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संक्षिप्त समाचार

Lokesh Pal June 20, 2024 04:41 140 0

बॉन जलवायु सम्मेलन 2024

(Bonn Climate Conference 2024)

हाल ही में जलवायु वित्त पर नवीन सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (New Collective Quantified Goal- NCQG) पर विचार-विमर्श बिना बॉन जलवायु सम्मेलन किसी आम सहमति के संपन्न हुआ। 

बॉन जलवायु सम्मेलन 2024 के मुख्य बिंदु

  • अनुकूलन और कार्बन बाजार: सम्मेलन के दौरान, अनुकूलन संकेतकों पर प्रगति की समीक्षा गई और पेरिस जलवायु समझौते के अनुच्छेद-6 के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय कार्बन बाजार में सुधार किया गया। 
  • नवीन सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG): प्राथमिक मुद्दे, जलवायु वित्त पर नवीन सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) तथा शमन कार्य कार्यक्रम (Mitigation Work Programme- MWP) पर वार्ता में कोई प्रगति नहीं हुई। 

नवीन सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG)

  • उत्पत्ति: COP 21 में, वर्ष 2025 के बाद की अवधि के लिए एक नया जलवायु वित्त लक्ष्य स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया था।
  • जलवायु वित्त: वर्ष 2009 में, UNFCCC के सदस्य देशों ने वर्ष 2020 तक प्रतिवर्ष 100 बिलियन डॉलर जुटाने पर सहमति व्यक्त की थी, जिसे बाद में वर्ष 2025 तक बढ़ा दिया गया। हालाँकि, विकसित देश इस प्रतिबद्धता को पूरी तरह से पूर्ण नहीं कर पाए हैं। 
  • उद्देश्य: NCQG का लक्ष्य मौजूदा जलवायु वित्तपोषण तंत्र की प्रमुख कमियों को दूर करते हुए जलवायु वित्तपोषण लक्ष्य को वर्तमान 100 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष से आगे बढ़ाना है। 

शमन कार्य कार्यक्रम (Mitigation Work Programme)

  • कार्यक्रम का फोकस: COP 26 में स्थापित, इस कार्यक्रम का उद्देश्य पेरिस समझौते के 1.5°C लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शमन महत्त्वाकांक्षा और कार्यान्वयन को तत्काल बढ़ाना है। वर्ष 2024 में, मुख्य फोकस ‘शहर: इमारतें और शहरी प्रणालियाँ’ पर किया गया है, जिसमें शामिल हैं- 
    • परिचालन उत्सर्जन में कमी (हीटिंग, कूलिंग)
    • कुशल भवन आवरण (रेट्रोफिटिंग) का डिजाइन तैयार करना 
    • सन्निहित उत्सर्जन को कम करना (निर्माण सामग्री) 
स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम 

(Streptococcal Toxic Shock Syndrome)

हाल ही में जापानी स्वास्थ्य अधिकारी जापान में स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (Streptococcal Toxic Shock Syndrome- STSS) के रूप में ज्ञात ‘मांस खाने वाले बैक्टीरिया’ के प्रकोप से चिंतित हैं, जहाँ देश भर में लगभग 1,000 मामले सामने आए हैं। 

स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) के बारे में 

  • कारण: STSS एक दुर्लभ लेकिन गंभीर जीवाणु संक्रमण है जो ग्रुप A स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होता है। 
    • यह तब होता है जब ये बैक्टीरिया गहरे ऊतकों और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर विषाक्त पदार्थ छोड़ते हैं, जो शरीर में तीव्र और खतरनाक प्रतिक्रिया का कारण बनते हैं।
  • संचरण: यद्यपि STSS से पीड़ित व्यक्ति द्वारा दूसरों में सीधे संक्रमण फैलाना दुर्लभ है, लेकिन ग्रुप A स्ट्रेप के साथ कम गंभीर संक्रमण, यदि उपचार न किया जाए, तो STSS में परिवर्तित हो सकता है। 
  • लक्षण: STSS की शुरुआत बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द जैसे शुरुआती लक्षणों से होती है।
  • रोकथाम: STSS को रोकने के लिए अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करना आवश्यक है, जैसे नियमित रूप से हाथ धोना और खाँसते एवं छींकते समय मुँह को ढकना। 
  • उपचार: STSS के उपचार में बैक्टीरिया को मारने के लिए आईवी (IV) के माध्यम से प्रभावी एंटीबायोटिक्स देना शामिल है। 
    •  मरीजों को रक्तचाप को स्थिर रखने और उनके अंगों को ठीक से कार्य करने में मदद करने के लिए तरल पदार्थ भी दिए जाते हैं। 
    • गंभीर मामलों में, संक्रमित ऊतक को हटाने और आगे की समस्याओं को रोकने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
बायोलुमिनेसेंस (Bioluminescence) चमकते प्रवाल से लेकर वोमिटिंग श्रिंप (झींगा)  तक, लाखों वर्षों से जीव संवाद स्थापित करने के लिए बायोलुमिनसेंस (Bioluminescence) का उपयोग करते रहे हैं। 

