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कैनोरहैबडाइटिस एलिगेंस

Lokesh Pal October 23, 2024 04:20 52 0

संदर्भ: 

वर्ष 2024 के नोबेल पुरस्कार विजेता (फिजियोलॉजी या मेडिसिन) आणविक जीवविज्ञानी गैरी रुवकुन (Gary Ruvkun) ने लघु कृमि कैनोरहैबडाइटिस एलिगेंस (Caenorhabditis Elegans) के योगदान पर प्रकाश डाला, वर्ष 2002, वर्ष 2006, वर्ष 2008 और वर्ष 2024 के चार नोबेल पुरस्कार इस विषय से संबंधित हैं।

वर्ष

नोबेल पुरस्कार विजेता

मुख्य योगदान

वर्ष 2002 सिडनी ब्रेनर, एच. रॉबर्ट होर्विट्ज, जॉन ई. सुल्स्टन  सी. एलेगेंस (C. Elegans) का एक मॉडल जीव के रूप में उपयोग करके अंग विकास और क्रमादेशित कोशिका मृत्यु [एपोप्टोसिस (Apoptosis)] के आनुवंशिक विनियमन की खोज।
वर्ष 2006 एंड्रयू जेड. फायर, क्रेग सी. मेलो RNA इंटरफेरेंस (RNA interference-RNAi) की खोज, जो जीन अभिव्यक्ति को विनियमित करने का एक तंत्र है, जिसका जीव विज्ञान एवं चिकित्सा में महत्त्वपूर्ण प्रभाव है।
वर्ष 2008 हेराल्ड जूर हौसेन, फ्रांस्वा बर्रे-सिनौसी (Françoise Barré-Sinoussi), ल्यूक मॉन्टैग्नियर  (Luc Montagnier) गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर में ह्यूमन पेपिलोमावायरस (Human Papillomavirus- HPV) की भूमिका की खोज तथा एड्स के कारण के रूप में HIV की पहचान।
वर्ष 2024 विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन (Victor Ambros and Gary Ruvkun) microRNA की खोज और पोस्ट-ट्रांसक्रिप्शनल जीन विनियमन में इसकी भूमिका। उन्होंने मौलिक जैविक प्रक्रियाओं को समझने के लिए सी. एलिगेंस का उपयोग किया।

कैनोरहेब्डिटिस एलिगेंस (Caenorhabditis elegans) या सी. एलिगेंस (C. Elegans) के बारे में

  • यह सूक्ष्म निमेटोड (गोल कृमि) का प्रकार है जो लगभग 1 मिमी. लंबा होता है और सामान्यतः मिट्टी में रहता है।
  • निमेटोड, जिन्हें गोल कृमि के रूप में भी जाना जाता है, कृमियों का एक विविध समूह है,जिसे नेमाटोडा संघ के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।

  • निमेटोड विभिन्न आवासों में मौजूद होते हैं, जिनमें मृदा, मीठे जल, समुद्री वातावरण और पौधों, जानवरों और मनुष्यों में परजीवी के रूप में शामिल हैं।
  • उन्हें प्रयोगशाला में ई. कोलाई (E. coli) युक्त पेट्री-डिश में उगाया जा सकता है, क्योंकि उनका प्राकृतिक आहार बैक्टीरिया है।
  • नामकरण और गति: इसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द ‘एलिगेंस’ से हुई है।
  • ऐतिहासिक महत्त्व: डॉ. सिडनी ब्रेनर को दुनिया भर की प्रयोगशालाओं में एक शोध मॉडल के रूप में सी. एलिगेंस को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है।

अनुसंधान में सी. एलिगेंस का महत्त्व

  • अनुसंधान फोकस: न्यूरोनल और आणविक जीव विज्ञान को समझने के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
  • सरलता: इसकी सरल संरचना और आनुवंशिक सुगमता के कारण यह अनुसंधान के लिए आदर्श है।

प्रयोगशालाओं में अनुसंधान मॉडल क्या हैं?

