबी है।
  • कुल भूमि सीमा की लंबाई: 15,106.7 किमी.
  • भारत इन देशों के साथ सीमा साझा करता है।
    • बांग्लादेश: पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के साथ 4096.70 किलोमीटर।
    • पाकिस्तान: गुजरात, राजस्थान, पंजाब, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ 3,323 किलोमीटर।
    • चीन: अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के साथ 3,488 किलोमीटर।
    • नेपाल: उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के साथ 1,751 किलोमीटर।
    • भूटान: सिक्किम, पश्चिम बंगाल, असम और अरुणाचल प्रदेश के साथ 699 किलोमीटर।
    • म्याँमार: अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम के साथ 1,643 किलोमीटर।
    • अफगानिस्तान: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के साथ 106 किलोमीटर।

भारत में सीमा प्रबंधन

भारत के सीमा प्रबंधन में कई एजेंसियाँ एवं सैन्य बल शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक की सीमा के प्रकार और उससे जुड़ी चुनौतियों के आधार पर विशिष्ट जिम्मेदारियाँ हैं। प्रभावी प्रबंधन के लिए इन एजेंसियों के बीच समन्वय बहुत आवश्यक है।

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA): गृह मंत्रालय सभी सीमा सुरक्षा बलों की नीति और परिचालन पहलुओं की देखरेख करता है।
    • मुख्य विभाग
      • सीमा प्रबंधन विभाग: सड़क, बाड़ लगाने और फ्लडलाइटिंग जैसे बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
        • सीमा क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) की देखरेख करता है।
  • सीमा सुरक्षा बल (BSF): पाकिस्तान (3,323 किमी.) और बांग्लादेश (4,096.7 किमी.) के साथ सीमाओं का प्रबंधन करता है।
    • प्राथमिक कार्य
      • तस्करी, घुसपैठ और अवैध प्रवास जैसे सीमा पार अपराधों को रोकना।
      • जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाना।
      • शांति के समय अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर शांति बनाए रखना।
    • विशेषताएँ: उन्नत निगरानी प्रौद्योगिकी, स्मार्ट फेंसिंग और फ्लडलाइट्स से सुसज्जित।
  • भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP): भारत-चीन सीमा (3,488 किमी.) की सुरक्षा करती है।
    • प्राथमिक कार्य
      • वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर निगरानी रखना एवं सुरक्षा बनाए रखना।
      • अत्यधिक ऊँचाई और चुनौतीपूर्ण इलाकों में कार्य करना।
      • आवश्यकता पड़ने पर आपदा प्रबंधन और आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों में सहायता करना।
  • सशस्त्र सीमा बल (SSB): नेपाल (1,751 किमी.) और भूटान (699 किमी.) के साथ सीमाओं की सुरक्षा करता है।
    • प्राथमिक कार्य
      • तस्करी, अवैध प्रवास और मानव तस्करी जैसे सीमा पार अपराधों को रोकना।
      • सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए स्थानीय कानून प्रवर्तन के साथ मिलकर कार्य करना।
    • विशेष भूमिका: नेपाल के साथ खुली सीमा प्रणाली में रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में कार्य करता है।
  • असम राइफल्स 
    • जिम्मेदारी: भारत-म्याँमार सीमा (1,643 किमी) का प्रबंधन।
    • प्राथमिक कार्य
      • पूर्वोत्तर क्षेत्र में तस्करी, हथियारों की तस्करी और उग्रवाद को रोकना।
      • आतंकवाद विरोधी अभियान चलाना और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सहायता करना।
      • विकासात्मक पहलों में स्थानीय प्रशासन का समर्थन करना।
  • भारतीय तटरक्षक बल (ICG): श्रीलंका, मालदीव और इंडोनेशिया के साथ समुद्री सीमाओं सहित भारत की 7,516.6 किलोमीटर लंबी तटरेखा की सुरक्षा करता है।
    • प्राथमिक कार्य
      • अवैध मछली पकड़ने, तस्करी और समुद्री डकैती को रोकना।
      • खोज और बचाव अभियान चलाना।
      • समुद्री जैव विविधता की रक्षा करना और समुद्री कानूनों को लागू करना।

