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ब्रिज रीकॉम्बिनेज मैकेनिज्म

Lokesh Pal July 10, 2024 04:06 97 0

संदर्भ

आनुवंशिक इंजीनियरिंग शोधकर्ताओं ने अगली पीढ़ी की जीनोमिक डिजाइन विधि की खोज की है, जिसे ‘ब्रिज रिकॉम्बिनेज मैकेनिज्म’ (Bridge Recombinase Mechanism) के नाम से जाना जाता है।

  • इन निष्कर्षों को दो शोधपत्रों के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं, जिनमें इस खोज और ‘ब्रिज’ RNA अणु की कार्यप्रणाली का वर्णन किया गया है, जिसे आवश्यकतानुसार पुनः प्रोग्राम किया जा सकता है तथा इन जीनों की खोजी गई पुनर्संयोजन क्षमता के पीछे संरचनात्मक तंत्र का भी वर्णन किया गया है।

ब्रिज रिकॉम्बिनेज मैकेनिज्म (Bridge Recombinase Mechanism) के बारे में

  • यह उपकरण शोधकर्ताओं को बहुत लंबे DNA अनुक्रमों पर पुनर्व्यवस्थित करने, पुनर्संयोजन करने, परिवर्तित करने, प्रतिरूपित करने, स्थानांतरित करने और अन्य एडिटिंग संबंधी कार्य करने की अनुमति देगा।]

  • अस्तित्व: यह जीन एडिटिंग विधि प्राकृतिक रूप से मौजूद है और अब इसकी खोज हो चुकी है, यह क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats- CRISPR) की क्षमताओं और दायरे से परे जीनोम एडिटिंग करने की मानव क्षमता को बढ़ाती है।
    • CRISPR एक ऐसी तकनीक है, जिसका उपयोग जीवित जीवों के DNA को संशोधित करने के लिए किया जा सकता है।
      • यह गतिशील आनुवंशिक तत्त्वों या ‘जंपिंग जीन (Jumping Genes)’ का उपयोग करता है, जो स्वयं को जीनोम में काटते एवं चिपकाते हैं और सभी प्रकार के जीवन में मौजूद होते हैं तथा सभी जीवित प्राणियों के माध्यम से DNA में हेरफेर करते हैं।
  • ट्रांसपोसाॅन्स (Transposons) या जंपिंग जीन की भूमिका: जंपिंग जीन के सिरों पर स्थित अतिरिक्त DNA के टुकड़े आपस में जुड़ जाते हैं और DNA डबल हेलिक्स संरचना को एकल-रज्जुक वाले RNA अणु (Single-stranded RNA Molecule) में परिवर्तित कर देते हैं, जो दो लूपों में मुड़ जाता है।
    • बाइंडिंग: इसके बाद यह DNA के दो सेटों, डोनर (Donor) और टारगेट (Target) से जुड़ सकता है, जिसमें तत्त्व का प्रत्येक लूप डोनर सेगमेंट (Donor Segment) और टारगेट सेगमेंट (Target Segment) से स्वतंत्र रूप से बँधता है। 
    • ब्रिजिंग: ‘टारगेट DNA सेगमेंट’ वह है जिसे संशोधित करने की आवश्यकता है और ‘डोनर सेगमेंट’ वह है जिसके भागों का उपयोग लक्ष्य अनुक्रम (Target Sequence) को संशोधित करने के लिए किया जाएगा। इस प्रकार, यह जंपिंग जीन तब एक ब्रिज के रूप में कार्य करता है, जो असंबद्ध  DNA के दो टुकड़ों को पुनः जोड़ता है।
    • स्वतंत्र कार्य: डोनर लूप और टारगेट लूप को स्वतंत्र रूप से प्रोग्राम किया जा सकता है, जिससे DNA में अनुक्रमों को सम्मिलित करने या पुनर्संयोजित करने में बहुत लचीलापन प्राप्त होता है।
    • IS110: यह जंपिंग जीन का नाम है, जिसका अर्थ है सम्मिलन अनुक्रम/इन्सरसन सीक्वेंस (Insertion Sequence), और ऐसे अनुक्रम बैक्टीरिया (ई. कोली) में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
      • ई. कोलाई (E. coli) बैक्टीरिया में, ब्रिज RNA में 60% से अधिक सम्मिलन दक्षता (यानी एक वांछित जीन प्रस्तुत करने की क्षमता) और 94% विशिष्टता (जीनोम पर इच्छित स्थान को लक्षित करने की क्षमता) थी।
      • वे शरीर में घूमते रहते हैं, स्वयं को काटते और चिपकाते हैं, DNA की मरम्मत करते हैं और प्रतिदिन उसमें संशोधन करते हैं।
      • IS110 ब्रिज पुनर्संयोजन प्रणाली, CRISPR और RNA हस्तक्षेप से परे न्यूक्लिक-एसिड-निर्देशित प्रणालियों की विविधता का विस्तार करती है, तथा जीनोम डिजाइन के लिए आवश्यक तीन मौलिक DNA पुनर्व्यवस्था (इंसर्शन, उच्छेदन और व्युत्क्रमण) के लिए एकीकृत तंत्र प्रदान करती है।
  • संरचना: यह तंत्र क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (एक तकनीक जिसमें नमूनों को क्रायोजेनिक तापमान तक ठंडा किया जाता है ताकि आंतरिक टुकड़ों की त्रि-आयामी संरचना निर्धारित की जा सके) से प्राप्त परिणामों की रिपोर्ट करता है।
    • क्रायोजेनिक तापमान सीमा को -150°C से परम शून्य या -273°C तक परिभाषित किया गया है।
    •  IS110 ट्रांसपोसंस का अध्ययन करने के लिए क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग करने पर, यह पाया गया कि यह एक डिमर (Dimer) के रूप में कार्य करता है, जो एक जटिल यौगिक है साथ ही एक सरल यौगिक की दो प्रतियों को जोड़कर बनाया जाता है।
      • एक प्रतिलिपि टारगेट DNA से जुड़ती है और दूसरी डोनर DNA से जुड़ती है, जो ब्रिज RNA द्वारा संयोजित होती है।

