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वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)

Lokesh Pal September 30, 2024 02:59 35 0

संदर्भ 

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के हस्तक्षेप की प्रभावशीलता पर प्रश्न उठाया है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा संबोधित किए गए मुद्दे

  • अस्थायी प्रभाव: उच्चतम न्यायालय ने CAQM के निर्देशों की आलोचना करते हुए कहा कि उनका उल्लंघन करने वालों पर केवल अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है, उनकी तुलना ‘वायु में’ होने वाले प्रदूषण से की जाती है।
  • गैर-अनुपालन: बेंच ने CAQM अधिनियम, 2021 के तहत प्रावधानों के पूर्ण गैर-अनुपालन की ओर इशारा किया।
  • प्रवर्तन की कमी: न्यायालय ने अधिनियम के तहत की गई कड़ी कार्रवाई की कमी पर प्रश्न उठाया, आयोग से यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक सक्रिय होने का आग्रह किया कि उसके निर्देशों से प्रदूषण कम करने में ठोस परिणाम मिलें।
  • पराली जलाना: न्यायालय ने, विशेषकर शीत ऋतु के नजदीक आने के साथ, पराली जलाने के चल रहे मुद्दे पर चिंता व्यक्त की एवं CAQM से 3 अक्टूबर, 2024 तक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट माँगी है।
  • पूर्व निर्देश: विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं दिल्ली में पराली जलाने से रोकने के पिछले निर्देशों के बावजूद, अनुपालन एक मुद्दा बना हुआ है।
  • आयोग के दावे: CAQM ने दावा किया कि उसकी स्थापना के बाद से उसके हस्तक्षेपों से दिल्ली-NCR में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है, लेकिन न्यायालय ने स्थायी परिवर्तन के अधिक मजबूत साक्ष्य माँगे हैं।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)

  • यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।

अधिदेश

  • समन्वय: वायु प्रदूषण के मुद्दों के समाधान के लिए राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाना।
  • अनुसंधान: वायु गुणवत्ता प्रबंधन से संबंधित अनुसंधान करना।
  • प्रदूषण नियंत्रण: दिल्ली-NCR एवं आसपास के राज्यों (पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान) में वायु प्रदूषण नियंत्रण पर ध्यान देना।

CAQM की शक्तियाँ

  • प्रदुषणकारी गतिविधियों पर प्रतिबंध: वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा सकते हैं।
  • अनुसंधान और जाँच: प्रदूषण पर जाँच एवं अनुसंधान करता है।
  • दिशा-निर्देश एवं कोड: वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश एवं कोड विकसित करता है।
  • दिशा-निर्देश जारी करना: प्राधिकरण निरीक्षण एवं विनियमों के लिए बाध्यकारी निर्देश जारी करेगा।
  • प्रवर्तन: आदेश कानूनी रूप से बाध्यकारी हैं; अनुपालन न करने पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है।

संरचना

  • जवाबदेही: सीधे संसद के प्रति जवाबदेह।
  • अध्यक्ष: वरिष्ठ सरकारी अधिकारी (सचिव या मुख्य सचिव) जिसका कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक हो सकता है।
  • पदेन सदस्य: दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश से पाँच प्रतिनिधि।
  • तकनीकी सदस्य: CPCB, ISRO एवं NITI आयोग से तीन पूर्णकालिक सदस्य तथा विशेषज्ञ।
  • NGO सदस्य: गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) से तीन सदस्य।

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