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CAG की नियुक्ति

Lokesh Pal March 19, 2025 03:35 9 0

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति के लिए केंद्र के विशेष अधिकार को चुनौती देने वाली याचिका की जाँच करेगा।

संबंधित तथ्य

याचिकाकर्ता का तर्क

  • अधिवक्ता प्रशांत भूषण और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि CAG की नियुक्ति पर कार्यपालिका का पूर्ण नियंत्रण इसकी स्वतंत्रता को प्रभावित करता है।
  • माँग: गैर-पक्षपाती चयन समिति के माध्यम से CAG की नियुक्ति की जाए जिसमें शामिल हों:- प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता, भारत के मुख्य न्यायाधीश।
  • चिंताएँ जताई गईं
    • महाराष्ट्र में ऑडिट में रुकावट।
    • केंद्र सरकार के ऑडिट में गिरावट।
    • ‘ऋण स्थिरता’ पर निष्पादन लेखापरीक्षा को स्थगित करना।
    • CAG के भीतर भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप।

सर्वोच्च न्यायालय का जवाब

  • जारी नोटिस: न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने केंद्र सरकार से जवाब माँगा।
  • न्यायालय की चिंता: क्या न्यायिक हस्तक्षेप अनुच्छेद-148 को पुनः लिखने के बराबर होगा?

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के बारे में

संवैधानिक प्रावधान

  • अनुच्छेद-148
    • CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा उनके हस्ताक्षर और मुहर के तहत की जाती है।
    • उसे उसी आधार और तरीके से हटाया जाता है, जिस तरह से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
    • वेतन और सेवा शर्तें संसद द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
    • केंद्र या राज्य सरकार के तहत आगे के कार्यालय के लिए पात्र नहीं।
    • CAG के कार्यालय का खर्च भारत की संचित निधि के तहत आता है।
  • अनुच्छेद-150: संघ और राज्य के खातों का प्रबंधन राष्ट्रपति के निर्देशानुसार, CAG की सलाह के आधार पर किया जाता है।
  • अनुच्छेद-279: CAG किसी भी कर या शुल्क की शुद्ध आय को प्रमाणित करता है और यह प्रमाण-पत्र अंतिम होता है।
  • लेखापरीक्षा शक्ति: CAG संघ, राज्य और पंचायती राज स्तर पर वित्तीय व्यय की लेखापरीक्षा के लिए जिम्मेदार है।
  • CAG के अन्य लेखापरीक्षा
    • IAEA (2022-2027): CAG अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का बाहरी लेखा परीक्षक है, जो परमाणु प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देता है।
    • FAO (2020-2025): CAG खाद्य और कृषि संगठन का लेखा-जोखा करता है, जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा की दिशा में काम करता है।
    • सार्वजनिक उपक्रमों का लेखा-जोखा: सार्वजनिक उपक्रमों के खाते कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 143 के प्रावधानों के अनुसार CAG द्वारा किए गए पूरक लेखा-जोखा के अधीन हैं।
  • पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं: संविधान में CAG की नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, जिससे कार्यपालिका के प्रभुत्व को लेकर चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।

कानूनी प्रावधान : CAG अधिनियम, 1971

  • कार्यकाल: छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो।
  • त्याग-पत्र: राष्ट्रपति को पत्र प्रस्तुत करके त्याग-पत्र दिया जा सकता है।
  • सेवा शर्तें: संसद द्वारा निर्धारित की जाती हैं और नियुक्ति के बाद उनके नुकसान के लिए इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।