गोल्डन ट्राइंगल (Golden Triangle)

  • ‘गोल्डन ट्राएंगल’ दक्षिण-पूर्व एशिया का एक पहाड़ी क्षेत्र है, जो उत्तर-पूर्वी म्याँमार, उत्तर-पश्चिमी थाईलैंड और उत्तरी लाओस में स्थित है।
  • गोल्डन ट्राएंगल 1950 के दशक से लेकर 2000 के दशक की शुरुआत तक अफीम और हेरोइन का एक प्रमुख उत्पादक था।

गोल्डन क्रिसेंट (Golden Crescent) 

  • दूसरी ओर, गोल्डन क्रिसेंट अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान में एक प्रमुख वैश्विक अफीम उत्पादन स्थल है, जहाँ से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के माध्यम से भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी की जाती है।

सीमा प्रबंधन का महत्त्व

  • राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना: सीमा पार आतंकवाद और घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा प्रबंधन महत्त्वपूर्ण है।
    • भारत को भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर घुसपैठियों से लगातार खतरा बना रहता है, जैसा कि पठानकोट (2016) और उरी (2016) हमलों में देखा गया है।
  • तस्करी और मानव तस्करी पर अंकुश लगाना: प्रभावी सीमा प्रबंधन से अवैध व्यापार, मादक पदार्थों और मानव तस्करी में कमी आती है।
    • भारत-बांग्लादेश की सीमा पर स्थित झरझरा क्षेत्र मवेशियों की तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी का केंद्र है, जिसके आर्थिक और सामाजिक निहितार्थ महत्त्वपूर्ण हैं।
    • भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) 1970 के दशक से मादक पदार्थों की तस्करी की चुनौती से जूझ रहा है, जिसका मुख्य कारण यह क्षेत्र गोल्डन ट्राइंगल से निकटता है।
  • अवैध प्रवासन को नियंत्रित करना: अनियमित सीमाएँ सीमावर्ती राज्यों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन और सामाजिक-आर्थिक तनाव का कारण बनती हैं।
    • भारत के महापंजीयक और असम में भारत के जनगणना आयुक्त ने एक अंतिम सूची प्रकाशित की है, जिसमें असम में रहने वाले 19 लाख से अधिक लोगों को अवैध प्रवासी घोषित किया गया है।
  • उग्रवाद और हथियारों की तस्करी को रोकना: पूर्वोत्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में उग्रवाद से निपटने के लिए सीमा प्रबंधन महत्त्वपूर्ण है।
    • भारत-म्याँमार सीमा उग्रवादी समूहों की आवाजाही और हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी को सुगम बनाती है।
  • क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करना: विवादित सीमाओं का प्रबंधन संप्रभुता बनाए रखने और क्षेत्रीय उल्लंघनों को रोकने में मदद करता है।
    • भारत-चीन सीमा (LAC) पर अक्सर घुसपैठ देखी गई है, जैसे कि गलवान घाटी संघर्ष (2020), जिसके लिए मजबूत सीमा निगरानी और प्रबंधन की आवश्यकता है।
  • व्यापार और विकास को सुविधाजनक बनाना: अच्छी तरह से प्रबंधित सीमाएँ वैध व्यापार और सीमा पार सहयोग को बढ़ावा देती हैं, जिससे आर्थिक संबंधों को बढ़ावा मिलता है।
    • भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार पर प्रोटोकॉल (PIWTT) जैसे समझौते विनियमित आवाजाही सुनिश्चित करते हुए व्यापार संपर्क को बढ़ाते हैं।

