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डेटा पॉइंट: भारत में बाल विवाह संबंधी नया अध्ययन (Child marriage related new study)

Samsul Ansari December 21, 2023 11:32 147 0

संदर्भ

  • 15 दिसंबर, 2023 को लांसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित ‘हार्वर्ड सेंटर फॉर पॉपुलेशन एंड डेवलपमेंट स्टडीज’ (Harvard Centre for Population and Development Studies) द्वारा किए गए एक अध्ययन में भारत में बाल विवाह संबंधी आँकड़े प्रस्तुत किए गए हैं।

संबंधित तथ्य

  • इस अध्ययन का लक्ष्य भारत में लड़कियों और लड़कों में बाल विवाह की व्यापकता का अनुमान लगाना और वर्ष 1993 से 2021 के बीच 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसके परिवर्तन का वर्णन करना है। 
  • भारत में पाँच लड़कियों में से एक और छह लड़कों में से लगभग एक का विवाह अभी भी विवाह की कानूनी आयु से पहले हो जाता है।
  • शोधकर्ताओं के अनुसार, वर्ष 2030 तक बाल विवाह को समाप्त करने के लिए मजबूत राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नीति की तत्काल आवश्यकता है।

सतत विकास लक्ष्य-5.3 की प्राप्ति

  • सतत विकास लक्ष्य (SDG) 5.3 का लक्ष्य “बाल विवाह, कम आयु में विवाह और जबरन विवाह एवं महिला जननांग विकृति जैसी सभी हानिकारक प्रथाओं को खत्म करने” की वैश्विक प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में वर्ष 2030 तक लड़कियों में बाल विवाह को समाप्त करना है।
  • वैश्विक: लड़कियों के लिए, SDG लक्ष्य को पूरा करने के लिए वैश्विक स्तर पर बाल विवाह की व्यापकता में कमी की वार्षिक दर 1.9% से बढ़कर 23% होनी चाहिए।
  • भारत: SDG लक्ष्य 5.3  को प्राप्त करने में भारत की सफलता महत्त्वपूर्ण है। पिछले तीन दशकों के दौरान बाल विवाह में गिरावट की राष्ट्रीय दर अधिक रही है। हालाँकि पिछले शोध से पता चलता है कि उप-राष्ट्रीय स्तर पर बाल विवाह की गिरावट की दर में पर्याप्त परिवर्तनशीलता मौजूद है। यह देखा गया है कि बाल विवाह को संबोधित करने के लिए कार्यक्रमों का ऐतिहासिक कार्यान्वयन राज्यों के भीतर भिन्न-भिन्न रहा है।

भारत से संबंधित आँकड़े

  • पिछले तीन दशकों के दौरान बाल विवाह में अत्यधिक गिरावट आई है, फिर भी इसमें स्थिरता के प्रमाण मौजूद हैं। बाल विवाह में सर्वाधिक कमी वर्ष 2006 से 2016 के बीच हुई। अध्ययन अवधि  (लड़कियों के लिए 1993-2021 और लड़कों के लिए 2006-2021) के दौरान बाल विवाह में अत्यधिक गिरावट दर्ज की गई है।
  • बाल विवाह दर में गिरावट: अखिल भारतीय स्तर पर लड़कियों में बाल विवाह का प्रचलन वर्ष 1993 में 49.4% से घटकर वर्ष 2021 में 22.3% हो गया, जबकि लड़कों में यह वर्ष 2006 में 7.1% से घटकर वर्ष 2021 में 2.2% हो गया।
  • अध्ययन में शामिल वर्ग: शोधकर्ताओं ने अध्ययन को संकलित करने के लिए वर्ष 1993, 1999, 2006, 2016 और 2021 के पाँच राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षणों के डेटा का उपयोग किया। इनमें वर्ष 1993 से 2021 के बीच 20-24 वर्ष आयु वर्ग की 3,10,721 लड़कियाँ और महिलाएँ तथा 2006 से 2021 के बीच 20 से 24 वर्ष आयु वर्ग के 43,436 पुरुष शामिल थे।
  • राज्यों की कुल स्थिति: अध्ययन अवधि के दौरान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लड़की और लड़के के बाल विवाह के प्रचलन में पर्याप्त भिन्नता मौजूद है। मणिपुर को छोड़कर सभी राज्यों में वर्ष 1993 और 2021 के बीच बालिका विवाह प्रचलन में गिरावट देखी गई।

अवधिवार आँकड़े:

  • वर्ष 1993 और 1999 के बीच, 20% (30 में से छह) राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बालिका विवाह में वृद्धि देखी गई, 
  • जबकि 1999 और 2006 के बीच, 50 प्रतिशत (30 में से 15) राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बालिका विवाह में वृद्धि हुई। 
  • वर्ष 2006 और 2016 के बीच की अवधि में लड़कियों के बाल विवाह में तेजी से कमी आई।
  • वर्ष 2019 और 2021 के बीच राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लड़कियों के बाल विवाह में कमी आई परंतु यह कमी वर्ष 2006 और 2016 के बीच की अवधि की तुलना में अपेक्षाकृत रूप से कम थी।
  • मणिपुर और त्रिपुरा में पिछली किसी भी अवधि की तुलना में अधिक वृद्धि देखी गई।

लड़के और लड़कियों में बाल विवाह का आनुपातिक आकलन 

  • वर्ष 2021 में लड़कियों में बाल विवाह की संख्या 13,464,450 और लड़कों में 14,54,894 थी। चार राज्य, बिहार (16·7%), पश्चिम बंगाल (15·2%), उत्तर प्रदेश (12·5%) और महाराष्ट्र (8·2%) लड़कियों में बाल विवाह के कुल बोझ के आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं।        
  • लड़कों के संदर्भ में गुजरात (29%), बिहार (16·5%), पश्चिम बंगाल (12.9%), और उत्तर प्रदेश (8.2%) 60% से अधिक बाल विवाह के लिए उत्तरदायी हैं।  
  • लड़कों में बाल विवाह के मामले में, महाराष्ट्र अधिक उत्तरदायित्व लेकिन कम प्रसार के कारण एक अलग राज्य था, जबकि मणिपुर में इसका प्रसार अधिक है लेकिन उत्तरदायित्त्व काफी कम है। 

कुल आकलन:

  • सर्वाधिक कमी: वर्ष 1993 और 2021 के बीच लड़कियों में बाल विवाह की कुल संख्या में उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक कमी आई है, जो अखिल भारतीय कमी का अनुमानित एक-तिहाई है। 
  • सर्वाधिक वृद्धि: पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक पूर्ण वृद्धि देखी गई है, जहाँ 5,00,000 से अधिक लड़कियों की बचपन में ही शादी कर दी गई।

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