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प्रतिष्ठित ‘बोस-आइंस्टीन’ आँकड़ों का शताब्दी समारोह

Lokesh Pal November 16, 2024 04:26 30 0

संदर्भ

भारत के वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने ‘एस. एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंस’ (S.N. Bose National Centre for Basic Sciences) में प्रतिष्ठित ‘बोस-आइंस्टीन’ सांख्यिकी सिद्धांत (Bose-Einstein Statistics) के शताब्दी समारोह का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। 

संबंधित तथ्य

  • इस अवसर पर केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने हाल ही में लॉन्च किए गए ‘नेशनल क्वांटम मिशन’ (National Quantum Mission- NQM) पर भी प्रकाश डाला।
  • उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि किस प्रकार बोस की विरासत तकनीकी नवाचारों को प्रेरित करती रहेगी और भारत की “दूसरी क्वांटम क्रांति” में केंद्रीय भूमिका निभाएगी, तथा क्वांटम अनुसंधान एवं अनुप्रयोगों में वैश्विक नेता बनने के लिए देश के प्रयासों को आगे बढ़ाएगी।

दूसरी क्वांटम क्रांति (Second Quantum Revolution)

  • दूसरी क्वांटम क्रांति, क्वांटम भौतिकी में सफलताओं की एक वर्तमान शृंखला है, जो व्यक्तिगत क्वांटम सिस्टम के अधिक नियंत्रण के लिए अनुमति देती है।
  • यह क्रांति इस विचार पर आधारित है कि क्वांटम यांत्रिकी को चीजों को करने के लिए इंजीनियर किया जा सकता है, न कि केवल विशेष क्वांटम गुणों वाले विजेट्स का उपयोग करके।

दूसरी क्वांटम क्रांति के प्रमुख पहलू

  • क्वांटम इनटैंगलमेंट (Quantum Entanglement): क्रांति की एक आधारशिला, क्वांटम इनटैंगलमेंट (Quantum entanglement) में क्वबिट्स को एक दूसरे के साथ सहसंबद्ध होने की अनुमति मिलती है, ताकि एक क्विट की स्थिति दूसरे की स्थिति पर निर्भर कर सके।
  • क्वांटम कंप्यूटर (Quantum Computers): क्वांटम कंप्यूटर बिट्स या 1 और 0 के बजाय क्यूबिट या क्वांटम बिट्स का उपयोग करते हैं। यह प्रोसेसर को एक साथ 1 और 0 दोनों होने की अनुमति देता है, जिसे क्वांटम सुपरपोजीशन (Quantum Superposition) कहा जाता है।
  • अनुप्रयोग
    • दूसरी क्वांटम क्रांति नए अनुप्रयोगों को जन्म दे सकती है, जैसे:-
    • रसायनों को संश्लेषित करने के लिए नए उत्प्रेरक डिजाइन करना।
    • जटिल अनुकूलन समस्याओं को हल करना।
    • मौलिक विज्ञान के सवालों का जवाब देना।
  • उल्लेखनीय है कि पहली क्वांटम क्रांति ने 20 वीं शताब्दी की तकनीकी क्रांति का नेतृत्व किया, जिसमें ट्रांजिस्टर, लेजर और परमाणु घड़ी शामिल थी।
  • इन आविष्कारों ने कंप्यूटर, ऑप्टिकल फाइबर संचार और वैश्विक स्थिति प्रणाली का नेतृत्व किया।

बोस-आइंस्टीन (Bose-Einstein: B–E) सांख्यिकी के बारे में 

  • बोस-आइंस्टीन (Bose-Einstein: B–E) सांख्यिकी ऊष्मीय संतुलन पर ऊर्जा अवस्थाओं में गैर-अंतःक्रियाशील, अविभाज्य कणों के वितरण का वर्णन करती है।

