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कैनोर्हैब्डाइटिस एलिगेंस (Caenorhabditis elegans)

Lokesh Pal May 14, 2024 06:00 144 0

संदर्भ

कैनोर्हैब्डाइटिस एलिगेंस (Caenorhabditis elegans), जिसे “द वॉर्म” (The worm) भी कहा जाता है, इसका उपयोग अधिकांशतः वैज्ञानिक कार्यों तथा मस्तिष्क और कोशिकाएँ कैसे कार्य करती हैं, के संदर्भ में किया जाता है।

संबंधित तथ्य

  • यह पहला जीव था, जिसने अपने सभी जीन और मस्तिष्क के बीच संबंध का पता लगाया था।
  • ये कीड़े तेजी से बढ़ते हैं और अंडे से निकलने के बाद केवल 3-5 दिनों में वयस्क हो जाते हैं।

कैनोर्हैब्डाइटिस एलिगेंस

(Caenorhabditis elegans)

  • सी. एलिगेंस (C. elegans) पारदर्शी, निमेटोड, एक छोटा कीट होता है।
    • यह समशीतोष्ण मृदा के वातावरण में स्वतंत्र रूप से पाया जाता है।
  • यह लंबाई में लगभग 1 मिमी. होता है और इसका जीनस अनेक प्रकार की  प्रजातियों में पाया जाता है।
  • एलिगेंस नाम, ग्रीक और लैटिन शब्दों के मिश्रण से आया है जिसका अर्थ है- “रॉड जैसा (rod-like) और “सुरुचिपूर्ण”( “elegant.”)।
  • सी एलिगेंस (C. elegans) के मुख्य लक्षण:
    • सी. एलिगेंस (C. elegans) एक अखंडित ‘स्यूडोकोएलोमेट’ जीव है, जिसका अर्थ है कि इसके शरीर में  विभाजन का अभाव है और इसमें एक द्रवयुक्त गुहा होती है।
    • इसमें श्वसन या संचार प्रणाली नहीं है, जो इसे अन्य जटिल जीवों से अलग करती है।
    • अधिकांश एलिगेंस  हेर्मैफ्रोडाइट (Hermaphrodites) होते हैं, जो अंडे और शुक्राणु दोनों का उत्पादन करने में स्वयं सक्षम हैं।
      • हालाँकि, इस आबादी में कुछ नर भी होते हैं।
    • नर ‘सी. एलिगेंस’ (C. elegans)  के पास प्रजनन के लिए विशेष अद्वितीय पूँछ होती है, जिसमें प्रजनन क्रिया के दौरान उपयोग की जाने वाली स्पिक्यूल्स (Spicules), संरचनाएँ शामिल होती हैं।

स्यूडोमोनास व्रानोवेंसिस (Pseudomonas vranovensis)

  • स्यूडोमोनास व्रानोवेंसिस एक हानिकारक बैक्टीरिया है, जहाँ सी. एलिगेंस स्वाभाविक रूप से रहते हैं।
  • यह जीवाणु sRNA नामक एक छोटे अणु का उत्पादन करता है।
  • जब कीड़े इस जीवाणु को खाते हैं, तो वे  sRNA भी ग्रहण करते हैं।
    • sRNA कीड़े की खाने की आदतों को बदल देता है ताकि वे भविष्य में हानिकारक बैक्टीरिया से बच सकें।
    • यह व्यवहार कई पीढ़ियों के लिए कीटों की पीढ़ियों में व्यवस्थित किया जाता है।
  • पी. मेंडोसिना (P. mendocina)
    • सी एलिगेंस( C. elegans) के निवास स्थान में यह एक और जीवाणु है, जो हानिकारक नहीं बल्कि एक खाद्य स्रोत है।
    • रोगजनक पी. व्रानोवेंसिस (P. vranovensis) से बचने के लिए कीट भी गैर-रोगजनक ‘पी. मेंडोसिना’ का सेवन  करने से बचते हैं।
    • शोधकर्ताओं का सुझाव है कि पी. मेंडोसिना के सेवन से पाँचवीं पीढ़ी के आसपास “स्मृति की हानि” हो सकती है।

DNA और  RNA

  • DNA फॉस्फेट और शर्करा के अणुओं से बनी सीढ़ीनुमा संरचना होती है।
    • प्रत्येक शर्करा इकाई चार प्रकार की रासायनिक संरचनाओं से जुड़ी होती है: एडिनीन (A), साइटोसिन (C), गुआनिन (G), और थाइमिन (T)।
    • पी. व्रानोवेंसिस बैक्टीरिया के DNA में लगभग 6-7 मिलियन बेस होते हैं।
    • इसमें लगभग 5,500 जीन होते हैं। 
    • प्रत्येक जीन प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश प्रदान करता है।
  • RNA एक अर्द्ध-सीढ़ी या कंघी के समान है, जिसमें फॉस्फेट और शर्करा अणुओं से बनी संरचना होती है, और चार प्रकार के बेस होते हैं-: A, C, G, और यूरेसिल (U)।
  • प्रतिलेखन नामक एक प्रक्रिया के दौरान, एक कोशिका DNA से RNA तक जीन में बेस के अनुक्रम की प्रतिलिपि बनाती है। 
    • यह RNA, जिसे ‘मैसेंजर आरएनए’ (mRNA) के रूप में जाना जाता है , आनुवंशिक जानकारी को राइबोसोम तक पहुँचाता है।
  • राइबोसोम सेलुलर संरचनाएँ होती हैं, जहाँ mRNA द्वारा दिए गए निर्देशों के आधार पर प्रोटीन को एकत्रित किया जाता है।
  • mRNA की लंबाई उस जीन के समान होती है जिससे इसे ‘कॉपी’ किया जाता है, और यह सेल में प्रोटीन संश्लेषण के लिए एक ‘टेम्पलेट’ के रूप में कार्य करता है।
  • एसआरएनए और जीन (sRNA and Gene)
    • कुछ जीन mRNA और प्रोटीन के बजाय sRNA का उत्पादन करते हैं।
    • sRNA प्रोटीन और अन्य RNAs के साथ अंतर्संबंधित हो सकते है।
      • यह जीन अभिव्यक्ति को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
  • सी एलिगेंस (C. elegans) के साथ प्रयोग
  • प्रिंसटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि ‘सी. एलिगेंस कीट’ ने ‘पी. व्रानोवेंसिस बैक्टीरिया’ से ‘124-टाइन sRNA’ का सेवन किया।
    • इस sRNA ने कीट में मैको -1 नामक जीन की अभिव्यक्ति को कम कर दिया।
      • यह मनुष्यों में भी पाया जाता है और एक महत्त्वपूर्ण न्यूरोलॉजिकल भूमिका निभाता है।

सी. एलिगेंस और मानव जीनोम के बीच संबंध

  • सी एलिगेंस (C. elegans)  में पहचाने जाने वाले जीन, जो इसके विकास को प्रभावित करते हैं तथा  मानव जीनोम में भी पाए जाते हैं।
  • इन जीनों में उत्परिवर्तन को मनुष्यों में अंग विकृति से जोड़ा गया है।

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