भारत में सीमा प्रबंधन के लिए सरकारी पहल

  • बुनियादी ढाँचे का विकास
    • सीमा सड़कें और राजमार्ग: दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर संपर्क के लिए सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा विकसित।
      • उदाहरण: जोजिला सुरंग, अटल सुरंग और अरुणाचल प्रदेश में सभी मौसम वाली सड़कें।
    • एकीकृत चेक पोस्ट (ICP): व्यापार और आवाजाही को सुव्यवस्थित करने के लिए सीमा पार करने वाले स्थानों पर आधुनिक बुनियादी ढाँचा।
      • बायोमेट्रिक स्कैनर, CCTV निगरानी और एक्स-रे बैगेज स्कैनर से सुसज्जित।
      • भारत-भूटान सीमा पर पहला एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) नवंबर 2024 में असम के दर्रांगा में खोला गया।
    • सीमा बाड़ लगाना: भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश जैसी संवेदनशील सीमाओं पर कंपन सेंसर, लेजर दीवारों और भौतिक बाड़ लगाने का उपयोग।
    • वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023 भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के 100 किलोमीटर के भीतर सुरक्षा-संबंधी परियोजनाओं के लिए वन भूमि के डायवर्जन की अनुमति देता है।
  • सीमा क्षेत्र विकास
    • सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BEDP): सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया।
      • कनेक्टिविटी के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाली लाइटिंग और वाई-फाई हॉटस्पॉट की स्थापना।
    • वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP): अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में उत्तरी सीमा पर चयनित गाँवों के व्यापक विकास के लिए वर्ष 2023 में शुरू की गई केंद्र प्रायोजित योजना है।
    • आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी ढांचा: उन्नत सामग्री और डिजाइन का उपयोग करके बाढ़ प्रतिरोधी सड़कों और भवनों का निर्माण।
  • उन्नत निगरानी और मॉनीटरिंग प्रौद्योगिकी
    • व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS): एक ऐसी प्रणाली, जो भारत में सीमा सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी, जनशक्ति और खुफिया जानकारी का उपयोग करती है।
      • लेज़र-आधारित घुसपैठ का पता लगाने वाली स्मार्ट बाड़ लगाना।

बोल्ड-क्यूआईटी: बॉर्डर इलेक्ट्रॉनिकली डॉमिनेटेड क्यूआरटी इंटरसेप्शन तकनीक (BOLD-QIT: Border Electronically Dominated QRT Interception Technique)

  • व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) के हिस्से के रूप में वर्ष 2019 में लॉन्च किया गया।
  • उद्देश्य: भारत-बांग्लादेश सीमा के नदी और झरझरा क्षेत्रों में निगरानी को मजबूत करना।
  • कार्यान्वयन: ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन के साथ असम के धुबरी जिले में तैनात।
  • विशेषताएँ
    • रडार, ग्राउंड सेंसर और थर्मल इमेजर सहित इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली।
    • माइक्रोवेव संचार और दिन-रात कैमरों का एकीकरण।

      • बॉर्डर इलेक्ट्रॉनिकली डोमिनेटेड क्यूआरटी इंटरसेप्शन तकनीक (BOLD-QIT)
      • थर्मल इमेजर, नाइट विजन डिवाइस और ग्राउंड सेंसर।
      • वास्तविक समय की निगरानी के लिए एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र।
    • मानव रहित हवाई वाहन (UAV): दुर्गम इलाकों में हवाई निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग।
      • उदाहरण: भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान सीमाओं पर हेरॉन ड्रोन की तैनाती।
    • सैटेलाइट-आधारित निगरानी: रियल-टाइम इमेजरी और बॉर्डर मैपिंग के लिए रडार इमेजिंग सैटेलाइट (RISAT) और CARTOSAT का उपयोग।
    • नाइट विजन और इन्फ्रारेड तकनीक: कम दृश्यता की स्थिति में हलचल का पता लगाने के लिए थर्मल इमेजिंग कैमरे और इन्फ्रारेड सेंसर की तैनाती।
    • ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR): संवेदनशील सीमा क्षेत्रों में सुरंगों और भूमिगत गतिविधियों का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है।