CAG द्वारा उजागर किए गए प्रमुख घोटाले

  • 2G स्पेक्ट्रम घोटाला: दूरसंचार लाइसेंसों के आवंटन में अनियमितताओं को उजागर किया, जिसके कारण सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा।
  • कोयला ब्लॉक आवंटन: विवेकाधीन कोयला ब्लॉक आवंटन के कारण होने वाले घाटे को उजागर किया।
  • भारतमाला परियोजना (2023): बुनियादी ढाँचे के विकास में देरी और लागत में वृद्धि को चिह्नित किया।
  • आयुष्मान भारत (2023) का निष्पादन लेखा परीक्षा: भारत की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्वास्थ्य सेवा वितरण में समस्याओं को उजागर किया, जिसमें लाभार्थी सत्यापन में अनियमितताएँ एवं अस्पतालों को भुगतान में देरी शामिल है।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) लेखापरीक्षा: सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत खाद्यान्न वितरण में बड़े पैमाने पर अकुशलताएँ पाई गईं, जिनमें वितरण में अनियमितता और लीकेज शामिल है।
    • इसकी सिफारिशों के फलस्वरूप राशन कार्डों का डिजिटलीकरण हुआ और बेहतर निगरानी तंत्र विकसित हुआ।

भारत और ब्रिटेन में CAG कार्यालय के बीच अंतर

पहलू

CAG भारत में

CAG ब्रिटेन में

स्थिति अनुच्छेद-148 के तहत संवैधानिक प्राधिकार। कार्यकारी शाखा के भाग के रूप में नियुक्त किया गया।
भूमिका सार्वजनिक लेखा एवं व्यय का स्वतंत्र लेखा परीक्षक। सार्वजनिक व्यय पर संसद के लेखा परीक्षक और सलाहकार।
रिपोर्टिंग यह सीधे राष्ट्रपति या राज्यपालों को रिपोर्ट करता है, जो इसे संसद या राज्य विधानसभाओं में प्रस्तुत करते हैं। लोक लेखा समिति के माध्यम से यू.के. संसद को रिपोर्ट प्रस्तुत करना।
लेखापरीक्षा का दायरा संघ, राज्यों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की सभी प्राप्तियों, व्यय और खातों का लेखा-परीक्षण करता है। मुख्य रूप से केंद्रीय सरकार के खातों, सार्वजनिक निगमों और स्थानीय निकायों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
कार्यकाल निश्चित अवधि 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो। कार्यकाल संवैधानिक रूप से निश्चित नहीं है, यह संविदा की शर्तों पर निर्भर करता है।

विनोद राय द्वारा CAG के लिए सुझाए गए सुधार

  • भारत के पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) विनोद राय ने इसे मजबूत बनाने तथा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में इसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए कई सुधारों का सुझाव दिया।
  • प्रमुख सुधारों में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • वित्तीय स्वायत्तता को मजबूत करना: वित्तीय मामलों में अधिक स्वतंत्रता की वकालत की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि CAG बाहरी दबावों के बिना कार्य करे तथा निष्पक्ष लेखा परीक्षक के रूप में अपनी भूमिका को सुरक्षित रखे।
    • निष्पादन लेखा परीक्षा: केवल वित्तीय अनुपालन के बजाय निष्पादन-आधारित लेखा परीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया गया, जिसमें सरकारी योजनाओं और नीतियों के परिणामों तथा प्रभावशीलता पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • क्षमता निर्माण: IT, दूरसंचार और पर्यावरण नीतियों जैसे जटिल और आधुनिक क्षेत्रों के लेखा परीक्षा को सँभालने के लिए CAG कर्मचारियों के निरंतर प्रशिक्षण और कौशल विकास का सुझाव दिया गया।
    • समय पर रिपोर्टिंग: लेखा परीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करने में तेजी लाने के लिए तंत्र का प्रस्ताव, नीति-निर्माण और संसदीय चर्चाओं के दौरान उनकी प्रासंगिकता तथा प्रभाव सुनिश्चित करना।
    • प्रौद्योगिकी का उपयोग: तेजी से डिजिटल होती अर्थव्यवस्था में लेखा परीक्षा की सटीकता और दायरे को बेहतर बनाने के लिए उन्नत डेटा एनालिटिक्स, AI तथा IT उपकरणों को अपनाने के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया।

इन सुधारों का उद्देश्य CAG को अधिक गतिशील, सक्रिय और आधुनिक शासन की चुनौतियों के अनुरूप बनाना है।

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