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अंतरिक्ष अन्वेषण का जलवायु पर प्रभाव

Lokesh Pal December 13, 2024 04:10 35 0

संदर्भ

अंतरिक्ष गतिविधियाँ वर्तमान में पेरिस समझौते जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता साधनों से बाहर हैं, इस लेख में अंतरिक्ष गतिविधियों के तेजी से विस्तार पर प्रकाश डाला गया है।

कक्षीय मलबा (Orbital Debris) क्या है?

  • इसमें निष्क्रिय उपग्रह, नष्ट हो चुके रॉकेट और टकराव से उत्पन्न हुए टुकड़े शामिल हैं।
  • वर्तमान स्थिति: वर्ष 1957 से अब तक प्रक्षेपित किए गए 19,590 उपग्रहों में से 13,230 उपग्रह अभी भी कक्षा में हैं, जबकि 10,200 अभी भी क्रियाशील हैं।
  • टकराव का जोखिम: कक्षीय मलबा 29 किमी./घंटा की गति से यात्रा करता है और यहाँ तक ​​कि छोटे टुकड़े भी परिचालन उपग्रहों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर सकते हैं।
    • मलबे का बढ़ता हुआ द्रव्यमान (13,000 टन से अधिक) उपग्रह मिशनों एवं चालक दल के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए महत्त्वपूर्ण खतरा उत्पन्न करता है।
  • जलवायु निगरानी पर प्रभाव: अंतरिक्ष मलबा रेडियो संकेतों में हस्तक्षेप करता है और पृथ्वी-निगरानी डेटा के संग्रह को प्रभावित करता है, जिससे परिचालन लागत और जोखिम बढ़ जाते हैं।

अंतरिक्ष गतिविधियों का पर्यावरणीय प्रभाव

  • रॉकेट उत्सर्जन: रॉकेट प्रक्षेपण से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, ब्लैक कार्बन और जल वाष्प निकलता है।
    • ब्लैक कार्बन, जो कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 500 गुना अधिक प्रभावी ढंग से सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करता है, ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाता है।
  • ओजोन परत को नुकसान: क्लोरीन आधारित रॉकेट प्रणोदक ओजोन परत को नष्ट करते हैं, जिससे UV विकिरण में वृद्धि होती है और वायुमंडलीय परिसंचरण बाधित होता है।
  • उपग्रह राख: वायुमंडल में जलने वाले उपग्रहों से धातु युक्त राख निकलती है, जो वायुमंडल को नुकसान पहुँचा सकती है और संभावित रूप से वैश्विक जलवायु को प्रभावित कर सकती है।
  • उपग्रह निर्माण: उपग्रहों के उत्पादन के लिए ऊर्जा-गहन प्रक्रियाओं और महत्त्वपूर्ण कार्बन पदचिह्नों वाली सामग्रियों की आवश्यकता होती है।
  • अंतरिक्ष खनन चिंताएँ: भविष्य की अंतरिक्ष खनन गतिविधियाँ पृथ्वी और अंतरिक्ष दोनों में औद्योगिक उत्सर्जन बढ़ा सकती हैं।

पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit-LEO)

  • यह पृथ्वी के चारों ओर 128 मिनट या उससे कम अवधि वाली एक कक्षा है।
  • अन्य LEO उपग्रहों के साथ टकराव को रोकने के लिए इस क्षेत्र के भीतर की कक्षाओं की सावधानीपूर्वक निगरानी की जाती है।
  • सभी अंतरिक्ष स्टेशन LEO के भीतर संचालित होते हैं।
  • मानव अंतरिक्ष उड़ानें: केवल अपोलो कार्यक्रम (1968-1972) और पोलारिस डॉन (2024) के चंद्र मिशन LEO से आगे गए हैं।

अंतरिक्ष स्थिरता की चुनौतियाँ

  • विनियमनों का अभाव: अंतरिक्ष गतिविधियाँ पेरिस समझौते जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के अंतर्गत नहीं आती हैं, जिससे उत्सर्जन और मलबे पर नियंत्रण नहीं हो पाता है।
  • वस्तुओं के अधिक घनत्त्व वाली निचली पृथ्वी कक्षा (LEO): उपग्रहों और मलबे की बढ़ती संख्या LEO को बहुत अधिक घनत्त्व वाला बना सकती है, जिससे लागत बढ़ सकती है और पहुँच सीमित हो सकती है।

टिकाऊ अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए समाधान

  • पुन: प्रयोज्य रॉकेट: स्पेसएक्स (SpaceX) और ब्लू ओरिजिन (Blue Origin) जैसे रॉकेट विनिर्माण अपशिष्ट को कम करते हैं। हालाँकि, उन्हें भारी घटकों की आवश्यकता होती है, जिससे ईंधन का उपयोग बढ़ जाता है।
  • स्वच्छ ईंधन: तरल हाइड्रोजन और जैव ईंधन पर स्विच करने से उत्सर्जन कम हो सकता है। हालाँकि, वर्तमान हाइड्रोजन उत्पादन गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर करता है।
  • बायोडिग्रेडेबल सैटेलाइट: पुनः प्रवेश के दौरान स्वाभाविक रूप से विघटित होने वाली सामग्रियों से उपग्रहों को डिजाइन करने से मलबे को कम किया जा सकता है, लेकिन स्थायित्व एवं लागत अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
  • मलबा हटाने की तकनीक: रोबोटिक हथियार और लेजर सिस्टम मलबे को हटाने के लिए आशाजनक हैं, लेकिन वर्तमान में महंगे हैं और स्पष्ट कानूनी ढाँचे का अभाव है।
  • वैश्विक यातायात निगरानी: वास्तविक समय में उपग्रहों और मलबे को ट्रैक करने की प्रणाली टकराव को कम कर सकती है, लेकिन इसके लिए डेटा-शेयरिंग के प्रतिरोध पर नियंत्रण पाने और एकीकृत प्राधिकरण स्थापित करने की आवश्यकता होती है।

बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर समिति (Committee on the Peaceful Uses of Outer Space- COPUOS) के बारे में

  • स्थापना: वर्ष 1959 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा।
  • मुख्यालय: वियना, ऑस्ट्रिया
  • सदस्य: इसकी सदस्य संख्या बढ़कर 102 हो गई है और यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी समितियों में से एक है।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अंतरिक्ष अन्वेषण से शांति, सुरक्षा और विकास में सभी को लाभ हो।
  • प्राथमिक कार्य
    • शांतिपूर्ण अंतरिक्ष उपयोग में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
    • अंतरिक्ष से संबंधित गतिविधियों और कानूनी मुद्दों का अध्ययन करता है।
    • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करता है।

आगे की राह

  • बाध्यकारी समझौते: सरकारों को COPUOS जैसी संस्थाओं के माध्यम से उत्सर्जन सीमाएँ और मलबा प्रबंधन मानक स्थापित करने चाहिए।
  • वित्तीय प्रोत्साहन: सब्सिडी, दंड और पुरस्कार निजी हितधारकों को संधारणीय प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
  • हरित प्रौद्योगिकियों को प्राथमिकता देना: स्वच्छ ईंधन, बायोडिग्रेडेबल उपग्रहों और मलबा हटाने की प्रणालियों के लिए अधिक धन जुटाना महत्त्वपूर्ण है।

अंतरिक्ष अन्वेषण का भविष्य तकनीकी प्रगति और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के बीच संतुलन पर निर्भर करता है। अंतरिक्ष को एक साझा, संधारणीय संसाधन बनाए रखने के लिए तत्काल एवं सामूहिक कार्रवाई आवश्यक है।

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