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चंद्रयान-3 द्वारा चंद्रमा की सतह पर मैग्मा के साक्ष्य की प्राप्ति

Lokesh Pal August 26, 2024 05:16 169 0

संदर्भ

प्रज्ञान रोवर (चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा) द्वारा महत्त्वपूर्ण साक्ष्य की खोज की गई है, जो इस दावे की और अधिक पुष्टि करते हैं कि 4.5 अरब वर्ष पूर्ण चंद्रमा की निर्माण प्रक्रिया के समय इसकी सतह मैग्मा से निर्मित थी। 

मुख्य बिंदु

  • स्थल: प्रज्ञान रोवर द्वारा मृदा के नमूने एकत्र करने,  उनका परीक्षण करने तथा भूकंपीय गतिविधि और वायुमंडलीय स्थितियों को मापने के लिए अपने लैंडिंग बिंदु ‘शिव शक्ति’ के आसपास 23 स्थलों की खोज की गई।
  • प्रयुक्त उपकरण: 23 मेजरमेंट  रोवर पर लगे अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-ray Spectrometer-APXS) द्वारा लिए गए। 
  • उद्देश्य: चंद्र मैग्मा महासागर परिकल्पना सिद्धांत के लिए साक्ष्य एकत्र करना 
    • सर्वप्रथम प्रतिपादित: इस परिकल्पना की भविष्यवाणी सर्वप्रथम अपोलो कार्यक्रम के समय की गई थी, जिसमें भूमध्यरेखीय और मध्य-अक्षांश श्रेणियों में चंद्रमा के रेगोलिथ का परीक्षण और विश्लेषण किया गया था। 
    • सिद्धांत: चंद्रमा का निर्माण एक विशाल टक्कर के कारण हुआ था, जिससे चंद्रमा की सतह का कई किलोमीटर क्षेत्र पिघल गया था और इसकी शुरुआत में इसे पूरी तरह से गर्म मैग्मा के महासागर से परिवर्तित कर दिया, जिसे ठंडा होने और चट्टानों में परिवर्तित होने में लाखों वर्ष का समय लगा। 
  • खोज:
    • यूनफॉर्म रेगोलिथ: प्रयोग से पता चला कि चंद्रमा की ऊपरी सतह अर्थात्  ‘रेगोलिथ’ मुख्य रूप से एकसमान/यूनफॉर्म थी और मुख्य रूप से फेरोअन एनोर्थोसाइट (ferroan anorthosite-FAN) से निर्मित थी, जो एक प्रकार की चंद्र चट्टान है। 
      • रेगोलिथ चट्टान के टुकड़ों की एक परत है जो अंतरिक्ष में वायुहीन पिंडों, जैसे चंद्रमा, की ऊपरी सतहों को ढकती है। 
    • चंद्र मैग्मा महासागर परिकल्पना सिद्धांत को प्रमाणित करना: प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट अत्यधिक ऊंँचाई वाले क्षेत्रों से संबंधित परिकल्पना की पुष्टि की है। 
    • एनोर्थोसाइट्स (FAN) की उपस्थिति: एनोर्थोसाइट्स (एक हल्का सिलिका खनिज) की उपस्थिति भी इस ओर इशारा करती है कि चंद्रमा पर प्रारंभ में एक तरल, लावा परत थी, जिससे हल्के तत्व तैरते रहे और भारी तत्व नीचे डूब गए। 

चंद्रयान-3

  • प्रक्षेपण: मिशन 14 जुलाई, 2023 को प्रक्षेपित किया गया तथा 23 अगस्त, 2023 को यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास पहुंँचेगा।
    • 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 
  • यह भारत का तीसरा चंद्र मिशन है और साथ ही चंद्रमा की सतह पर रोबोट लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने का दूसरा प्रयास है 
  • संयुक्त राज्य अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है, तथा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट उतरने वाला पहला देश बन गया है। 
  • रोवर पर पेलोड
    • लेजर युक्त ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LASER Induced Breakdown Spectroscope-LIBS) चंद्रमा की सतह की रासायनिक और खनिज संरचना का निर्धारण करेगा। 
    • अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-ray Spectrometer-APXS) चंद्रमा की सतह की मृदा और चट्टानों में मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, पोटेशियम, कैल्शियम, टाइटेनियम और लोहे जैसे तत्वों की संरचना का निर्धारण करेगा।

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