प्रयोगशाला में अनुसंधान मॉडल प्रयोग के लिए प्रयुक्त जैविक प्रक्रियाओं का सरलीकृत प्रतिनिधित्व है।

  • उद्देश्य: जटिल जैविक प्रणालियों को समझने में मदद करता है।
  • प्रकार: सेलुलर, एनिमल या कंप्यूटर-आधारित हो सकते हैं।
  • पुनरुत्पादन: दोहराए जाने वाले प्रयोगों की सुविधा देता है।
  • वैधता: बड़े जैविक संदर्भों पर लागू अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
  • उदाहरण: सामान्य मॉडल में सी. एलिगेंस, चूहे और खमीर शामिल हैं।

  • आनुवंशिक उपलब्धियाँ
    • पहला बहुकोशिकीय जीव, जिसका पूर्ण जीनोम अनुक्रमित किया गया।
    • तंत्रिका तंत्र के नेटवर्क का पूर्ण मानचित्रण करने वाला। 

माइटोकॉन्ड्रियल रोगों के लिए एक मॉडल के रूप में सी. एलिगेंस

  • सी. एलिगेंस में मानव माइटोकॉन्ड्रियल रोग जीन के समान ऑर्थोलॉगस (Orthologous) जीन होते हैं, जो इसे इन स्थितियों के अध्ययन के लिए एक उपयोगी मॉडल बनाता है।
  • सी. एलिगेंस में जीन सप्रेसन (Gene Suppression) विकास संबंधी दोषों को जन्म देता है, जैसे परिपक्वता तक न पहुँच पाना या मृत्यु।
  • सी. एलिगेंस में विशिष्ट माइटोकॉन्ड्रियल जीन का आंशिक दमन विरोधाभासी रूप से इसके जीवनकाल को बढ़ा देता है।

प्रतिरक्षा विज्ञान के लिए एक मॉडल के रूप में सी. एलिगेंस

  • सी. एलिगेंस लेक्टिन और लाइसोजाइम जैसे रोगाणुरोधी अणुओं का उपयोग करके जन्मजात प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का मॉडल बनाता है।
  • p38 MAPK सिग्नलिंग (p38 MAPK Signalling), साल्मोनेला टाइफीम्यूरियम (Salmonella Typhimurium) के विरुद्ध सी. एलिगेंस की रक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है, जिसमें ‘म्यूटेंट’ उच्च संवेदनशीलता दिखाते हैं।
  • सी. एलिगेंस बैक्टीरिया के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए भी उपयोगी है, जिसमें संक्रमण की स्थापना के लिए एस. टाइफीम्यूरियम (S. Typhimurium) विषाणु कारक जैसे PhoP/PhoQ आवश्यक हैं।

अद्वितीय जैविक गुण इसे अनुसंधान में पसंदीदा विषय बनाते हैं:

  • तीव्र विकास: निषेचित अंडे से 3-5 दिनों में वयस्कता तक बढ़ता है।
    • जटिल जीवन चक्र प्रयोग और अवलोकन को आसान बनाता है।
  • लिंग: यह द्विलिंगीय विशेषताओं से युक्त होते हैं।
    • उभयलिंगी: सीमित शुक्राणु उत्पन्न करता है, प्रजनन कर सकता है:-
      • स्व-निषेचन
      • क्रॉस-निषेचन (नर के साथ प्रजनन के माध्यम से)
    • नर: प्रजनन के दौरान शुक्राणु को उभयलिंगी में स्थानांतरित करता है।
  • कोशिका गणना: इसमें 959 कोशिकाएँ प्रमुख हैं, जिनमें से प्रत्येक का नामकरण किया गया है और इसके पूरे जीवन चक्र में इसका पता लगाया गया है, मानव कोशिकाओं की तुलना में यह एक बहुत ही प्रबंधनीय संख्या है।
  • आनुवंशिक सुगमता: इसकी सरल शारीरिक रचना और कोशिका वंश मानचित्रण के कारण मौलिक जैविक प्रक्रियाओं में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

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