भारत में सीमा प्रबंधन की चुनौतियाँ

  • भौगोलिक और स्थलाकृतिक चुनौतियाँ
    • विविध भू-भाग: भारत की सीमाएँ पहाड़ों, रेगिस्तानों, नदियों और जंगलों तक फैली हुई हैं, जिससे निगरानी और बुनियादी ढाँचे का विकास जटिल हो जाता है।
      • उदाहरण: लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के साथ उच्च ऊँचाई वाले हिमालयी क्षेत्र।
    • छिद्रपूर्ण सीमाएँ: बिना बाड़ वाली और छिद्रपूर्ण सीमाएँ, विशेष रूप से बांग्लादेश (4,096 किमी.) और म्याँमार (1,643 किमी.) के साथ, अवैध प्रवास, तस्करी और घुसपैठ को बढ़ावा देती हैं।
    • जलवायु संबंधी चरम सीमाएँ: लद्दाख में अत्यधिक ठंड या पूर्वोत्तर में घने मानसून जैसी कठोर मौसम की स्थितियाँ परिचालन में बाधा डालती हैं।
  • सुरक्षा चुनौतियाँ
    • सीमा पार आतंकवाद: विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में भारत-पाकिस्तान सीमा पर आतंकवादी समूहों द्वारा लगातार घुसपैठ के प्रयास ।
    • उग्रवाद और अलगाववाद: पूर्वोत्तर के सीमावर्ती क्षेत्र, जैसे नागालैंड और मणिपुर, उग्रवाद का सामना करते हैं, जो म्यांमार के साथ छिद्रपूर्ण सीमाओं का लाभ उठाते हैं।
    • तस्करी और मानव तस्करी
      • भारत-बांग्लादेश: मादक पदार्थों, हथियारों और मवेशियों की तस्करी।
      • भारत-नेपाल और भारत-म्याँमार: मानव तस्करी और नशीली दवाओं की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है।
  • बुनियादी ढाँचे और तकनीकी अंतराल
    • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: दूरदराज के इलाकों में सीमा सड़कें और सुविधाएँ अविकसित हैं, जिससे सेना की आवाजाही और रसद में देरी हो जाती है।
      • उदाहरण: भारत चीन सीमा पर, भारतीय सड़कें LAC से 60-80 किमी. पहले समाप्त हो जाती हैं, हालाँकि चीनी बुनियादी ढाँचा सीमा के बहुत करीब है, जिससे रसद संबंधी लाभ मिलता है।
    • सीमित प्रौद्योगिकी अपनाना: कई सीमावर्ती क्षेत्रों में आधुनिक निगरानी प्रणाली, जैसे स्मार्ट बाड़, ड्रोन और थर्मल कैमरे की कमी है, विशेषकर भारत-म्याँमार और भारत-नेपाल सीमाओं पर।
    • डिजिटल डिवाइड: सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमित इंटरनेट और संचार नेटवर्क वास्तविक समय डेटा साझाकरण और समन्वय में बाधा डालते हैं।
  • राजनीतिक एवं प्रशासनिक चुनौतियाँ
    • संघीय संघर्ष: सीमाओं के प्रबंधन को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय के मुद्दे, विशेषकर भारत-बांग्लादेश जैसी राज्य-नियंत्रित सीमाओं पर।
    • पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद: चीन (LAC) और पाकिस्तान (LoC) के साथ चल रहे विवाद सीमा प्रबंधन को जटिल बनाते हैं और अक्सर झड़पों का कारण बनते हैं।
    • अधिकार क्षेत्रों का ओवरलैप होना: BSF, ITBP, असम राइफल्स और स्थानीय पुलिस जैसी कई एजेंसियों को अक्सर समन्वय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • सामाजिक-आर्थिक चुनौतियाँ
    • स्थानीय समुदाय की भागीदारी: पूर्वोत्तर भारत जैसे क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास न होने के कारण सीमावर्ती समुदायों के बीच सीमित विश्वास और सहयोग मिलता है।
    • प्रवासन संबंधी मुद्दे: बांग्लादेश और म्याँमार से अवैध प्रवासन असम और पश्चिम बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्यों में जनसांख्यिकीय और संसाधन संबंधी दबाव उत्पन्न करता है।
  • वित्तीय बाधाएँ
    • बजटीय सीमाएँ: बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण और UAV और स्मार्ट बाड़ जैसी उन्नत तकनीकों को हासिल करने के लिए पर्याप्त धन की कमी भी प्रमुख बाधा है।
    • रखरखाव लागत: विशेष रूप से कठिन इलाकों में सीमा सड़कों, बाड़ लगाने और निगरानी उपकरणों के रखरखाव के लिए उच्च लागत का भार बढ़ जाता है।
  • गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरे
    • साइबर सुरक्षा: महत्त्वपूर्ण सीमा प्रबंधन प्रणालियों को लक्षित करने वाले साइबर हमलों का खतरा।
      • उदाहरण: भारत-चीन सीमा पर संवेदनशील क्षेत्रों में साइबर घुसपैठ पर चिंता।
    • जलवायु परिवर्तन: ग्लेशियरों का पिघलना, नदियों के मार्ग में परिवर्तन तथा चरम मौसम की घटनाएँ सीमा पर अवसंरचना और संचालन को बाधित करती हैं।
      • उदाहरण: भारत-बांग्लादेश सीमा पर नदियों की सीमाओं का स्थानांतरण।

