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छत्तीसगढ़ ने पंचायत, शहरी निकायों में कोटा दोगुना कर 50 प्रतिशत किया

Lokesh Pal November 04, 2024 03:19 144 0

संदर्भ 

छत्तीसगढ़ की त्रि-स्तरीय पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण 25 से दोगुना कर 50% किया जाएगा।

  • नया आरक्षण उन निकायों पर लागू नहीं होगा जहाँ अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए कुल आरक्षण पहले से ही 50% या अधिक है।

स्थानीय निकाय आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय का दृष्टिकोण

  • मुख्य मामला: डॉ. के. कृष्णमूर्ति (डॉ.) बनाम भारत संघ (2010)
    • अनुच्छेदों की व्याख्या
      • अनुच्छेद-243D(6): पिछड़े वर्गों के लिए पंचायतों में आरक्षण की अनुमति देता है।
      • अनुच्छेद-243T(6): पिछड़े वर्गों के लिए नगर निकायों में आरक्षण की अनुमति देता है।
    • उच्चतम न्यायालय का निर्णय
      • राजनीतिक भागीदारी की बाधाएँ शिक्षा तथा रोजगार की बाधाओं से भिन्न होती हैं।
      • स्थानीय निकायों में आरक्षण विशिष्ट है और इसे विशिष्ट मानदंडों को पूरा करना चाहिए।
    • शिक्षा और रोजगार में आरक्षण का आधार: अनुच्छेद-15(4) और 16(4)।

स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण के लिए ट्रिपल-टेस्ट फॉर्मूला

  • उत्पत्ति (Origin): के. कृष्णमूर्ति (वर्ष 2010) में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित तथा विकास किशनराव गवली बनाम महाराष्ट्र राज्य (वर्ष 2021) में दोहराया गया।
  • वैध आरक्षण के लिए तीन परीक्षण
    1. आयोग की स्थापना: एक समर्पित आयोग को स्थानीय निकायों के पिछड़ेपन की विस्तृत जाँच करनी चाहिए।
    2. प्रयोगाश्रित आँकड़े: आयोग को प्रत्येक स्थानीय निकाय के लिए आवश्यक आरक्षण का विशिष्ट अनुपात निर्धारित करना चाहिए।
    3. 50% की सीमा: अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कुल आरक्षण कुल सीटों के 50% से अधिक नहीं होना चाहिए।

73वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम 1992

  • पंचायतों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आरक्षण
    • प्रत्येक पंचायत क्षेत्र में जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित।
    • राज्य पंचायतों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए अध्यक्ष पद भी आरक्षित कर सकते हैं।
  • महिला आरक्षण
    • कुल सीटों में से एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, जिनमें SC/ST महिलाएँ भी शामिल हैं।
  • पिछड़ा वर्ग आरक्षण
    • राज्य पिछड़े वर्गों के लिए पंचायतों में सीटें और अध्यक्ष पद आरक्षित करने के लिए कानून बना सकते है।
  • कुछ राज्यों ने महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण 50% तक बढ़ा दिया है।
    • उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल में, प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक-तिहाई पार्षद पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं और उनकी जनसंख्या के बराबर हिस्सा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।
    • बिहार में, पंचायत राज संस्थानों (PRIs) में 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। वर्ष 2006 में इस आरक्षण को लागू करने वाला बिहार पहला राज्य था।

पंचायतों में आरक्षण की अवधि (अनुच्छेद-334)

  • समाप्ति: पंचायतों मे SC/ST सीटों को कवर करते हुए 80 वर्षों (वर्ष 2030 तक) के लिए आरक्षण प्रावधान निर्धारित किए गए हैं।
  • 83वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम (2000)
    • अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय जनजातीय आबादी होने के कारण पंचायतों में SC आरक्षण लागू नहीं होता है।

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