  • वर्ष 1924 में, सत्येंद्र नाथ बोस ने कण व्यवहार के लिए इस दृष्टिकोण का प्रस्ताव रखा, जिसे बाद में अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ विकसित किया गया।
  • बोस-आइंस्टीन (B–E) सांख्यिकी का पालन करने वाले कणों को बोसॉन के नाम से जाना जाता है, जिसका नाम सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर रखा गया है।
  • बोसॉन के पूर्णांक स्पिन मान (0, 1, 2, आदि) होते हैं और इसमें फोटॉन, ग्लूऑन और डब्ल्यू तथा जेड बोसॉन जैसे कण शामिल होते हैं।
  • बोस-आइंस्टीन (B–E) सांख्यिकी की प्रासंगिकता/महत्त्व
    • लेजर और सुपरकंडक्टिविटी (Lasers and Superconductivity): लेजरों (लाइट एम्प्लीफिकेशन बाय स्टिम्युलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन) के संचालन का केंद्रीय आधार बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी है।
    • बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट (Bose Einstein Condensate- BEC): परम शून्य के निकट निर्मित पदार्थ की एक अनोखी अवस्था है।
      • BEC पदार्थ की वह अवस्था है, जो तब बनती है, जब बोसॉन नामक कणों को परम शून्य (-273.15 डिग्री सेल्सियस/0 केल्विन) के निकट तापमान तक ठंडा किया जाता है।
      • पदार्थ की स्थिति: पदार्थ की चार मूल अवस्थाएँ हैं- ठोस, द्रव, गैस और प्लाज्मा। लेकिन अन्य अवस्थाएँ भी हैं, जैसे बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट (Bose-Einstein condensates) और टाइम क्रिस्टल (Time Crystals)।
    • बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी का उपयोग कण भौतिकी के मानक मॉडल में कुछ कणों के व्यवहार का वर्णन करने के लिए किया जाता है।

कण भौतिकी का मानक मॉडल

  • मानक मॉडल गुरुत्वाकर्षण को छोड़कर मूलभूत कणों और उनकी अंतःक्रियाओं की व्याख्या करता है।

  • इसमें तीन मूलभूत बल सम्मिलित हैं: विद्युत-चुंबकत्व (Electromagnetism), दुर्बल नाभिकीय बल (Weak Nuclear Force) और प्रबल नाभिकीय बल (Strong Nuclear Force)।
  • कणों को वर्गीकृत किया गया है:
    • फर्मिऑन (Fermions): पदार्थ बनाने वाले कण, अर्द्ध-पूर्णांक स्पिन के साथ (उदाहरण के लिए, 1/2, 3/2)। इसमें शामिल हैं:
      • क्वार्क (Quarks): प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के निर्माण ब्लॉक।
      • लेप्टॉन (Leptons): इलेक्ट्रॉनों जैसे कण शामिल हैं।
    • बोसॉन (Boson): पूर्णांक स्पिन वाले फर्मिऑन के बीच बलों की मध्यस्थता करने वाले कण (उदाहरण के लिए, फोटॉन, W और Z बोसॉन, ग्लूऑन, हिग्स बोसॉन)।

हिग्स बोसॉन (Higgs Boson)

  • पीटर हिग्स ने पहली बार 1960 के दशक में हिग्स क्षेत्र और उससे जुड़े हिग्स बोसॉन के अस्तित्व का प्रस्ताव रखा था।

