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तटीय नौवहन विधेयक, 2024

Lokesh Pal April 07, 2025 02:27 7 0

संदर्भ 

हाल ही में तटीय नौवहन विधेयक, 2024 लोकसभा द्वारा पारित किया गया है।

विधेयक की मुख्य विशेषताएँ

  • उद्देश्य: सरकार के समग्र परिवहन दृष्टिकोण यानी राष्ट्रीय रसद नीति के अनुरूप परिवहन का एक किफायती, विश्वसनीय और सतत तरीका विकसित करने हेतु तटीय व्यापार के लिए एक कानूनी ढाँचा तैयार करना।
  • भारतीय तटीय जल: इसे भारत के तट से 12 समुद्री मील (लगभग 22 किमी.) तक फैले प्रादेशिक जल तथा 200 समुद्री मील (लगभग 370 किमी.) तक फैले समीपवर्ती समुद्री क्षेत्रों के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • आवश्यकता
    • कानूनी ढाँचा: यह विधेयक भारत में तटीय नौवहन विनियमन के लिए कानूनी ढाँचे को मजबूत करने और तटीय व्यापार को बढ़ावा देने तथा इसमें घरेलू भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए लाया गया था।
    • आत्मनिर्भर भारत: यह भी सुनिश्चित करना कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और वाणिज्यिक आवश्यकताओं के लिए भारत के नागरिकों के स्वामित्व तथा संचालन वाले तटीय बेड़े से सुसज्जित हो।
    • तटीय यातायात में वृद्धि: तटीय माल यातायात पिछले 10 वर्षों में 119% बढ़कर वर्ष 2014-15 में 74 मिलियन टन से वर्ष 2023-24 में 162 मिलियन टन हो गया है, वर्ष 2030 तक 230 मिलियन टन का लक्ष्य है, जिसके लिए एक व्यापक कानूनी ढाँचे की आवश्यकता है।
  • विधेयक के मुख्य प्रावधान
    • विनियमन: विधेयक भारतीय तटीय जल में व्यापारिक जहाजों, नावों, नौकायन जहाजों और मोबाइल अपतटीय ड्रिलिंग इकाइयों (स्व-चालित या नहीं) सहित सभी प्रकार के जहाजों को विनियमित करने का प्रयास करता है।
    • तटीय व्यापार के अंतर्गत शामिल सेवाएँ: विधेयक में तटीय व्यापार के अंतर्गत मत्स्याखेट को छोड़कर अन्वेषण, अनुसंधान और किसी भी अन्य वाणिज्यिक गतिविधियों जैसी सेवाओं का प्रावधान शामिल है।
      • इस अधिनियम के तहत तटवर्ती व्यापार से तात्पर्य भारत में एक स्थान या बंदरगाह से दूसरे स्थान अथवा बंदरगाह तक माल एवं यात्रियों के परिवहन से है।
    • सामान्य व्यापार लाइसेंस
      • विधेयक के खंड 3 में भारतीय जहाजों के लिए सामान्य व्यापार लाइसेंस की आवश्यकता को हटा दिया गया है, ताकि अनुपालन बोझ को कम किया जा सके तथा व्यापार करने में आसानी को बढ़ाया जा सके।
      • विधेयक के खंड 4 में विदेशी जहाजों को केवल शिपिंग महानिदेशक द्वारा जारी लाइसेंस के तहत तटीय व्यापार में संलग्न होने की अनुमति दी गई है।
        • विदेशी जहाजों को किराए पर लेने की अनुमति देने वाले चार्टरर्स की श्रेणी का विस्तार किया गया है और अब इसमें भारतीय नागरिक, NRI, OCI और LLP शामिल हैं।
      • लाइसेंस रद्द करना: महानिदेशक को लाइसेंस को संशोधित करने, निलंबित करने या रद्द करने का अधिकार है, जिसमें शामिल हैं:
        • लाइसेंस की शर्तों या मौजूदा कानून का उल्लंघन या महानिदेशक के निर्देशों का पालन करने में विफलता।
    • राष्ट्रीय तटीय और अंतर्देशीय नौवहन रणनीतिक योजना: विधेयक के खंड 8 में राष्ट्रीय तटीय और अंतर्देशीय नौवहन रणनीतिक योजना को द्विवार्षिक रूप से तैयार करने का आदेश दिया गया है, जिसका उद्देश्य मार्ग नियोजन में सुधार करना, यातायात का पूर्वानुमान लगाना तथा तटीय नौवहन को अंतर्देशीय जलमार्गों के साथ एकीकृत करना है।
    • तटीय नौवहन का राष्ट्रीय डेटाबेस: पारदर्शिता, समन्वय और डेटा-संचालित निर्णय लेने को बढ़ाने के लिए इसकी स्थापना की गई है।
    • प्राधिकरण: नौवहन महानिदेशक को जानकारी प्राप्त करने, निर्देश जारी करने और अनुपालन लागू करने का अधिकार है।
      • केंद्र सरकार को छूट और विनियामक निरीक्षण प्रदान करने का अधिकार है, जिससे भारत में सुव्यवस्थित तथा कुशल तटीय नौवहन संचालन सुनिश्चित हो सके।

