प्रतिवर्ष 18 दिसंबर को अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा हेतु महत्त्वपूर्ण है।
अल्पसंख्यक
‘अल्पसंख्यक’ शब्द सामान्यत: बहुसंख्यक जनसंख्या से धर्म, भाषा, जातीयता या संस्कृति में भिन्न समूहों को संदर्भित करता है।
भारतीय संविधान में कई स्थानों पर ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का उपयोग किया गया है, किंतु यह स्पष्ट रूप से ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को परिभाषित नहीं करता है।
अल्पसंख्यक की पहचान: उच्चतम न्यायलय के अनुसार, अल्पसंख्यकों की पहचान राज्य स्तर पर की जानी चाहिए।
उदाहरण के लिए, पंजाब, कश्मीर एवं पूर्वोत्तर राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, तथा इन राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं।
अल्पसंख्यक अधिकारों पर बहस को सांप्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता के वर्तमान ढाँचे से पृथक लोकतंत्र एवं वास्तविक समानता के सैद्धांतिक क्षेत्र में रखा जाना चाहिए।
फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट के अनुसार- “अल्पसंख्यकों के अधिकारों को मान्यता दिए बिना कोई भी लोकतंत्र जीवित नहीं रह सकता है।”
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 18 दिसंबर 1992 को ‘राष्ट्रीय, जातीय, धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों’ पर घोषणा को अपनाया, जिसे अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा के महत्त्व पर जोर देने के लिए विश्व स्तर पर अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।
वर्ष 2024 अल्पसंख्यक अधिकार दिवस की थीम: “विविधता को बढ़ावा देना एवं अधिकारों की रक्षा करना”
विविधता का संरक्षण: भारतीय संविधान मानता है, कि बहुसांस्कृतिक समाज में सार्वभौमिक व्यक्तिगत अधिकार अपर्याप्त हैं।
सार्वभौमिक व्यक्तिगत अधिकार की तुलना में, सामूहिक अधिकारों का उद्देश्य अल्पसंख्यक संस्कृतियों के संरक्षण के लिए अनुकूल वातावरण बनाना है।
न्यायिक व्याख्या: उच्चतम न्यायलय के हालिया निर्णय, जैसे कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (2024) मामले में, समानता एवं गैर-भेदभाव के पहलू के रूप में अल्पसंख्यक अधिकारों की संवैधानिक गारंटी की पुष्टि करते हैं।
भारत में मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक: वर्ष 2014 में, जैन समुदाय को भारत में आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक समुदायों की सूची में जोड़ा गया था।
इससे मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक समुदायों की कुल संख्या छह हो गई:- मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन
अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए संवैधानिक प्रावधान
अल्पसंख्यक अधिकारों से संबंधित अनुच्छेद
अनुच्छेद 29(1): अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि एवं संस्कृति के संरक्षण का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 30: धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना तथा प्रशासन करने का अधिकार प्रदान करता है।
अनुच्छेद 350A एवं 350B:मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करना एवं भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए एक विशेष अधिकारी नियुक्त करना।
अनुच्छेद 30(2): राज्य को अल्पसंख्यक संस्थानों के खिलाफ भेदभाव करने से रोकता है।
व्यक्तिगत कानून एवं प्रथागत प्रथाएँ: संविधान प्रथागत प्रथाओं के तहत नागाओं जैसे धर्म-आधारित व्यक्तिगत कानूनों की रक्षा करता है।
संस्थागत समर्थन: अल्पसंख्यक मुद्दों के समाधान के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग जैसे निकायों की स्थापना।
भारत में अल्पसंख्यकों के लिए संस्थागत ढाँचा
संस्था
उद्देश्य
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की रक्षा के लिए उनके सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास से संबंधित मामलों की जाँच एवं निगरानी करना।
अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 में निहित अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (NMDFC)
शिक्षा, व्यवसाय एवं कौशल विकास सहित विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों के लिए अल्पसंख्यक समुदायों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन (MAEF)
अल्पसंख्यक समुदायों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देना एवं विकसित करना, विशेषतः उच्च शिक्षा में।
राज्य अल्पसंख्यक आयोग
राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं एवं शिकायतों का समाधान करना।
वक्फ बोर्ड
वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन एवं प्रशासन करना, मुस्लिम समुदाय के लाभ के लिए उनका उचित उपयोग सुनिश्चित करना।
