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शास्त्रीय भाषा (classical language)

Samsul Ansari January 13, 2024 03:21 366 0

संदर्भ 

हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने बंगाली भाषा को आधिकारिक तौर पर ‘शास्त्रीय भाषा’ के रूप में मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है।

  • गौरतलब हैं कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में हिंदी के बाद दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बंगाली है और विश्व स्तर पर सातवीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।

शास्त्रीय भाषा

  • अवधारणा: भारत में पहली बार वर्ष 2004 में शास्त्रीय भाषाओं को मान्यता दी गई थी।
  • किसी भाषा को ‘शास्त्रीय भाषा’ घोषित करने के लिए दिशा-निर्देश: भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा शास्त्रीय भाषाओं के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं-
    • प्राचीन अभिलेख: भाषा का अभिलिखित इतिहास कम-से-कम 1500 से 2000 वर्ष पुराना होना चाहिए।
    • महत्त्वपूर्ण विरासत: भाषा से जुड़े प्राचीन साहित्य और ग्रंथों का संग्रह होना चाहिए, जिसे विद्वानों एवं भाषा वक्ताओं द्वारा मूल्यवान विरासत माना जाता हो।
    • मूल परंपरा: संबंधित भाषा में मौजूद साहित्यिक परंपराएँ मौलिक होनी चाहिए।
    • भाषा के आधुनिक रूप से भिन्न: शास्त्रीय भाषा और उसका साहित्य उस भाषा के आधुनिक स्वरूप से भिन्न होना चाहिए। 
      • ‘शास्त्रीय भाषा’ अपने बाद की भाषायी संरचना से अलग हो सकती है।
  • भारत की शास्त्रीय भाषाएँ
    • वर्तमान में भारत में छह भाषाओं को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा प्राप्त है:
      • तमिल (2004), संस्कृत (2005), कन्नड़ एवं तेलगु (2008), मलयालम (2013) एवं उड़िया (2014)
    • भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में सभी शास्त्रीय भाषाएँ सूचीबद्ध हैं।
      • भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची का संबंध आधिकारिक भाषाओं से है, जिनके बारे में भारतीय संविधान के भाग-XVII में अनुच्छेद-343 से 351 में विस्तार से बताया गया है।
  • महत्त्व: शास्त्रीय भाषाओं का विकास भाषा में निरंतर बदलाव के फलस्वरूप हुआ है तथा भारतीय साहित्य के स्वर्ण युग की विशेषता इन भाषाओं की विकास यात्रा में निहित है।

शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिलने के लाभ

  • जब किसी भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिल जाती है तो ‘केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय’ उसे बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाता है:
    • पुरस्कार: शास्त्रीय भाषाओं में प्रतिष्ठित विद्वानों के लिए प्रत्येक वर्ष दो अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा की जाती है।
    • उत्कृष्टता केंद्र: शास्त्रीय भाषाओं में अध्ययन के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जाता है।
    • विभागों की स्थापना: शुरुआती तौर पर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने प्रस्ताव रखा है कि कम-से-कम सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सभी शास्त्रीय भाषाओं के विभाग निश्चित रूप से होने चाहिए।

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