100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

कावेरी जल विवाद

Lokesh Pal October 18, 2024 03:42 84 0

संदर्भ

पिछले छह वर्षों में से केवल दो वर्षों (2023-24) को छोड़कर संचयी जल निर्गमन, कावेरी विवाद न्यायाधिकरण अधिनिर्णय (Cauvery Dispute Tribunal Award) द्वारा निर्धारित मात्रा से कम रहा।

संबंधित तथ्य 

  • मानसून का प्रभाव: वर्ष 2018 के बाद से महीने-दर-महीने छोड़े गए जल का अवलोकन करने से पता चलता है कि कावेरी विवाद न्यायाधिकरण के तहत अधिनिर्णय का पालन केवल तभी किया गया, जब मानसून के सामान्य से अधिक रहने की संभावना थी।
  • वर्ष 2023-24 में जल छोड़ने संबंधी संशोधन: कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Cauvery Water Management Authority- CWMA) एवं कावेरी जल विनियमन समिति (Cauvery Water Regulation Committee- CWRC) ने वर्ष 2023-24 में समय-समय पर जल छोड़ने की मात्रा को समायोजित किया।
  • ऐतिहासिक विवाद: कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (CWDT) का मासिक जल रिलीज कार्यक्रम जून 1991 में अपने अंतरिम आदेश के बाद से विवादास्पद रहा है।
  • कर्नाटक बनाम तमिलनाडु: कर्नाटक द्वारा तमिलनाडु के लिए जल निर्गमन करना अक्सर असहमति का केंद्र बिंदु रहा है, जिसमें CWDT की निर्धारित मात्रा के पालन पर विवाद होता है।

कावेरी जल विवाद के बारे में

  • यह विवाद कावेरी नदी के जल के बँटवारे को लेकर लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष से संबंधित है।
  • विवादों के पक्ष: 3 राज्य एवं एक केंद्रशासित प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक तथा पुडुचेरी
  • विवाद इस बात को लेकर है कि सिंचाई, पेयजल एवं औद्योगिक उद्देश्यों सहित विभिन्न उपयोगों के लिए नदी के जल को इन राज्यों के बीच कैसे वितरित किया जाना चाहिए।

अंतर-राज्यीय जल विवाद अधिनियम, 1956

  • यह अंतर-राज्यीय नदियों एवं नदी घाटियों के जल से संबंधित विवादों के न्यायनिर्णयन का प्रावधान करने वाला एक अधिनियम है। 

अधिनियम के तहत प्रावधान

  • यदि कोई विशेष राज्य या राज्य ट्रिब्यूनल के गठन के लिए केंद्र से संपर्क करते हैं, तो केंद्र सरकार को प्रभावित राज्यों के बीच परामर्श करके मामले को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।
  • यदि यह निर्णयन प्रक्रिया कार्य नहीं करती है तो वह ट्रिब्यूनल का गठन किया जा सकता है।
    • वर्ष 2002 के संशोधन में जल विवाद न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए एक वर्ष की समय सीमा एवं निर्णय देने के लिए 3 वर्ष की समय सीमा अनिवार्य की गई।

कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन

  • कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (CWDT) का गठन जून 1990 में अंतर-राज्यीय जल विवाद अधिनियम, 1956 की धारा 4 के अनुसार किया गया था, जिसने जल बँटवारे की व्यवस्था का फैसला किया था, जिसे ‘कावेरी विवाद न्यायाधिकरण अधिनिर्णय’ के रूप में जाना जाता है।
  • न्यायाधिकरण अधिनिर्णयों के खिलाफ अपील: तमिलनाडु सरकार ने अनुच्छेद-136 के तहत विशेष अनुमति याचिका के साथ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।
  • अपील का परिणाम
    • उच्चतम न्यायालय ने बड़े पैमाने पर CWD द्वारा अंतिम रूप से समायोजित की गई जल-बँटवारे व्यवस्था को बरकरार रखा गया।
    • केंद्र को कावेरी प्रबंधन योजना को अधिसूचित करने का निर्देश दिया। 
    • निर्णय को प्रभावी बनाने के लिए ‘कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण’ (CWMA) एवं ‘कावेरी जल विनियमन समिति’ (CWRC) का गठन किया गया।

अंतरराज्यीय नदी विवादों के लिए संवैधानिक प्रावधान

  • राज्य सूची की प्रविष्टि 17: जल, जल आपूर्ति, सिंचाई, नहर, जल निकासी, तटबंध, जल भंडारण एवं जल विद्युत से संबंधित है।
  • संघ सूची की प्रविष्टि 56: सार्वजनिक हित में संसद द्वारा घोषित सीमा तक अंतर-राज्यीय नदियों एवं नदी घाटियों के विनियमन तथा विकास के लिए केंद्र सरकार को अधिकार देती है।

  • जल से संबंधित विवादों के मामले में अनुच्छेद-262 के अनुसार:
    • संसद कानून द्वारा किसी अंतर-राज्यीय नदी या नदी घाटी के जल के उपयोग, वितरण या नियंत्रण के संबंध में किसी भी विवाद अथवा शिकायत के निर्णय का प्रावधान कर सकती है।
    • संसद कानून द्वारा यह प्रावधान कर सकती है कि न तो उच्चतम न्यायालय एवं न ही कोई अन्य न्यायालय ऊपर बताए गए ऐसे किसी भी विवाद अथवा शिकायत के संबंध में क्षेत्राधिकार का प्रयोग करेगा।
  • न्यायिक समीक्षा: उच्चतम न्यायालय, न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए पुरस्कार या फॉर्मूले पर सवाल नहीं उठाएगा, लेकिन वह न्यायाधिकरण की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठा सकता है।

कावेरी नदी के बारे में

  • इसे तमिल में ‘पोन्नी’ के नाम से भी जाना जाता है एवं यह दक्षिणी भारत की एक पवित्र नदी है।
    • अक्सर दक्षिण गंगा (दक्षिण की गंगा) कहा जाता है।
  • उद्गम: इसका उद्गम दक्षिण-पश्चिमी कर्नाटक राज्य में पश्चिमी घाट की ब्रह्मगिरि पहाड़ी में तालाकावेरी से होता है।

  • कर्नाटक एवं तमिलनाडु राज्यों से होकर दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती है। 
  • पांडिचेरी से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • कावेरी की सहायक नदियों में शामिल हैं:-
    • बाएँ किनारे की सहायक नदियाँ: अर्कावती, हेमावती (पश्चिमी घाट में उद्गम कृष्णराजसागर के पास कावेरी नदी में मिलती है), शिमसा एवं हरंगी।
    • दाएँ किनारे की सहायक नदियाँ: लक्ष्मण तीर्थ, सुवर्णावती, नोयिल, भवानी, काबिनी (केरल से निकलती है और पूर्व की ओर बहती हुई नरसीपुर के तिरुमकुडल में कावेरी से मिलती है), एवं अमरावती।
  • कावेरी बेसिन में संरक्षित क्षेत्र: नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, वायनाड वन्यजीव अभयारण्य एवं सत्यमंगलम् टाइगर रिजर्व।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.