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तटीय सुरक्षा योजना

Lokesh Pal January 02, 2025 04:19 32 0

संदर्भ

भारत की तटीय सुरक्षा जाँच के दायरे में है, क्योंकि 13 तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने गंभीर मुद्दों की रिपोर्ट दी है, जिनमें गैर-संचालनशील गश्ती नौकाएँ, कर्मचारियों की कमी और तटीय सुरक्षा योजना (Coastal Security Scheme- CSS) के अंतर्गत प्रशिक्षण और बुनियादी ढाँचे के लिए अपर्याप्त धन शामिल हैं। 

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) के अंतर्गत एक समिति को इन क्षेत्रों का दौरा कर कार्यान्वयन का आकलन करने और CSS चरण III तैयार करने का कार्य सौंपा गया है।

तटीय सुरक्षा योजना (CSS) 

  • लॉन्च एवं उद्देश्य: वर्ष 2005-06 में प्रस्तुत, CSS का उद्देश्य प्रभावी समुद्री गश्त करने के लिए राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को आवश्यक बुनियादी ढाँचे तथा संसाधनों से युक्त करके तटीय सुरक्षा को मजबूत करना है। 
  • यह योजना तटीय सुरक्षा बढ़ाने तथा भारत की 7,516.6 किमी. लंबी तटरेखा पर अनधिकृत गतिविधियों को रोकने के लिए नौसेना और तटरक्षक बल के प्रयासों को पूरक बनाती है।

कार्यान्वयन के चरण

  • चरण I (2005-2011):
    • बजट: छह वर्षों के लिए ₹646 करोड़।
  • चरण II (2011-2020):
    • बजट: ₹1,579.91 करोड़।
  • CSS का कार्यान्वयन: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा प्रबंधित यह योजना बुनियादी ढाँचे, जनशक्ति एवं परिचालन तैयारी के लिए राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के साथ समन्वय पर निर्भर करती है।

तटीय सुरक्षा भारत के लिए अपरिहार्य है, क्योंकि:

  • सामरिक महत्त्व: भारत की लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा व्यापार एवं रक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • आतंकवाद का खतरा: तटीय क्षेत्र आतंकवादी समूहों द्वारा घुसपैठ के प्रति संवेदनशील हैं, जैसा कि मुंबई 26/11 हमलों के दौरान देखा गया था।
  • समुद्री अपराध: तस्करी, समुद्री डकैती एवं अवैध मछली पकड़ने की गतिविधियाँ महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं।
  • प्राकृतिक आपदाएँ: तटीय क्षेत्रों में चक्रवात एवं सुनामी का खतरा होता है, जिसके लिए प्रभावी आपदा प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है।

रिपोर्ट की गई चुनौतियाँ

  • गैर-परिचालन उपकरण: आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे कई राज्यों ने बताया कि CSS चरण-I के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई अधिकांश नावें रखरखाव अनुबंध समाप्त हो जाने या क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण कार्य नहीं कर रही हैं।
  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी जैसे राज्यों ने जेट्टी निर्माण के लिए अपर्याप्त धनराशि और पुलिस स्टेशनों के अधूरे निर्माण की समस्या उठाई।
  • जनशक्ति की कमी: कर्नाटक सहित कई राज्य आउटसोर्स या प्रतिनियुक्त कर्मियों पर निर्भर हैं तथा उनके पास समर्पित समुद्री पुलिस कर्मचारी नहीं हैं।

CSS के चरण III के लिए सिफारिशें

  • बड़ी, अधिक स्थिर और लागत-कुशल नौकाओं की खरीद।
  • समुद्री पुलिस कर्मियों के लिए बीमा कवरेज।
  • समुद्री उपकरण और संचालन को सँभालने के लिए उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रम।
  • यह मूल्यांकन मौजूदा कमियों को दूर करने और भारत के तटीय सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करने के लिए सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

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