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कॉर्टेम बेबी: नवजात शिशुओं के लिए पहली मलेरिया दवा

Lokesh Pal July 11, 2025 01:56 75 0

संदर्भ 

स्विस अधिकारियों ने कॉर्टेम बेबी (Coartem Baby) को मंजूरी दे दी है, जो विशेष रूप से शिशुओं और बहुत छोटे बच्चों के लिए तैयार किया गया पहला मलेरिया उपचार है।

  • कुछ देशों में इस उत्पाद को ‘रियामेट बेबी’ (Riamet Baby) कहा जाता है।

मलेरिया क्या है?

  • मलेरिया एक घातक बीमारी है, जो परजीवियों के कारण होती है और संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलती है।
  • यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सामान्य है, लेकिन इसकी रोकथाम एवं उपचार संभव है।
  • मलेरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता, हालाँकि यह संक्रमित रक्त या दूषित सुइयों के माध्यम से फैल भी सकता है।
  • प्लाज्मोडियम की पाँच प्रजातियाँ मनुष्यों को संक्रमित करती हैं: पी. फाल्सीपेरम, पी. वाइवैक्स, पी. मलेरिया, पी. ओवेल और पी. नोलेसी।
  • यदि इसका उपचार न किया जाए, विशेषकर पी. फाल्सीपेरम, पी. वाइवैक्स संक्रमण के मामलों में, तो यह 24 घंटों के भीतर गंभीर बीमारी या यहाँ तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है।
  • लक्षण: बुखार, ठंड लगना और सिरदर्द, थकान आदि।

संबंधित तथ्य 

  • BBC द्वारा उद्धृत वर्ष 2023 के आँकड़ों के अनुसार, मलेरिया से लगभग 5,97,000 मौतें हुईं, जिनमें से लगभग 75% पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चे थे, जिनमें से अधिकतर अफ्रीका में थे।
  • यह 4.5 किलोग्राम से कम वजन वाले शिशुओं के लिए लंबे समय से चली आ रही उपचार की कमी को पूरा करता है, एक ऐसा समूह जिसके लिए पहले सुरक्षित, स्वीकृत मलेरिया उपचार उपलब्ध नहीं थे।

कॉर्टेम बेबी ड्रग के बारे में

  • नोवार्टिस द्वारा मेडिसिन्स फॉर मलेरिया वेंचर (MMV) के सहयोग से विकसित किया गया है।
  • बच्चों के अनुकूल फॉर्मूलेशन: इसे दूध में आसानी से घुलने के लिए विशेष रूप से विकसित किया गया है।
    • शिशुओं द्वारा आसानी से ग्रहण करने के लिए इसमें मीठी चेरी का स्वाद है।
  • कॉर्टेम बेबी में आर्टीमेथर-ल्यूमेफैंट्रिन (Artemether-Lumefantrine) है, जो वर्ष 1999 से वैश्विक मानक मलेरिया-रोधी दवा है।
  • आर्टेमेथर-ल्यूमेफैंट्रिन की कम खुराक नवजात शिशुओं (2-5 किग्रा रेंज) में अपरिपक्व यकृत कार्य के लिए अनुकूलित है।
  • गोलियों या अस्थायी खुराक की आवश्यकता को समाप्त करता है, जिससे स्वच्छ, सुरक्षित प्रसव और बेहतर अनुपालन सुनिश्चित होता है।

प्रभाव

  • अब तक, 4.5 किलोग्राम से कम वजन वाले शिशुओं के लिए मलेरिया की कोई स्वीकृत दवा नहीं थी।
  • पहले शिशुओं का उपचार वयस्कों के लिए बने फॉर्मूले से किया जाता था, जिससे ओवरडोज और विषाक्तता का खतरा रहता था।
  • कॉर्टेम बेबी एक सुरक्षित, अनुकूलित खुराक प्रदान करता है, जो नवजात शिशु के चयापचय और वजन को ध्यान में रखता है।

क्लिनिकल परीक्षणों द्वारा समर्थित

  • इसे बुर्किना फासो, केन्या, नाइजीरिया, माली, जाम्बिया और कांगो सहित अफ्रीकी देशों में चरण II/III परीक्षणों में सिद्ध किया गया है।
  • परीक्षणों ने 5 किलोग्राम से कम वजन वाले शिशुओं के लिए उनकी अद्वितीय फार्माकोकाइनेटिक्स को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा और प्रभावकारिता की पुष्टि की।

मलेरिया की रोकथाम और उपचार

  • रोकथाम में मच्छरदानी, मच्छर भगाने वाले पदार्थ (DEET, IR3535, इकारिडिन), लंबी बाजू के कपड़े, कॉइल, वेपोराइजर, खिड़की के परदे और यात्रियों के लिए कीमोप्रोफिलैक्सिस का उपयोग शामिल है।
  • माइक्रोस्कोपी या रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (RDT) द्वारा शीघ्र निदान एवं उपचार आवश्यक है।
  • उपचार प्रोटोकॉल
    • पी. फाल्सीपेरम के लिए आर्टेमिसिनिन-आधारित संयोजन चिकित्सा (ACTs)।
    • प्लाज्मोडियम वाइवैक्स: क्लोरोक्वीन से उपचारित (जहाँ प्रभावी हो)।
    • पी. वाइवैक्स और पी. ओवेल में पुनरावृत्ति को रोकने के लिए प्राइमाक्वीन।
    • गंभीर मलेरिया के लिए अस्पताल में इंजेक्शन द्वारा मलेरिया-रोधी दवाओं की आवश्यकता होती है।
  • टीका: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दो टीकों – RTS,S (मॉस्क्वीरिक्स) और R21 को मंजूरी दी है।

मलेरिया नियंत्रण हेतु भारतीय पहल

  • मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय ढाँचा (2016-2030): विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक रणनीति के अनुरूप; वर्ष 2030 तक भारत में मलेरिया के स्वदेशी मामलों को शून्य करने का लक्ष्य, वर्ष 2027 तक उन्मूलन का आंतरिक लक्ष्य।
  • मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (वर्ष 2017- वर्ष 2022): नियंत्रण से उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित किया गया, वर्ष 2022 तक 678 जिलों में से 571 में मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया।
  • मलेरिया उन्मूलन अनुसंधान गठबंधन-भारत (Malaria Elimination Research Alliance-India- MERA-India): ICMR के नेतृत्व वाली पहल, जो मलेरिया उन्मूलन में अनुसंधान और समन्वित प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए हितधारकों को एक साथ लाती है।
  • उच्च बोझ से उच्च प्रभाव (High Burden to High Impact- HBHI) पहल: वर्ष 2019 में चार उच्च प्रभावित राज्यों में LLIN वितरण सहित हस्तक्षेपों को तेज करने के लिए शुरू की गई, जिससे मलेरिया के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई।
  • राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Vector-Borne Disease Control Programme-NVBDCP): मलेरिया और जापानी इंसेफेलाइटिस, डेंगू और कालाजार जैसी अन्य वेक्टर-जनित बीमारियों की एकीकृत रोकथाम तथा नियंत्रण के लिए प्रमुख कार्यक्रम।

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