बायोलुमिनेसेंस (Bioluminescence)

  • परिचय: बायोलुमिनेसेंस जीवित जीवों द्वारा रासायनिक प्रतिक्रिया के माध्यम से प्रकाश का उत्पादन एवं उत्सर्जन है, जो इसे रसायन-प्रकाश-दीप्ति का एक प्रकार बनाता है। 
    • केमिलुमिनेसेंस (Chemiluminescence) शब्द का उपयोग उस रासायनिक प्रतिक्रिया के लिए किया जाता है जो प्रकाश उत्पन्न करती है और जब यह किसी जीवित जीव के भीतर होता है, तो इसे बायोल्यूमिनेसेंस के रूप में जाना जाता है। 
  • क्रियाविधि: बायोल्यूमिनेसेंस ल्यूसिफरिन (Luciferin) द्वारा ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके प्रकाश उत्पन्न करता है। 
    • जीव इस प्रतिक्रिया को तेज करने के लिए विभिन्न प्रकार के ल्यूसिफरिन का उपयोग कर सकते हैं और अक्सर ल्यूसिफरेज का उत्पादन करते हैं। 
    • वे अपनी जैव रासायनिक प्रक्रियाओं को विनियमित करके, कभी-कभी फोटोप्रोटीन का उपयोग करके, प्रकाश उत्सर्जित करने के समय और तीव्रता को नियंत्रित कर सकते हैं, जो कैल्शियम जैसे विशिष्ट आयनों की उपस्थिति में तुरंत सक्रिय हो जाते हैं। 
  • कार्य: यद्यपि सभी प्राणियों के लिए यह पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है, लेकिन बायोल्यूमिनेसेंस आम तौर पर शिकारियों को चेतावनी देने या उनसे बचने, शिकार को आकर्षित करने अथवा उसका पता लगाने तथा एक ही प्रजाति के सदस्यों के बीच संचार स्थापित करने जैसे उद्देश्यों को पूरा करता है। 
  • बायोलुमिनेसेंस वितरण (Bioluminescence Distribution): बायोलुमिनेसेंस विभिन्न समुद्री जीवों में व्याप्त है, जिनमें बैक्टीरिया, शैवाल, जेलीफिश, कृमि, क्रस्टेशियन, समुद्री तारे, मछली और शार्क शामिल हैं। 
कोल्लम बंदरगाह 

(Kollam Port) 

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोल्लम बंदरगाह (Kollam Port) को आव्रजन चेक पोस्ट (Immigration Check Post- ICP) के रूप में नामित किया।

कोल्लम बंदरगाह

  • परिचय: क्विलोन (Quilon) या कोल्लम (Kollam), अरब तट पर एक पुराना बंदरगाह शहर है। यह शहर पुराने दिनों में व्यापार का एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र हुआ करता था और अब इसे भारत के काजू का कटोरा (Cashew Bowl of India) कहा जाता है।
  • संसाधन: कोल्लम जिले के समुद्र तट की रेत में इल्मेनाइट (Ilmenite), रूटाइल, मोनोसाइट ( Monosite) और जिरकॉन (Zircon) जैसे भारी खनिजों का भंडार है, तथा कुंदरा (Kundara), मुलवाना (Mulavana ) और चथन्नूर (Chathannoor) में चीनी मिट्टी के बड़े भंडार हैं। 
    • यहाँ चूना-खोल और बॉक्साइट के भंडार भी हैं, जो इसे एक रणनीतिक खनन स्थान बनाते हैं।
    • बंदरगाह के भीतरी क्षेत्र में कॉयर (Coir), काजू, नारियल, लकड़ी, मसाले, स्टार्च, समुद्री उत्पाद, टाइलों के प्रसंस्करण/निर्माण में कई पारंपरिक औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित की गई हैं। 

भारत में आव्रजन चेक पोस्ट (ICPs) के रूप में बंदरगाह 

  • परिचय: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इससे पहले एक संसदीय पैनल को सूचित किया था कि भारत में 31 अधिकृत समुद्री बंदरगाह ICPs हैं और उनमें से 10 आव्रजन ब्यूरो, गृह मंत्रालय के प्रत्यक्ष नियंत्रण और प्रबंधन के अधीन हैं।
    • शेष ICPs का नियंत्रण राज्य पुलिस एजेंसियों के पास है। 

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