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नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024

Lokesh Pal March 13, 2024 05:52 178 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 [Citizenship (Amendment) Rules, 2024] को अधिसूचित किया।

संबंधित तथ्य 

  • CAA, 2019 का कार्यान्वयन: नागरिकता संशोधन नियम 2024, वर्ष 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act- CAA) के कार्यान्वयन को सक्षम करेगा।
  • आवेदन के लिए पोर्टल: गृह मंत्रालय (भारत सरकार) ने इसके लिए एक पोर्टल बनाया है।
    • आवेदकों को यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश करने का वर्ष बताना होगा।
  • CAA के कार्यान्वयन में देरी: वर्ष 2019 में अधिनियमित होने के बावजूद, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) को लागू नहीं किया जा सका क्योंकि नियमों को अधिसूचित नहीं किया गया था।
  • कार्यान्वयन में देरी के कारण: कानून को लागू करने में देरी का कारण असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में इसके खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन था।

CAA 2024 नियम क्या हैं?

  • परिचय: यह नियम अब CAA, 2019 के तहत पात्र लोगों के लिए आवेदन प्रक्रिया हेतु एक रूपरेखा प्रदान करते हैं।
  • आवेदन प्रक्रिया: नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024, CAA के तहत पात्र व्यक्तियों को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित जिला स्तरीय समिति के माध्यम से एक अधिकार प्राप्त समिति को अपने व्यक्तिगत आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन जमा करने में सक्षम करेगा।
  • योग्य आवेदक: इनमें भारतीय मूल के व्यक्ति, भारतीय नागरिकों के जीवनसाथी, भारतीय नागरिकों के नाबालिग बच्चे, व्यक्तिगत रूप से पंजीकृत भारतीय नागरिक (माता-पिता)और भारत के विदेशी नागरिक कार्डधारक, अन्य शामिल हैं।
  • अनुमेय दस्तावेज: इनमें जन्म प्रमाण-पत्र, किरायेदारी रिकॉर्ड, पहचान-पत्र और अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी कोई भी लाइसेंस, स्कूल या शैक्षिक प्रमाण-पत्र शामिल हैं।
    • आवेदकों कोस्थानीय रूप से प्रतिष्ठित सामुदायिक संस्थानद्वारा जारीपात्रता प्रमाण-पत्र (Eligibility Certificate) प्रस्तुत करना होगा, जो पुष्टि करता है कि वह ‘हिंदू/सिख/बौद्ध/जैन/पारसी/ईसाई समुदाय से संबंधित है और उपर्युक्त समुदाय का सदस्य बना हुआ है।’

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 [Citizenship (Amendment) Act, 2019] क्या है?

  • परिचय: CAA एक विधायी अधिनियम है, जिसे वर्ष 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करने के लिए 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था।
  • धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता: इस संशोधन में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने की अनुमति दी गई, जो 31 दिसंबर, 2014 तक धार्मिक उत्पीड़न के कारण पड़ोसी मुस्लिम-बहुल देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भाग कर आए थे।
  • भारतीय निवास के वर्षों की संख्या में कमी: इस अधिनियम के तहत, अवैध प्रवासियों के निर्दिष्ट वर्ग के लिए, सरकार ने निवास के वर्षों की संख्या को घटाकर पाँच कर दिया है।
    • यह देशीयकरण (Naturalization) द्वारा नागरिकता के लिए 11 वर्ष की पिछली आवश्यकता से एक महत्त्वपूर्ण कमी दर्शाता है।

नागरिक‘ (Citizens) कौन हैं?

नागरिक भारतीय राज्य के पूर्ण सदस्य हैं और इसके प्रति निष्ठा रखते हैं। उन्हें सभी नागरिक और राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं।

नागरिकता के लिए संवैधानिक प्रावधान

  • भारतीय संविधान के भाग-II के अंतर्गत अनुच्छेद-5 से 11 तक नागरिकता से संबंधित है।
  • भारतीय नागरिकता जन्म, वंश, पंजीकरण, देशीयकरण या क्षेत्र के समावेश द्वारा प्राप्त की जा सकती है।

देशीयकरण द्वारा नागरिकता (Citizenship by Naturalisation)

  • नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, देशीयकरण द्वारा भारत की नागरिकता एक विदेशी (अवैध प्रवासी नहीं) द्वारा प्राप्त की जा सकती है, जो सामान्यतः बारह वर्षों से भारत में निवास कर रहा हो (आवेदन की तारीख से ठीक पहले बारह महीनों के दौरान और चौदह वर्षों में कुल ग्यारह वर्षों के लिए)।
  • CAA, 2019 ने 11 वर्ष की इस अनिवार्यता को घटाकर पाँच वर्ष कर दिया है।

नागरिकता अधिनियम, 1955: यह भारतीय नागरिकता के अधिग्रहण और निर्धारण का प्रावधान करता है।

नागरिकता (Citizenship)

