इतालवी वैज्ञानिकों की एक टीम ने चंद्रमा की सतह पर ‘कंदराओं’ की मौजूदगी की पुष्टि की है।
कंदरा (Cave)
अवस्थिति: यह कंदरा ‘ट्रानक्विलिटी सागर’ (Sea of Tranquility) में स्थित है, जो अपोलो 11 के लैंडिंग स्थल से सिर्फ 250 मील (400 किलोमीटर) दूर है (नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन के लैंडिंग स्थल से ज्यादा दूर नहीं) और चंद्रमा पर सबसे गहरे ज्ञात गड्ढे से भी यहाँ पहुँचा जा सकता है।
चंद्रमा के प्राचीन लावा मैदानों में अधिकांश गड्ढे हैं, जिनमें से कुछ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भी मौजूद हैं।
डेटा स्रोत: शोधकर्ताओं ने नासा के लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर द्वारा रडार माप का विश्लेषण किया और परिणामों की तुलना पृथ्वी पर उपस्थित ‘लावा ट्यूबों’ के साथ की।
रडार डेटा से भूमिगत गुहा के केवल प्रारंभिक भाग ही पता चलता है तथा अनुमान है कि कंदरा कम-से-कम 130 फीट (40 मीटर) चौड़ी और कई गज लंबी होगी।
प्रकाशित: यह निष्कर्ष नेचर एस्ट्रोनॉमी पत्रिका में प्रकाशित हुआ।
प्रक्रिया: यह गड्ढा ‘लावा ट्यूब’ के प्रवाह से बना था।
चंद्रमा पर गड्ढों की खोज सबसे पहले वर्ष 2009 में की गई थी और अनुमान है कि 200 से अधिक गड्ढों में से संभवतः 16 क्षतिग्रस्त ‘लावा ट्यूब’ हैं।
निष्कर्ष का महत्त्व
विश्लेषण के परिणाम चंद्रमा पर सैकड़ों गड्ढों और हजारों लावा ट्यूबों की उपस्थिति का सुझाव देते हैं।
प्राकृतिक आश्रय: ऐसे स्थान, अंतरिक्ष यात्रियों के लिए प्राकृतिक आश्रय के रूप में कार्य कर सकते हैं, जो उन्हें ब्रह्मांडीय किरणों और सौर विकिरण के साथ-साथ ‘माइक्रोमेटोराइट’ हमलों से बचाते हैं।
लागत प्रभावी आवास विकल्प: कंदरा की दीवारों को ढहने से बचाने के लिए उन्हें मजबूत करने की संभावित आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए भी, स्क्रैच के माध्यम से आवास निर्माण अधिक समय लेने वाला और चुनौतीपूर्ण होगा।
ऊष्मीय रूप से स्थिर स्थल: गड्ढे और कंदराएँ चंद्र अन्वेषण के लिए ऊष्मीय रूप से स्थिर स्थल (लगभग 17 डिग्री सेल्सियस) का निर्माण करेंगी, जबकि चंद्रमा की सतह पर स्थित क्षेत्र रात में 127 डिग्री सेल्सियस तक गर्म और शून्य से 173 डिग्री सेल्सियस नीचे तक ठंडे हो जाते हैं।
चंद्रमा के विकास को समझना: इन कंदराओं के अंदर की चट्टानें और अन्य सामग्री युगों से सतह की कठोर परिस्थितियों से अपरिवर्तित हैं, जो वैज्ञानिकों को चंद्रमा के विकास को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी, विशेष रूप से इसकी ज्वालामुखी गतिविधि को शामिल करते हुए।
लावा ट्यूब (Lava Tubes)
लावा ट्यूब ज्वालामुखी विस्फोटों की उपस्थिति में निर्मित होते हैं, जहाँ बहता हुआ लावा ठंडा हो जाता है और सतह पर पर्पटी बन जाती है। यह पर्पटी अंदर बहते लावा को इन्सुलेट करती है, जिससे यह ठोस होने से पहले लंबी दूरी तक बह सकता है।
समय के साथ, ये नलिकाएँ भूकंपीय गतिविधियों या प्रभाव की घटनाओं के कारण क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, जिससे गड्ढों और छिद्रों की एक शृंखला बन जाती है, जिन्हें “स्काईलाइट्स” के रूप में जाना जाता है, जो ज्वालामुखीय विशेषताओं से दूर तक फैली होती हैं।
प्राप्ति: लावा ट्यूब पूरे सौर मंडल में देखे गए हैं, जिनमें चंद्रमा, मंगल और बुध भी शामिल हैं, जो पृथ्वी पर लावा ट्यूबों के समान हैं।
नासा का एलआरओ (लूनर रीकॉनिसेंस ऑर्बिटर)
प्रक्षेपण: इसे वर्ष 2009 में दो वर्षों के लिए प्रक्षेपित किया गया था, लेकिन यह अभी भी चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है।
LRO वर्ष 1998 में लूनर प्रॉस्पेक्टर के बाद नासा का पहला चंद्र परिक्रमा यान था।
प्राथमिक लक्ष्य: LRO ने भविष्य के लैंडिंग स्थलों और संसाधनों की पहचान करने के लिए एक कार्यक्रम के हिस्से के रूप में चंद्रमा के 3D मानचित्र का निर्माण किया, जिसमें ध्रुवीय क्रेटरों में बर्फ के निक्षेप शामिल हैं।
LRO ने आर्टेमिस कार्यक्रम के लिए एक अग्रिम सहभागी के रूप में नया जीवन पाया है, जो नासा की चंद्रमा की सतह पर मनुष्यों को वापस लाने की परियोजना है।
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