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Lokesh Pal
December 16, 2025 03:44
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हाल के विधायी कदम, विशेष रूप से प्रस्तावित भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) विधेयक, 2025 का मसौदा और इससे पहले का भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) अधिनियम, 2023, स्वायत्त उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) को केंद्रीकृत करने के लिए केंद्र सरकार के समन्वित प्रयास को करते हैं।

यद्यपि संवैधानिक रूप से वैध होने के बावजूद, उच्च शिक्षा प्रशासन तेजी से कार्यपालिका-केंद्रित होता जा रहा है, जिसमें नियम और अनुमोदन संस्थानों को आकार दे रहे हैं, जिससे संसदीय निगरानी और लोकतांत्रिक जवाबदेही कमजोर हो रही है।
भारत सरकार इस केंद्रीकरण को निम्नलिखित आवश्यकताओं के आधार पर उचित ठहराती है:-
अधीनता की ओर बढ़ती प्रवृत्ति गंभीर चिंताएँ उत्पन्न करती है, जो प्रमुख शासन संबंधी विषयों से परस्पर संबंधित हैं:-
प्रमुख वैश्विक विश्वविद्यालय उच्च स्वायत्तता और उच्च जवाबदेही को बढ़ावा देने वाले मॉडल के तहत विकसित हो रहे हैं:-
उच्च शिक्षा संस्थानों के अत्यधिक केंद्रीकरण से ज्ञान-महाशक्ति बनने हेतु आवश्यक बौद्धिक गतिशीलता के दबने का जोखिम उत्पन्न होता है। वास्तविक सुधारों की दिशा नौकरशाही नियंत्रण से हटकर संस्थागत स्वायत्तता की ओर होनी चाहिए। साथ ही, विद्या (ज्ञान) की मूल भावना का पुनर्जीवन आवश्यक है, ताकि विश्वविद्यालयों को आलोचनात्मक अनुसंधान के वैश्विक केंद्रों (आधुनिक नालंदा) के रूप में सशक्त बनाया जा सके और नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों की प्रभावी प्राप्ति हो सके।
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