  • सहकारी संघवाद: विधेयक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए सक्रिय प्रतिनिधित्व का प्रावधान है, जिसमें विधेयक के खंड 8(3) के अंतर्गत राष्ट्रीय तटीय और अंतर्देशीय नौवहन रणनीतिक योजना के लिए एक समिति गठित की जाएगी।
    • अध्यक्ष: नौवहन महानिदेशक
    • पदेन सदस्य: भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष।
    • सदस्य: प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण के बोर्ड का 1-1 प्रतिनिधि; राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय का प्रतिनिधि, प्रत्येक राज्य समुद्री बोर्ड का प्रतिनिधि, जहाज मालिकों, नाविकों और तटीय व्यापार के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले ऐसे अन्य व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए 2 प्रतिनिधि।
  • लाभ
    • समावेशी विकास: यह विधेयक तटीय शिपिंग को अंतर्देशीय जलमार्गों के साथ एकीकृत करके समावेशी विकास को बढ़ावा देता है और सहकारी संघवाद के सिद्धांत को बनाए रखते हुए राज्यों को रणनीति, मार्ग और विनियमन को आकार देने में प्रत्यक्ष भूमिका की गारंटी देता है।
    • क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना: तटीय और अंतर्देशीय जलमार्गों के एकीकरण से ओडिशा, कर्नाटक और गोवा जैसे राज्यों में नदी तथा तटीय एवं अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन के क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।
    • आत्मनिर्भर भारत की ओर: यह विधेयक कानूनी स्पष्टता, विनियामक स्थिरता और निवेश-अनुकूल नीतियों को सुनिश्चित करता है, भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करता है तथा आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है।
    • बेड़े के संचालन में आत्मनिर्भरता: इसका उद्देश्य भारतीय संस्थाओं के स्वामित्व और संचालन वाले तटीय बेड़े का विकास करना है, जिससे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए विदेशी जहाजों पर निर्भरता कम होगी।
    • विनियामक अंतराल को संबोधित करता है: यह विधेयक तटीय व्यापार विनियमों को आधुनिक और सुव्यवस्थित करता है, मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 में अंतराल को संबोधित करता है और वैश्विक कैबोटेज प्रथाओं के साथ संरेखित एक दूरदर्शी, समग्र ढाँचा प्रदान करता है।
    • अतिभारित नेटवर्क को कम करना: इस विधेयक का उद्देश्य तटीय व्यापार को बढ़ावा देना है, साथ ही अंतर्देशीय जलमार्गों और नदी अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देना है। साथ ही अतिभारित सड़क और रेल नेटवर्क के लिए कम लागत वाला, विश्वसनीय तथा सतत् विकल्प प्रदान करना है।
    • सुधार: इस विधेयक में प्रमुख सुधारों पर जोर दिया गया है, जिनमें प्राथमिकता वाली बर्थिंग, ग्रीन क्लियरेंस चैनल और बंकर फ्यूल पर GST में कटौती शामिल है।

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