महत्त्व 

  • सिंथेटिक जीव विज्ञान के लिए एक बड़ा वरदान: इस तकनीक का उपयोग विभिन्न प्रकार की आनुवंशिक बीमारियों (किसी जीन की कार्यात्मक प्रतिलिपि को किसी दिए गए जीनोमिक स्थान पर प्रतिस्थापित किया जा सकता है) के प्रबंधन या यहाँ तक ​​कि उपचार के लिए किया जा सकता है।
    • इन गतिशील अनुक्रमों के रीकॉम्बिनेज जीन के चारों ओर मौजूद फ्लैंकिंग DNA (DNA खंड के दोनों ओर पाए जाने वाले अनुक्रम) की भूमिका को पहली बार समझा गया है। 
    • भविष्य की संभावनाएँ: शोधकर्ता गुणसूत्रीय व्युत्क्रमण या विलोपन का भी उपचार करने में सक्षम हो सकते हैं, जो वर्तमान में हमारे पास उपलब्ध किसी भी संपादन उपकरण की पहुँच से परे है।
      • इससे रोगों के लिए अधिक उन्नत जीन संपादन चिकित्सा पद्धति और उपचार की संभावना उत्पन्न होने की उम्मीद है। 

सीमाएँ (Limitations)

  • चूँकि RNA ब्रिज कुछ जीनों वाले एक छोटे से खंड के बजाय DNA के बड़े अनुक्रमों को संशोधित करता है, इसलिए DNA अनुक्रमों के बड़े टुकड़ों को संशोधित करने वाली यह तकनीक अनजाने परिणामों के जोखिम को बढ़ा देती है।
    • निष्कर्षों की एक सीमा यह है कि अध्ययन इन विट्रो या प्रयोगशाला में बैक्टीरिया पर किए गए थे। किसी भी इंसान पर लागू करने के लिए, उन्हें पहले पशु और विशेष रूप से स्तनपायी जीवों पर प्रयोग करने की आवश्यकता होगी।

अन्य जीन-एडिटिंग प्रौद्योगिकियाँ (Gene-Editing Technologies)

  • CRISPR-Cas9: एक अनुकूलन योग्य उपकरण जो वैज्ञानिकों को DNA स्ट्रैंड के साथ सटीक क्षेत्रों में DNA के छोटे टुकड़ों को काटने और प्रविष्ट की सुविधा देता है।
  • TALE न्यूक्लिअस (TALE Nucleases): जीवित कोशिकाओं में अद्वितीय जीनोमिक अनुक्रमों को विभाजित करने वाले न्यूक्लिअस का उपयोग लक्षित जीन एडिटिंग के लिए किया जा सकता है।
  • जिंक-फिंगर न्यूक्लिअस (Zinc-finger Nucleases): चयनित जीनोमिक अनुक्रम को विभाजित करने के लिए लक्षित तथा कोशिकीय मरम्मत प्रक्रियाओं को प्रभावी बनाता है, जो बदले में लक्षित स्थान के कुशल संशोधन में मध्यस्थता करता है।
  • RNA इंटरफेरेंस  (RNA interference- RNAi): जीन एक्सप्रेशन को अवरुद्ध या सक्रिय करने के लिए RNA अणुओं को लक्षित करता है।

RNA ब्रिज CRISPR, RNAi से किस प्रकार भिन्न है?

