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महिलाओं को चाइल्डकेयर लीव

Lokesh Pal April 26, 2024 04:47 182 0

संदर्भ

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया है कि दिव्यांग बच्चों की माताओं को चाइल्डकेयर लीव से इनकार करना महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

संबंधित तथ्य

  • पृष्ठभूमि: एक याचिकाकर्ता जिसका बेटा ओस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा (Osteogenesis Imperfecta), एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार से पीड़ित है राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के नियम 43(C) के तहत प्रदान किए गए चाइल्डकेयर लीव के प्रावधान को न अपनाने के कारण छुट्टी के लिए उसका आवेदन अस्वीकार कर दिया गया था।
  • उच्चतम न्यायालय का निर्णय
    • न्यायालय ने कहा कि माताओं को चाइल्डकेयर लीव देने से इनकार करना रोजगार में महिलाओं के साथ न्यायसंगत व्यवहार की गारंटी देने के संवैधानिक दायित्व का उल्लंघन होगा।
      • कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी केवल विशेषाधिकार का मामला नहीं है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद-15 द्वारा संरक्षित एक संवैधानिक अधिकार है।

    • उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश सरकार को दिया निर्देश
      • माताओं के लिए चाइल्डकेयर लीव (CCL) के संबंध में अपनी नीतियों की समीक्षा करना, उन्हें दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के साथ संरेखित करना, विशेष रूप से विशेष जरूरतों वाले बच्चों की परवरिश करने वाली माताओं के संबंध में।
      • मामले के सभी पहलुओं को देखने के लिए RPWD अधिनियम के तहत नियुक्त राज्य आयुक्त, महिला एवं बाल विभाग के सचिव तथा समाज कल्याण विभाग के सचिव की एक समिति गठित करना।
        • इसने निर्देश दिया कि पैनल की रिपोर्ट सक्षम अधिकारियों के समक्ष रखी जाए ताकि नीतिगत निर्णय शीघ्रता से लिया जा सके।

  • धारा 43 
    • मातृत्व अवकाश (Maternity Leave): दो से कम बच्चों वाली महिला सरकारी कर्मचारी (प्रशिक्षु सहित) को इसके प्रारंभ होने की तारीख से (180 दिन) की अवधि के लिए छुट्टी देने में सक्षम प्राधिकारी द्वारा मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है।
  • धारा 43 (A) 
    • पितृत्व अवकाश (Paternity Leave): एक पुरुष सरकारी कर्मचारी, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, को उसकी पत्नी के प्रसव के दौरान 15 दिनों की अवधि के लिए छुट्टी देने में सक्षम प्राधिकारी द्वारा पितृत्व अवकाश दिया जा सकता है।

केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972 के तहत भारत में चाइल्डकेयर लीव का प्रावधान 

  • धारा 43 के तहत चाइल्डकेयर लीव: इस नियम के प्रावधानों के अधीन, एक महिला सरकारी सेवक एवं एकल पुरुष सरकारी सेवक (एक अविवाहित या विधुर अथवा तलाकशुदा सरकारी सेवक) को छुट्टी देने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा चाइल्डकेयर लीव प्रदान किया जा सकता है। पूरी सेवा के दौरान दो सबसे बड़े बच्चों की देखभाल के लिए अधिकतम 730 दिन की अवधि, चाहे वह पालन-पोषण के लिए हो या उनकी किसी भी जरूरत की देखभाल के लिए, जैसे कि शिक्षा, बीमारी आदि।
    • ‘बच्चे’ का अर्थ है: 18 वर्ष से कम आयु का बच्चा या 22 वर्ष की आयु तक का बच्चा जिसकी न्यूनतम दिव्यांगता 40% हो, जैसा कि 1 जून, 2001 को जारी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की अधिसूचना में बताया गया है।
  • उप-नियम (1) के तहत एक महिला सरकारी कर्मचारी एवं एक एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी को चाइल्डकेयर लीव की मंजूरी निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी, 
    • एक कैलेंडर वर्ष में तीन अवधि: इसे एक कैलेंडर वर्ष में तीन से अधिक अवधियों के लिए प्रदान नहीं किया जाएगा
      • एकल महिला सरकारी कर्मचारी के मामले में, एक कैलेंडर वर्ष में तीन बार छुट्टी का अनुदान एक कैलेंडर वर्ष में छह बार तक बढ़ाया जाएगा।

