हाल ही में कैबिनेट ने सभी 14 खरीफ सीजन की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी को मंजूरी दी।
संबंधित तथ्य
सरकार की ‘स्पष्ट नीति’ के अनुरूप, MSP को सरकार द्वारा गणना की गई उत्पादन लागत से कम-से-कम 1.5 गुना अधिक रखा जाएगा।
हालाँकि, इनमें से केवल चार फसलों के MSP ऐसे हैं, जो किसानों को उनकी उत्पादन लागत से 50% से अधिक का मार्जिन प्रदान करेंगे।
बाजरा (77%)
अरहर दाल (59%)
मक्का (54%)
काला चना (52%)
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भारत में लागू की गई सरकार समर्थित कृषि मूल्य नीति है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उनकी फसलों के लिए उचित और लाभकारी मूल्य मिले।
MSP भारत सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य है, जो उत्पादक (किसानों) को उत्पादन अधिशेष के वर्षों के दौरान कीमत में अत्यधिक गिरावट से बचाने के लिए है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार की ओर से उनकी उपज के लिए एक गारंटी मूल्य है।
यदि उत्पादन अधिशेष और बाजार में अधिकता के कारण वस्तु का बाजार मूल्य घोषित न्यूनतम मूल्य से नीचे चला जाता है, तो सरकारी एजेंसियाँ किसानों द्वारा दी गई पूरी मात्रा को घोषित न्यूनतम मूल्य पर खरीद लेती हैं।
MSP के निर्धारक
अपने अधिदेश के अंतर्गत विभिन्न वस्तुओं की मूल्य नीति की सिफारिश करते समय आयोग वर्ष 2009 में CACP को दिए गए विभिन्न संदर्भ शर्तों (ToR) को ध्यान में रखता है।
माँग और आपूर्ति
उत्पादन की लागत
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में मूल्य रुझान
अंतर-फसल मूल्य समता
कृषि और गैर-कृषि के बीच व्यापार की शर्तें
उत्पादन लागत पर न्यूनतम 50 प्रतिशत मार्जिन
उस उत्पाद के उपभोक्ताओं पर MSP के संभावित प्रभाव
कौन सिफारिश करता है?
कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की सिफारिशों के आधार पर भारत सरकार द्वारा कुछ फसलों के लिए बुवाई के मौसम की शुरुआत में MSP की घोषणा की जाती है।
अंतिम निर्णय: केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs- CCEA) MSP के स्तर और सीएसीपी द्वारा की गई अन्य सिफारिशों पर अंतिम निर्णय लेती है।
MSP के अंतर्गत फसलें
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग 22 अनिवार्य फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश करता है और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग गन्ने के लिए उचित तथा लाभकारी मूल्य (Fair and Remunerative Prices- FRP) निर्धारित करता है।
अधिदेशित फसलों में खरीफ मौसम की 14 फसलें, रबी मौसम की 6 फसलें और दो अन्य वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, तोरिया और छिलका रहित नारियल का MSP क्रमशः रेपसीड और खोपरा के MSP के आधार पर तय किया जाता है।
यहाँ कुछ प्रमुख फसलों की सूची दी गई है, जिनके लिए आमतौर पर MSP की घोषणा की जाती है:
खरीद का सीमित दायरा: कई फसलों के लिए MSP की घोषणा किए जाने के बावजूद, MSP पर वास्तविक सरकारी खरीद काफी हद तक गेहूँ और चावल जैसी कुछ प्रमुख फसलों तक ही सीमित है।
खरीद में क्षेत्रीय असमानताएँ: कुछ क्षेत्रों में किसानों को MSP का लाभ असमान रूप से उपलब्ध है, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में, जहाँ खरीद का बुनियादी ढाँचा मजबूत है।
इसके विपरीत, पूर्वी या पूर्वोत्तर क्षेत्रों के किसानों को अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे और जागरूकता के कारण MSP से शायद ही कभी लाभ मिल पाता है।
बिचौलियों की भूमिका: MSP विनियमन के बावजूद, बिचौलिए अक्सर किसानों का शोषण करते हैं, उन्हें अपनी उपज MSP से कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर करते हैं तथा इस अंतर से मुनाफा कमाते हैं।
खाद्य सब्सिडी का बोझ बढ़ने से युक्तिकरण की माँग बढ़ रही है।
CACP ने प्रत्येक फसल के लिए तीन तरह की उत्पादन लागत का अनुमान लगाया
A2– इसमें किसानों द्वारा बीज, उर्वरक, कीटनाशक, मजदूरी, पट्टे पर ली गई भूमि, ईंधन, सिंचाई आदि पर सीधे नकद और वस्तु के रूप में किए गए सभी भुगतान किए गए खर्च शामिल हैं।
A2+FL– इसमें A2 + अवैतनिक पारिवारिक श्रम का अनुमानित मूल्य शामिल है।
C2 – यह एक अधिक व्यापक लागत है, जिसमें A2+FL के अतिरिक्त क्रमशः स्वामित्व वाली भूमि और अचल पूँजीगत परिसंपत्तियों पर किराये और ब्याज को भी शामिल किया जाता है।
CACP, MSP की सिफारिश करते समय A2+FL और C2 दोनों लागतों पर विचार करता है, जबकि रिटर्न के लिए वह केवल A2+FL लागत को ही ध्यान में रखता है।
C2 लागतों का उपयोग CACP द्वारा बेंचमार्क अवसर लागत के रूप में किया जाता है, ताकि यह जाँचा जा सके कि क्या उनके द्वारा अनुशंसित MSP कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों में कम-से-कम इन लागतों को कवर करते हैं।
आगे की राह
चावल और गेहूँ के प्रभुत्व को कम करने के लिए, सरकार धीरे-धीरे MSP समर्थन के लिए पात्र फसलों की सूची का विस्तार कर सकती है।
खरीद तंत्र में सुधार और आधुनिकीकरण करना ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसानों को एमएसपी तक पहुँच प्राप्त हो।
वैकल्पिक आय मॉडल: केवल MSP पर निर्भर रहने के बजाय, सरकार को बागवानी जैसे किसानों की आय बढ़ाने के लिए वैकल्पिक मॉडल तलाशने की आवश्यकता है।
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