  • 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद 1 जुलाई, 1987 तक भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति जन्म से भारतीय नागरिक है।
  • कोई भी व्यक्ति जिसका जन्म 1 जुलाई, 1987 को या उसके बाद लेकिन नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2003 के लागू होने से पहले हुआ हो और जिसके जन्म के समय माता-पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक हो, वह भारतीय नागरिक है।
  • कोई भी व्यक्ति जिसका जन्म नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2003 के लागू होने के बाद हुआ हो और जिसके जन्म के समय उसके माता-पिता दोनों भारतीय नागरिक हों, वह भारतीय नागरिक है।
  • असम में अपवाद: इसका एकमात्र अपवाद असम था, जहाँ वर्ष 1985 के असम समझौते के अनुसार 24 मार्च, 1971 तक राज्य में आए विदेशियों को भारतीय नागरिक के रूप में नियमित किया जाना था।
  • वर्ष 1955 के नागरिकता अधिनियम में धारा 14A: इसकी उपधारा (1) में प्रावधान है कि ‘केंद्र सरकार अनिवार्य रूप से भारत के प्रत्येक नागरिक को पंजीकृत कर सकती है और उसे राष्ट्रीय पहचान-पत्र जारी कर सकती है’।

CAA के तहत छूट

  • स्वायत्त परिषदें (Autonomous Councils): संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत बनाई गई स्वायत्त परिषदों को CAA के दायरे से छूट दी गई है।
    • इसलिए, यह कानून पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश जनजातीय हिस्सों में लागू नहीं किया जाएगा।
    • इस विशेष दर्जे के तहत स्वायत्त परिषदों में असम में कार्बी आंगलोंग (Karbi Anglong), दिमा हसाओ (Dima Hasao) और बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद क्षेत्र (Bodoland Territorial Council), मेघालय में गारो हिल्स (Garo Hills) और त्रिपुरा में आदिवासी क्षेत्र शामिल हैं।
  • इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit- ILP) के तहत क्षेत्र: वे क्षेत्र जहाँ पूर्वोत्तर राज्यों में देश के अन्य हिस्सों के लोगों की यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट (ILP) की आवश्यकता होती है, उन्हें कानून से बाहर रखा गया है। ILP अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू है।
    • इस बहिष्कार का उद्देश्य उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (North-Eastern Region) में जनजातीय  और देशज समुदायों के हितों की रक्षा करना है।
    • इन क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति CAA के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र नहीं होंगे।

CAA से जुड़े मुद्दे

  • अवैध प्रवास की आशंका: पूर्वोत्तर में नृजातीय समूहों ने राजनीतिक, सांस्कृतिक और भूमि अधिकारों के संभावित नुकसान के साथ-साथ बांग्लादेश से बढ़ते प्रवास की आशंका पर चिंता व्यक्त की है।
  • धर्म आधारित नागरिकता: कानून के आलोचकों ने CAA के लाभ से शरणार्थियों के धर्म आधारित बहिष्कार पर आपत्ति जताई है, उनका तर्क है कि भारतीय नागरिकता को धर्म से जोड़ने से देश का धर्मनिरपेक्ष चरित्र कमजोर हो गया है।
    • याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि कानून मनमाना है क्योंकि यह म्याँमार के उत्पीड़ित रोहिंग्या, चीन के तिब्बती बौद्धों और श्रीलंका के तमिलों को छोड़ देता है।

असम समझौता (Assam Accord)

  • यह राज्य से ‘अवैध’ निवासियों का पता लगाने, मताधिकार से वंचित करने और निर्वासित करने के लिए केंद्र सरकार ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (All Assam Students’ Union- AASU) तथा ऑल असम गण संग्राम परिषद (All Assam Gana Sangram Parishad) द्वारा 15 अगस्त, 1985 को हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (Memorandum of Settlement- MoS) है।
  • कट-ऑफ तिथि का निर्धारण: इसने निर्धारित किया कि 1 जनवरी, 1966 विदेशियों का पता लगाने और हटाने के उद्देश्य से कट-ऑफ तिथि थी और कट-ऑफ तिथि से पहले ‘निर्दिष्ट क्षेत्र’ से असम आने वाले सभी व्यक्तियों के लिए नागरिकता की अनुमति प्रदान की  गई थी।
  • विदेशियों का पता लगाना: इसमें आगे निर्दिष्ट किया गया है कि 1 जनवरी, 1966 से पहले (समावेशी) और 24 मार्च, 1971 (मध्यरात्रि) तक असम आए सभी व्यक्तियों का विदेशी अधिनियम, 1946 और विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1939 के प्रावधानों के अनुसार पता लगाया जाएगा।

