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योजना आयोग की वापसी की माँग

Lokesh Pal July 30, 2024 04:43 98 0

संदर्भ

हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने नीति आयोग को भंग करने का आह्वान करते हुए तर्क दिया कि यह बिना किसी महत्त्वपूर्ण उपयोगिता के केवल वार्षिक बैठकें आयोजित करता है।

  • नीति आयोग की आलोचना: उनका तर्क है, कि नीति आयोग में राज्य सरकारों के साथ उस अधिकार एवं समन्वय का अभाव है, जो एक समय योजना आयोग के पास था।
    • योजना आयोग के विपरीत, जो राष्ट्रीय एवं राज्य विकास को प्रभावी ढंग से निर्देशित करता है, नीति आयोग में प्रभाव का कमी है।
  • केंद्रीय बजट में पूर्वाग्रह
    • उन्होंने भाजपा शासित NDA सरकार पर ‘राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण बजट’ पेश करने का आरोप लगाया, जो NDA शासित राज्यों को लाभ पहुँचाता है, एवं विपक्षी राज्यों की उपेक्षा करता है।
    • यह भी दावा किया गया है कि बजट ‘गरीब-विरोधी’ एवं ‘जन-विरोधी’ है, जिससे पता चलता है, कि यह कम सुविधाप्राप्त क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने में विफल है।
  • पारदर्शिता की कमी
    • उन्होंने कहा कि योजना आयोग अपने दृष्टिकोण में पारदर्शी एवं समावेशी था, जबकि नीति आयोग समान स्तर की सहभागिता या स्पष्टता प्रदान नहीं करता है।
  • राज्य का अधूरा बकाया
    • उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल का ₹1.71 लाख करोड़ का बकाया भुगतान नहीं किया है एवं खाद्य सब्सिडी वापस ले ली है।
    • उन्होंने कहा कि, केंद्र ने कई ग्रामीण विकास योजनाओं को वित्तपोषित नहीं किया है, जिससे राज्य को केंद्र का हिस्सा भी वहन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
  • सेंट्रल ब्रांडिंग का विरोध
    • सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं को अपने लोगो के साथ ब्रांडिंग करने की कोशिश के लिए केंद्र सरकार की आलोचना हो रही है, उनका मानना ​​है कि यह इन पहलों की सहयोगात्मक प्रकृति को कमजोर करता है।
  • विभाजन का आरोप
    • उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल राजनीतिक कलह को बढ़ावा देने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए बिहार, झारखंड एवं बंगाल जैसे राज्यों के बीच विभाजन उत्पन्न करने का प्रयास कर रहा है।

योजना आयोग

  • योजना आयोग भारतीय नीति निर्धारण में एक प्रमुख निकाय था।
  • योजना आयोग ने देश के विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएँ बनाने एवं लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया।
  • स्थापना: 15 मार्च, 1950 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित किया गया। इसे वर्ष 2014 में नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
  • कार्य: राष्ट्रीय संसाधनों का मूल्यांकन करना, विकास योजनाओं का मसौदा तैयार करना एवं संसाधनों के उपयोग के लिए प्राथमिकताएँ निर्धारित करना।
  • कार्य
    • संसाधन मूल्यांकन: देश की पूँजी, सामग्री एवं मानव संसाधनों का विश्लेषण तथा संवर्द्धन।
    • योजना प्रारूपण: प्रभावी संसाधन उपयोग के लिए योजनाएँ विकसित करना।
    • कार्यान्वयन चरण: योजना कार्यान्वयन के लिए चरणों को परिभाषित करना एवं तदनुसार संसाधनों का आवंटन करना।
    • विकास बाधाएँ: आर्थिक विकास में आने वाली बाधाओं की पहचान करना और उन पर नियंत्रण के लिए परिस्थितियों की सिफारिश करना।
    • प्रगति मूल्यांकन: प्रगति के आधार पर नियमित रूप से समीक्षा की जाती है, एवं नीतिगत परिवर्तनों की सिफारिश की जाती है।
  • संघटन
    • अध्यक्ष: भारत के प्रधानमंत्री।
    • उपाध्यक्ष: पंचवर्षीय योजनाओं का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तरदायी पूर्णकालिक कार्यकारी प्रमुख।
    • सदस्य: अंशकालिक केंद्रीय मंत्री एवं वित्त तथा योजना मंत्री जैसे पदेन सदस्य शामिल हैं।

विकास प्रक्रिया एवं संघवाद में योजना आयोग की भूमिका

वर्ष 1950 में स्थापित भारत का योजना आयोग, वर्ष 2015 में नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने तक देश के विकास तथा संघवाद के लिए महत्त्वपूर्ण निकाय था।