भारत में सीमा प्रबंधन में आगे की राह

  • बुनियादी ढाँचे का विकास: सीमा सड़क संगठन (BRO) जैसी पहलों के माध्यम से दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में सभी मौसमों के अनुकूल सड़कों, सुरंगों और पुलों के निर्माण में तेजी लाना।
    • व्यापार और सुरक्षा को कारगर बनाने के लिए उन्नत स्कैनिंग और निगरानी तकनीकों से लैस एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) विकसित करना।
  • प्रौद्योगिकी एकीकरण: वास्तविक समय की निगरानी के लिए स्मार्ट फेंसिंग, थर्मल कैमरा, ड्रोन और ग्राउंड सेंसर के साथ व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (Comprehensive Integrated Border Management System-CIBMS) का विस्तार करना।
    • सीमा संबंधी गतिविधियों की निगरानी और विश्लेषण करने के लिए उपग्रह इमेजरी और AI-संचालित विश्लेषण का उपयोग करना।
  • बेहतर समन्वय: BSF, ITBP और स्थानीय पुलिस जैसी कई एजेंसियों के बीच संचालन को कारगर बनाने के लिए एकीकृत कमांड सेंटर स्थापित करना।
    • समन्वित सीमा प्रबंधन योजना (CBMP) जैसे संयुक्त गश्त और द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से पड़ोसी देशों के साथ सहयोग में सुधार करना।
  • सामुदायिक जुड़ाव: सीमावर्ती समुदायों की सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं को पूर्ण करने, सहयोग को बढ़ावा देने और कमजोरियों को कम करने के लिए सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) को मजबूत करना।
    • स्थानीय आबादी को संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने में सहायता करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • क्षमता निर्माण और आधुनिकीकरण: सीमा सुरक्षा बलों को उन्नत निगरानी तकनीकों, उच्च-ऊँचाई वाले अभियानों और आतंकवाद विरोधी रणनीति में प्रशिक्षित करना।
    • बलों को GPS-सक्षम उपकरणों, एन्क्रिप्टेड संचार प्रणालियों और नाइट विजन तकनीक जैसे आधुनिक उपकरणों से लैस करना।
  • नीतिगत और वित्तीय सहायता: बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी दोनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सीमा प्रबंधन के लिए अधिक धन आवंटित करना।
    • स्थायी सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के लिए प्रवासन मुद्दों, सीमा पार विवादों और तस्करी को संबोधित करने वाली दीर्घकालिक नीतियाँ निर्मित करना।

निष्कर्ष 

भारत की सीमा प्रबंधन रणनीति में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने और स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा चिंताओं को विकासात्मक लक्ष्यों के साथ संतुलित करना होगा।

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