अल्पसंख्यक अधिकारों को पूर्ण करने में चुनौतियाँ
स्पष्ट परिभाषा का अभाव: ‘अल्पसंख्यक’ की संवैधानिक परिभाषा का अभाव कार्यान्वयन में अस्पष्टता एवं विसंगतियाँ उत्पन्न करता है।
बहुसंख्यकवादी दबाव: अल्पसंख्यक अधिकारों को प्रायः मुख्य रूप से बहुसंख्यकवादी सामाजिक ढाँचे में प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है, जिससे उनके प्रभावी कार्यान्वयन पर प्रभाव पड़ता है।
राज्य विनियमन: सरकार मानकों को बनाए रखने के लिए नियम लागू करती है, जिससे कभी-कभी प्रशासनिक नियंत्रण पर टकराव उत्पन्न होता है।
सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ: कई अल्पसंख्यक समूहों को प्रणालीगत नुकसान का सामना करना पड़ता है जो शिक्षा, रोजगार एवं सामाजिक अवसरों तक पहुँच में बाधा उत्पन्न करता है।
अल्पसंख्यक अधिकारों से संबंधित ऐतिहासिक मामले
TMA पाई फाउंडेशन बनाम कर्नाटक राज्य (2002): उचित प्रतिबंधों के अधीन, अपने समुदाय के छात्रों को प्रवेश देने के अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों को बरकरार रखा।
अल्पसंख्यक संस्थानों पर राज्य विनियमन की सीमा को स्पष्ट किया।
सेंट स्टीफंस कॉलेज बनाम दिल्ली विश्वविद्यालय (1992): अल्पसंख्यक संस्थानों के चरित्र एवं स्वायत्तता को बनाए रखने के अधिकार की पुष्टि की गई।
आरक्षण नीतियों सहित अपने स्वयं के प्रवेश मानदंड निर्धारित करने के अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकार को मान्यता दी गई।
भारत में अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी योजनाएँ एवं कार्यक्रम
वर्ग
योजना/कार्यक्रम
उद्देश्य
शैक्षिक सशक्तीकरण
मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप (MANF)
उच्च शिक्षा के लिए समर्थन, विशेषकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में।
पढ़ो परदेश
विदेशी अध्ययन के लिए शैक्षिक ऋण पर ब्याज में छूट।
निःशुल्क कोचिंग एवं संबद्ध योजनाएँ
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग।
नई उड़ान
UPSC, SSC एवं राज्य PSC परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए वित्तीय सहायता।
आर्थिक सशक्तीकरण
सीखो एवं कमाओ
कौशल विकास एवं आजीविका के अवसरों पर केंद्रित सीखो एवं कमाओ कार्यक्रम।
उस्ताद (USTTAD-Upgrading Skills and Training)
रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए पारंपरिक कला एवं शिल्प को उन्नत करना।
नई मंजिल
अल्पसंख्यक युवाओं के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण एवं रोजगार सहायता प्रदान करना।
NMDFC के माध्यम से रियायती ऋण
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (National Minorities Development & Finance Corporation- NMDFC) के माध्यम से अल्पसंख्यकों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
बुनियादी ढाँचे का विकास
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK)
अल्पसंख्यक-केंद्रित क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक स्थितियों एवं बुनियादी ढाँचे में सुधार।
विशेष जरूरतों
नई रोशनी
अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए नेतृत्व विकास।
हमारी धरोहर
अल्पसंख्यक समुदायों की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार करना।
जियो पारसी
चिकित्सा सहायता के माध्यम से पारसी समुदाय को जनसंख्या बढ़ाने में सहायता करना।
वक्फ प्रबंधन
कौमी वक्फ बोर्ड तरक्कियाती योजना
बेहतर पारदर्शिता एवं प्रबंधन के लिए वक्फ रिकॉर्ड का कम्प्यूटरीकरण।
शहरी वक्फ सम्पत्ति विकास योजना
सामुदायिक कल्याण गतिविधियों के लिए आय बढ़ाने के लिए शहरी वक्फ संपत्तियों का विकास।
अनुसंधान एवं समर्थन
मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन (MAEF) कॉर्पस फंड
अल्पसंख्यकों के लिए शैक्षिक पहलों का समर्थन करना।
NMDFC को इक्विटी
अल्पसंख्यक समुदायों का समर्थन करने वाले वित्तीय संस्थानों को मजबूत करना।
राज्य स्तरीय एजेंसियों को अनुदान सहायता
अल्पसंख्यकों के लिए राज्य-स्तरीय विकास कार्यक्रमों का समर्थन करना।
निष्कर्ष
अल्पसंख्यक अधिकार न केवल वंचित समूहों के लिए सुरक्षा उपाय हैं, बल्कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों एवं समानता को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक हैं।
अनुच्छेद 25-30 के माध्यम से संविधान का लक्ष्य स्वायत्तता एवं विनियमन के बीच संतुलन बनाए रखते हुए विविधता का संरक्षण सुनिश्चित करना है।
हालाँकि, सभी समुदायों के लिए समानता की दृष्टि को पूरी तरह से साकार करने के लिए इसकी परिभाषा में अस्पष्टता, सामाजिक प्रतिरोध एवं प्रशासनिक संघर्ष जैसी चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिए।
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