  • पीटर हिग्स ने हिग्स बोसॉन पर अपने कार्य के लिए वर्ष 2013 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार हासिल किया और वर्ष 2024 में उनकी मृत्यु हो गई।
  • यह हिग्स क्षेत्र से जुड़ा मूलभूत कण है।
    • यह एक ऐसा क्षेत्र है, जो इलेक्ट्रॉनों और क्वार्कों जैसे अन्य मूलभूत कणों को द्रव्यमान प्रदान करता है।
  • लोकप्रिय रूप से गॉड पार्टिकल के रूप में जाना जाता है।
  • यह बोसॉन (एक बल-वाहक उप-परमाणविक कण) का एक प्रकार है।
  • हिग्स बोसॉन के गुण
    • द्रव्यमान: 125 GeV/c2 का द्रव्यमान (उप-परमाणविक कणों के लिए उपयोग की जाने वाली द्रव्यमान की इकाई), जो एक प्रोटॉन के द्रव्यमान का लगभग 130 गुना है।
    • स्पिन: यह एक अदिश कण है और इसका स्पिन ‘0’ है, इसलिए इसमें कोई कोणीय गति नहीं है। यह एकमात्र ऐसा प्राथमिक कण है, जिसमें कोई स्पिन नहीं है।
    • जीवनकाल: बहुत कम और यह उच्च ऊर्जा टकराव में उत्पन्न होने के बाद तेजी से अन्य कणों में विघटित हो जाता है।
    • पता लगाना: इसका पता अप्रत्यक्ष रूप से उन कणों को देखकर लगाया जाता है, जिनमें यह विघटित होता है।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (National Quantum Mission) के बारे में

  • कार्यान्वयन निकाय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology- DST) राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को लागू करेगा।
  • वित्तपोषण और अवधि: वर्ष 2023-24 से वर्ष 2030-31 तक कुल लागत 6003.65 करोड़ रुपये।
  • उद्देश्य: इस मिशन का उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकी (QT) में एक जीवंत और अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हुए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा देना, उसका पोषण करना एवं उसका विस्तार करना है।
  • वैश्विक संदर्भ: अमेरिका, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, फ्रांस, कनाडा और चीन के बाद भारत एक समर्पित क्वांटम मिशन शुरू करने वाला सातवाँ देश बन गया है।
  • फोकस क्षेत्र: यह मिशन क्वांटम प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों को विकसित करने पर केंद्रित है, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगे, तकनीकी पारिस्थितिकी-तंत्र का पोषण करेंगे तथा भारत को क्वांटम प्रौद्योगिकियों में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेंगे।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन  (NQM) की मुख्य विशेषताएँ

  • क्वांटम कंप्यूटर विकास: इस मिशन का लक्ष्य 5 वर्षों में 50-100 भौतिक क्वबिट्स और 8 वर्षों में 50-1000 भौतिक क्विट्स के साथ मध्यवर्ती-पैमाने पर क्वांटम कंप्यूटर विकसित करना है।
  • प्रौद्योगिकी प्रगति
    • मैग्नेटोमीटर: सटीक समय, संचार और नेविगेशन (जैसे, परमाणु घड़ियों) के लिए उच्च-संवेदनशीलता मैग्नेटोमीटर का विकास करना।
    • क्वांटम सामग्री: क्वांटम उपकरणों के निर्माण के लिए सुपरकंडक्टर, नवीन अर्द्धचालक संरचनाओं और टोपोलॉजिकल सामग्रियों जैसे क्वांटम सामग्रियों के डिजाइन और संश्लेषण के लिए समर्थन।
  • क्वांटम संचार
    • भारत में 2,000 किलोमीटर तक फैले ग्राउंड स्टेशनों के बीच सैटेलाइट आधारित सुरक्षित क्वांटम संचार।
    • अन्य देशों के साथ लंबी दूरी का सुरक्षित क्वांटम संचार।
    • 2,000 किलोमीटर से अधिक दूरी पर अंतर-शहर क्वांटम कुंजी वितरण।
    • क्वांटम मेमोरी के साथ मल्टी-नोड क्वांटम नेटवर्क।
  • थीमैटिक हब (Thematic Hubs: T-Hubs): चार T-हब शीर्ष अकादमिक और राष्ट्रीय R&D संस्थानों में ध्यान केंद्रित करने वाले हैं:
    • क्वांटम कंप्यूटेशन
    • क्वांटम संचार
    • क्वांटम सेंसिंग और मेट्रोलॉजी
    • क्वांटम सामग्री और डिवाइस

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