विकास की प्रक्रिया

  • पंचवर्षीय योजनाएँ
    • आर्थिक योजना: योजना आयोग ने राष्ट्रीय आर्थिक लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रत्येक पाँच वर्ष में योजनाएँ बनाईं।
    • संसाधन आवंटन: इन योजनाओं ने निर्देशित किया कि संतुलित एवं कुशल उपयोग के लिए संसाधनों को विभिन्न क्षेत्रों में कैसे वितरित किया गया।
  • संसाधनों का आकलन एवं उपयोग
    • संसाधन मूल्यांकन: आयोग ने देश की पूँजी, सामग्री एवं कार्यबल का मूल्यांकन किया।
    • इष्टतम उपयोग: इसने इन संसाधनों का प्रभावी ढंग से एवं निष्पक्ष रूप से उपयोग करने की योजना निर्मित की।
  • कार्यान्वयन एवं निगरानी
    • चरणबद्ध कार्यान्वयन: आयोग ने योजनाओं को लागू करने के लिए चरणों की रूपरेखा तैयार की एवं प्रत्येक चरण के लिए संसाधन आवंटित किए।
    • प्रगति की समीक्षा: इसने नियमित रूप से प्रगति की जाँच की एवं आवश्यक समायोजन किए।
  • नीतिगत ढाँचा
    • आर्थिक नीतियाँ: आयोग ने आर्थिक विकास में बाधाओं की पहचान की एवं उन्हें दूर करने के उपाय सुझाए।
    • संस्थागत सेटअप: इसने सफल योजना कार्यान्वयन के लिए आवश्यक संस्थानों का निर्धारण किया।

संघवाद

  • केंद्र एवं राज्यों के बीच समन्वय: योजना आयोग ने केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच एक कड़ी के रूप में काम किया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि विकास योजनाएँ राष्ट्रीय उद्देश्यों से मेल खाती हों।
  • योजना हस्तांतरण: इसने सामान्य केंद्रीय सहायता (Normal Central Assistance- NCA) जैसी योजनाओं के माध्यम से राज्यों को योजना हस्तांतरण का प्रबंधन किया, जिससे संसाधनों को उचित रूप से वितरित करने में मदद मिली।
  • सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना: योजना प्रक्रिया में राज्यों को शामिल करके, आयोग ने राज्य-विशिष्ट आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं पर विचार करते हुए सहकारी संघवाद को बढ़ावा दिया।
  • क्षेत्रीय असमानताओं को संबोधित करना: आयोग का लक्ष्य पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर ध्यान केंद्रित करके एवं कम विकसित राज्यों को विशेष सहायता देकर क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना है।

योजना आयोग और नीति आयोग का तुलनात्मक अध्ययन

मापक

योजना आयोग

नीति आयोग

सदस्य

8 पूर्णकालिक सदस्य; कोई अंशकालिक सदस्य नहीं।

कम पूर्णकालिक सदस्य; आवश्यकतानुसार अंशकालिक।

वित्तीय शक्तियाँ

मंत्रालयों एवं राज्यों को धन आवंटित कर सकता है।

सलाहकारी संस्था, कोई फंड आवंटन अधिकार नहीं।

राज्यों की भूमिका

राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) की बैठकों तक सीमित।

योजना एवं नीति निर्माण में अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका।

सचिव सामान्य प्रक्रिया से नियुक्ति हुई। प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त CEOs कहलाते हैं।
नीति निर्माण नीति निर्माण एवं आवंटन पर राज्यों से परामर्श किया। नीति निर्माण के दौरान राज्यों से परामर्श किया।
निधि आवंटित करने की शक्ति धन आवंटित करने की शक्ति थी। धन आवंटित करने की शक्ति नहीं।
नीति  राज्यों पर नीतियों को थोपना। नीतियाँ थोपने की शक्ति नहीं।

नीति आयोग अवलोकन

  • पूरा नाम: नेशनल इंस्टिट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (National Institution for Transforming India)।
  • उद्देश्य: यह भारत सरकार का शीर्ष सार्वजनिक नीति थिंक टैंक है। 
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना एवं ‘बॉटम-टू-टॉप’ दृष्टिकोण के माध्यम से आर्थिक नीति-निर्माण में राज्य सरकारों को शामिल करना है।
  • स्थापना: NDA सरकार द्वारा वर्ष 2015 में स्थापित।
  • प्रतिस्थापन: इसने योजना आयोग का स्थान लिया, जिसका दृष्टिकोण ‘टॉप-टू-बॉटम’ था।

महत्त्वपूर्ण पहल

  • 15-वर्षीय रोडमैप: भारत के विकास के लिए दीर्घकालिक रणनीतिक योजना।
  • 7-वर्षीय दृष्टिकोण: मध्यम अवधि के लक्ष्यों के लिए रणनीति और कार्य योजना।
  • AMRUT : शहरी बुनियादी ढाँचा एवं विकास कार्यक्रम।
  • डिजिटल इंडिया: डिजिटल बुनियादी ढाँचे एवं सेवाओं को बढ़ावा देने की पहल।
  • अटल इनोवेशन मिशन: नवाचार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु।
  • चिकित्सा शिक्षा सुधार: चिकित्सा शिक्षा में सुधार।
  • कृषि सुधार: इसमें मॉडल भूमि पट्टा कानून एवं बेहतर कृषि विपणन के लिए सुधार शामिल हैं।
  • प्रदर्शन सूचकांक: स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जल प्रबंधन में राज्यों के प्रदर्शन को मापता है।
  • मुख्यमंत्रियों के उप-समूह: केंद्रीय योजनाओं, स्वच्छ भारत अभियान एवं कौशल विकास को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • कार्यबल: कृषि, गरीबी एवं अन्य मुद्दों का समाधान।
  • ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया लेक्चर सीरीज: विभिन्न विषयों पर शैक्षिक एवं सूचनात्मक शृंखला।

परिषद संरचना

  • सदस्य: इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, दिल्ली एवं पुडुचेरी के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल तथा प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक उपाध्यक्ष शामिल हैं।
  • अस्थायी सदस्य: प्रमुख विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों से चुने गए, जिनमें एक CEO , चार पदेन सदस्य तथा तीन अंशकालिक सदस्य शामिल हैं।

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