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Lokesh Pal
September 30, 2025 03:58
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हाल ही में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने भारत के 28 राज्यों की राजकोषीय स्थिति का दशकीय विश्लेषण जारी किया है, जिसमें पिछले दशक में सार्वजनिक ऋण में तीव्र वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है।
राज्यों का बढ़ता हुआ ऋण, प्रछन्न राजकोषीय अंतराल और केंद्र पर अत्यधिक निर्भरता, कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और संघीय संतुलन दोनों के लिए गंभीर खतरा हैं। इसलिए राजस्व आधार को सुदृढ़ करना और उत्पादक तथा पारदर्शी उधारी सुनिश्चित करना सतत् विकास की कुंजी है।
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