  • समानता के अधिकार के विरुद्ध: यह देश के संविधान में निहित समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है क्योंकि यह मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है। शिया और अहमदिया जैसे संप्रदायों को भी पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बहुल देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, लेकिन CAA में शामिल नहीं किया गया है।
    • तिब्बत, श्रीलंका और म्याँमार जैसे अन्य क्षेत्रों से सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यकों के बहिष्कार पर भी सवाल उठाए गए हैं।
  • असम समझौते के खिलाफ: CAA को असम में वर्ष 1985 के असम समझौते के उल्लंघन के रूप में देखा जाता है, जो 1 जनवरी, 1966 के बाद लेकिन 25 मार्च, 1971 से पहले असम आए विदेशी प्रवासियों को नागरिकता लेने की अनुमति देता है।
    • CAA के तहत नागरिकता बढ़ाने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2014 है।
    • नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) असम समझौते का खंडन कर सकता है, क्योंकि यह एक अलग समयरेखा स्थापित करता है।
  • एनआरसी के खिलाफ विरोध: यह विरोध प्रदर्शन राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens- NRC) लाने और CAA लागू करने के फैसले के खिलाफ था।
    • याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि CAA के साथ अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए असम में NRC के परिणामस्वरूप मुसलमानों को निशाना बनाया जाएगा।

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens- NRC)

  • NRC एक रजिस्टर है, जिसमें सभी भारतीय नागरिकों के नाम शामिल हैं। हालाँकि केवल असम के पास ही ऐसा रजिस्टर है।
  • असम में NRC पहली बार वर्ष 1951 में बनाया गया था, जो मूल रूप से राज्य में रहने वाले भारतीय नागरिकों की एक सूची थी।

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (National Population Register-NPR)

  • NPR वह रजिस्टर है, जिसमें आमतौर पर किसी गाँव, ग्रामीण क्षेत्र या कस्बे, वार्ड अथवा किसी कस्बे या शहरी क्षेत्र के वार्ड के भीतर सीमांकित क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों का विवरण होता है।
  • NPR पहली बार वर्ष 2010 में तैयार किया गया था और नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत बनाए गए नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान-पत्र जारी करना) नियम, 2003 के नियम 3 के उप-नियम (4) के तहत वर्ष 2015 में अद्यतन किया गया था।

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA)

  • CAA भारत में रहने वाले अवैध प्रवासियों पर लागू होता है और भारतीय नागरिकों पर लागू नहीं होता है।

CAA के पक्ष में तर्क

  • भारतीय नागरिकों पर लागू नहीं: सरकार ने कहा है कि CAA किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं छीनेगा, चाहे वह किसी भी धर्म का हो क्योंकि CAA भारतीय नागरिकों पर लागू नहीं होता है। नियम केवल उन लोगों के लिए हैं, जिन्होंने वर्षों से उत्पीड़न सहा है और जिनके पास भारत के अलावा दुनिया में कोई अन्य आश्रय नहीं है।
    • इसका प्राथमिक उद्देश्य उन कुछ विदेशियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है, जिन्होंने अपनी आस्था के आधार पर पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना किया है।
  • धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर भेद: CAA धर्म के आधार पर वर्गीकरण नहीं करता है बल्कि ‘धार्मिक उत्पीड़न’ के आधार पर भेद करता है। इसमें कहा गया है कि कानून ‘ऐतिहासिक अन्याय’ को दूर करना चाहता है।
  • अवैध प्रवासियों के लिए नागरिकता: यह उन प्रवासियों के लिए एक रूपरेखा स्थापित करता है, जिन्हें अन्यथा ‘अवैध’ माना जाता, उन्हें भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का अवसर प्रदान करता है, बशर्ते वे कुछ शर्तों को पूरा करते हों।
  • निवास की आवश्यकता में सुधार: यह निवास की आवश्यकता को 11 से घटाकर पाँच वर्ष कर देता है।

उच्चतम न्यायालय की दलीलें

  • अनुच्छेद-14 के तहत समानता को कायम रखने के लिए मानदंड: उच्चतम न्यायालय ने पुष्टि की है कि अनुच्छेद-14 के तहत चुनौतियों का सामना करने वाले किसी भी कानून को समानता को बनाए रखने के लिए दो कानूनी मानदंडों को सफलतापूर्वक निर्धारित करना होगा:
    • समूहों के बीच कोई भी भेद समझदारीपूर्ण अंतर (Intelligible Differentia) पर आधारित होना चाहिए।
    • इस विभेदीकरण का कानून द्वारा अपनाए गए उद्देश्य से तर्कसंगत संबंध होना चाहिए।
  • नियमों की जाँच: मुसलमानों को ‘उत्पीड़ित’ (Persecuted) अल्पसंख्यकों की श्रेणी से बाहर रखने का सरकार का औचित्य इस तर्क पर निर्भर करता है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश इस्लामी राष्ट्र हैं, जहाँ मुसलमान बहुसंख्यक हैं।
    • यह निर्धारित करने के लिए जाँच की जाएगी कि क्या इन तीन देशों को विशेष रूप से मुसलमानों को बाहर करने के लिए चुना गया था।

 समझदारीपूर्ण अंतर (Intelligible Differentia) 

यह कानून के प्रयोजन के लिए व्यक्तियों को अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत करने के लिए उचित और तार्किक आधार को संदर्भित करता है।

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