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चाबहार बंदरगाह

Lokesh Pal September 20, 2025 04:05 19 0

संदर्भ

संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के चाबहार बंदरगाह से जुड़े प्रतिबंधों में छूट को 29 सितंबर से रद्द करने की घोषणा की है, जिससे इस क्षेत्र में भारत की कनेक्टिविटी और व्यापार योजनाएँ प्रभावित होंगी।

चाबहार बंदरगाह के बारे में

  • परिचय: चाबहार बंदरगाह भारत एवं ईरान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक रणनीतिक बंदरगाह है।
  • स्थान: ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में, होर्मुज जलडमरूमध्य के पूर्व में, ओमान की खाड़ी में अवस्थित है।

  • भारत के लिए महत्त्व
    • पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए, अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया तक प्रत्यक्ष पहुँच प्रदान करता है।
    • यह अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (International North–South Transport Corridor- INSTC) का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
    • इसका प्रयोग अफगानिस्तान को गेहूँ एवं ईरान को कीटनाशकों सहित मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए किया जाता है।

चाबहार बंदरगाह विकास की समय-रेखा

  • वर्ष 2003: भारत एवं ईरान ने चाबहार बंदरगाह के विकास हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • वर्ष 2016: भारत, ईरान एवं अफगानिस्तान ने क्षेत्रीय संपर्क के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए।
  • वर्ष 2018: इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) ने शाहिद बेहश्ती टर्मिनल का संचालन प्रारंभ किया, अमेरिका ने अफगान पुनर्निर्माण का हवाला देते हुए IFCA के तहत छूट प्रदान की।
  • वर्ष 2019-2021: अफगानिस्तान में भारतीय मानवीय सहायता शिपमेंट के लिए बंदरगाह का प्रयोग किया गया।
  • वर्ष 2024-2025: भारत ने चाबहार के संचालन के लिए ईरान के साथ 10-वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें 120 मिलियन डॉलर के निवेश एवं 250 मिलियन डॉलर के वित्तपोषण का वादा किया गया।
    • वर्तमान विस्तार में बंदरगाह की क्षमता को 5,00,000 TEU तक बढ़ाना एवं इसे 700 किलोमीटर लंबी रेल लाइन के माध्यम से जाहेदान से जोड़ना शामिल है।
  • सितंबर 2025: ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर ‘अधिकतम दबाव’ की रणनीति के तहत चाबहार बंदरगाह प्रतिबंधों से दी गई छूट को समाप्त कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप भारत के संचालन तथा रणनीतिक व्यापार मार्ग प्रभावित हुए।

प्रतिबंधों के निहितार्थ

  • प्रभाव: इसका सीधा प्रभाव भारत की सरकारी स्वामित्व वाली इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) पर पड़ेगा, जो वर्ष 2018 से बंदरगाह पर शाहिद बेहश्ती टर्मिनल का प्रबंधन कर रही है।
  • भारत की परियोजनाओं पर प्रभाव: इससे भारत के वर्तमान संचालित विकास, रेलवे कनेक्टिविटी और नियोजित विस्तार को खतरा है।
  • भू-राजनीतिक प्रभाव: यह अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया तक भारत की पहुँच को सीमित करता है, जिससे पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए एक वैकल्पिक व्यापार मार्ग की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
    • चाबहार ने चीन के क्षेत्रीय प्रभुत्व के लिए एक रणनीतिक प्रतिकार के रूप में कार्य किया, विशेष रूप से पाकिस्तान में चीन समर्थित ग्वादर बंदरगाह के संबंध में।
      • ये बंदरगाह केवल 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।

निष्कर्ष

चाबहार छूट को रद्द करने से भारत के रणनीतिक संपर्क लक्ष्य कमजोर होंगे, क्षेत्रीय पहुँच कमजोर होगी तथा अस्थिर भू-राजनीति पर निर्भरता बढ़ेगी, जिससे पाकिस्तान एवं चीन के प्रभाव के प्रति उसकी प्रति संतुलन प्रक्रिया को चुनौती मिलेगी।

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