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Lokesh Pal
May 23, 2025 03:39
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भारत में जलवायु-जनित आपदाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, क्योंकि इसकी 80% से अधिक जनसंख्या उच्च जोखिम युक्त जिलों में रहती है, लेकिन जोखिम आकलन में असंगतता के कारण अनुकूलन रणनीतियाँ प्रतिक्रियात्मक बनी हुई हैं।
वर्ष 2047 तक जलवायु अनुकूलित विकास और विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, भारत को एक एकीकृत, विज्ञान संचालित ढाँचे के माध्यम से CPRs आकलन को संस्थागत बनाना होगा, जो इसके लोगों, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को बढ़ते जलवायु जोखिमों से सुरक्षित रखे।
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