    • परिवीक्षा अवधि के दौरान कोई CCL नहीं: यह आमतौर पर परिवीक्षा अवधि के दौरान प्रदान नहीं किया जाएगा, कुछ चरम स्थितियों को छोड़कर, जहाँ छुट्टी मंजूरी देने वाला प्राधिकारी परिवीक्षार्थी को चाइल्डकेयर लीव की आवश्यकता के बारे में जागरूक है।
      • CCL अवकाश की न्यूनतम अवधि: चाइल्डकेयर लीव एक बार में पाँच दिनों से कम अवधि के लिए नहीं दिया जा सकता है।
      • छुट्टी की कुल अवधि: एक महिला सरकारी कर्मचारी और एक पुरुष सरकारी कर्मचारी को पहले 365 दिनों के लिए वेतन का 100 प्रतिशत एवं अगले 365 दिनों  के लिए वेतन का 80% भुगतान किया जाएगा।
  • महिलाओं के लिए CCL हेतु उच्चतम न्यायालय के निर्णय का महत्त्व
  • प्रणालीगत चुनौतियों का समाधान करने के लिए: महिलाओं को कॅरियर एवं देखभाल की जिम्मेदारी सँभालने में आने वाली कठिनाइयों से निपटना, विशेष रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए।
  • लैंगिक असमानता एवं बाल कल्याण: यह दर्शाता है कि कैसे चाइल्डकेयर लीव से इनकार करने से कार्यबल में लैंगिक असमानता बनी रहती है एवं दिव्यांग बच्चों के उचित देखभाल के अधिकार कमजोर हो जाते हैं।
  • सामाजिक धारणाएँ: देखभाल, लैंगिक भूमिका एवं दिव्यांग व्यक्तियों को शामिल करने के संबंध में सामाजिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालता है।
  • राज्य एवं नियोक्ता की जिम्मेदारियाँ: समावेशी नीतियों को लागू करने के महत्त्व पर जोर दिया गया है, जो लैंगिक समानता को बढ़ावा देती हैं एवं दिव्यांग बच्चों सहित कामकाजी माता-पिता का समर्थन करती हैं।

चाइल्डकेयर लीव की आवश्यकताएँ एवं लाभ

  • कर्मचारी प्रतिधारण एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए: चाइल्डकेयर लीव प्रदान करने से प्रतिधारण दर एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है, जो उच्च महिला श्रम बल भागीदारी दर में मदद करती है, जिससे आर्थिक विकास तथा स्थिरता में योगदान होता है।
  • कामकाजी माताओं को समर्थन देने के लिए: चाइल्डकेयर लीव कामकाजी माताओं को उनकी पेशेवर और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से संतुलित करने में महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है एवं यह देखभाल करने वालों तथा कर्मचारियों के रूप में उनकी दोहरी भूमिकाओं को पहचानने में मदद करता है।
  • संवैधानिक अधिदेशों को पूरा करने के लिए
    • संविधान के अनुच्छेद-15(3) के तहत विशेष प्रावधानों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना, जो महिलाओं पर बच्चों की देखभाल के असंगत बोझ को पहचानने में मदद कर सकता है एवं राज्य ऐसे मुद्दों पर विचार करने तथा उनका समाधान करने के लिए बाध्य है, जो उत्पादक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी में बाधा बन सकते हैं।
    • महिला श्रम बल भागीदारी में वृद्धि: महिलाओं की वर्तमान कम श्रम बल भागीदारी दर के साथ, चाइल्डकेअर लीव से इनकार करने से उनकी भागीदारी में एवं कमी आ सकती है।
      • इसलिए, भारतीय संविधान के अनुच्छेद-42 को कायम रखते हुए, जो मातृत्व राहत पर जोर देता है, चाइल्डकेअर लीव को बढ़ावा देना राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों में कल्याणकारी राज्य मॉडल के अनुरूप है।

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