  • एक्सप्रेस/एक्टिवेट पर: CRISPR और RNA इंटरफेस (RNA Interface- RNAi) दोनों ही जीन एक्सप्रेशन को अवरुद्ध करके या उसे सक्रिय करके कार्य करते हैं। RNAi, ऐसे RNA अणुओं को लक्षित करके करता है, जो फिर जीन एडिटिंग करने का कार्य करते हैं, जबकि CRISPR सीधे DNA की एडिटिंग करता है।
  • परिवर्तन का दायरा: CRISPR-मेडिएटेड एडिटिंग कभी-कभी मरम्मत प्रक्रिया के दौरान न्यूक्लियोटाइड के छोटे-छोटे टुकड़े जोड़/हटा देता है। दूसरी ओर ब्रिज RNA द्वारा मध्यस्थता वाला DNA पुनर्संयोजन एक स्पष्ट कट बनाता है, जिससे एडिटिंग विशिष्ट और साफ-सुथरी हो जाती है।
    • इसके अलावा, RNA ब्रिज वस्तुतः किसी भी लंबाई के DNA अनुक्रमों को जोड़ने, हटाने या परिवर्तित करने में सहायक हो सकता है।

ट्रांसपोसॉन या जंपिंग जीन के बारे में

  • ये DNA के न्यूनतम खंड होते हैं, जिनमें रीकॉम्बिनेज एंजाइम होता है, जो इस DNA को अन्य DNA से बाँधता है, साथ ही जीन के सिरों पर अतिरिक्त DNA खंड भी होते हैं।
  • खोज: बारबरा मैकक्लिंटॉक ने पाया कि कुछ जीन जीनोम के भीतर इधर-उधर घूमने में सक्षम थे। इन जीनों को मोबाइल एलिमेन्टस या ट्रांसपोसॉन कहा जाता था।
    • वर्ष 1948 से 1983 के बीच, शोधकर्ताओं ने कई तरह के जीवन-रूपों में ट्रांसपोसॉन पाया, जिनमें बैक्टीरियोफेज, बैक्टीरिया, पौधे, कीड़े, फल मक्खियाँ, मच्छर, चूहे और मनुष्य शामिल थे। उन्हें ‘जंपिंग जीन’ का उपनाम दिया गया।
  • कार्यप्रणाली: प्रोफेसर मैकक्लिंटॉक ने एक और महत्त्वपूर्ण अवलोकन किया, मोबाइल एलिमेन्टस को जहाँ भी प्रविष्ट कराया गया था, उसके आधार पर उनमें जीन एक्सप्रेशन को प्रतिवर्ती रूप से परिवर्तित करने की क्षमता थी।
    • उन्होंने आनुवंशिक विशेषताओं को समझने के लिए मक्के के दानों के रंगों का उपयोग किया और इस तरह मक्का के पौधे के जीनोम में घूमने वाले ट्रांसपोसॉन का पता लगाया।
  • उपलब्धि: इस कार्य के लिए उन्हें वर्ष 1983 में फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • ट्रांसपोसॉन का महत्त्व
    • समझ का दायरा बढ़ना: विशेष रूप से प्रकृति की विविधता को सक्षम करने में उनकी भूमिका के बारे में ट्रांसपोसॉन की खोज ने आनुवंशिकी की समझ में क्रांति ला दी।
    • विकास के उपकरण: ट्रांसपोसॉन विभिन्न प्रकार के एपिजेनेटिक तंत्रों का उपयोग करके जीन एक्सप्रेशन को ‘चालू’ या ‘बंद’ करके जीन के प्रभावों को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार जीनोम को पुनर्व्यवस्थित करने और परिवर्तन लाने की उनकी क्षमता के लिए उन्हें विकास के उपकरण कहा जाता है।
      • मानव जीनोम का 45% से अधिक भाग ट्रांसपोजेबल तत्त्वों से बना है।
  • चिंताएँ 
    • निष्क्रियता: ट्रांसपोसॉन भी जीन में उत्परिवर्तन पैदा करते हैं और बीमारियों को जन्म देते हैं। हालाँकि, अधिकांश ट्रांसपोसॉन में उत्परिवर्तन विरासत में मिले हैं और वे निष्क्रिय हो गए हैं और इस प्रकार जीनोम के भीतर घूम नहीं सकते हैं।
  • उठाए गए कदम: वर्षों से, शोधकर्ताओं ने जानवरों के जीनोम से निष्क्रिय ट्रांसपोसॉन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है, उम्मीद है कि परिणाम किसी बीमारी को ठीक करने या जीन थेरेपी के लिए आनुवंशिक सुधार जैसे बायोमेडिकल अनुप्रयोगों में उपयोगी होंगे।
    • उदाहरण: वर्ष 1997 में, शोधकर्ताओं ने मछली के जीनोम का अध्ययन किया और आणविक स्तर पर ‘स्लीपिंग ब्यूटी’ (Sleeping Beauty) नामक एक ट्रांसपोसॉन का पुनर्निर्माण किया। 
    • शोधकर्ताओं ने पहले ही कई प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले कशेरुकी ट्रांसपोसॉन की खोज कर ली है तथा वे इस दिशा में लगातार अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं।

DNA इंसर्शन के बारे में

  • यह एक आनुवंशिक प्रक्रिया है, जिसमें DNA के एक खंड को एक अलग DNA खंड में जोड़ा जाता है, उच्छेदन (Excision) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक क्षतिग्रस्त DNA खंड को हटा दिया जाता है और व्युत्क्रमण (Inversion) एक ऐसी विधि है, जिसमें गुणसूत्र में DNA के एक टुकड़े को पलट दिया जाता है।

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