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ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग संबंधी असमानताएँ

Lokesh Pal June 12, 2024 03:17 166 0

संदर्भ

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Survey- HCES) के विश्लेषण से पता चलता है कि 11 राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग असमानता बढ़ी है।

संबंधित तथ्य

  • ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वेक्षण के अनुसार, कुल उपभोग व्यय के गिनी गुणांक में वर्ष 2011-12 एवं 2022-23 की अवधि के बीच वृद्धि देखी गई।
    • विश्लेषण के लिए गए 25 में से 11 राज्यों में गिनी गुणांक मूल्य में वृद्धि दर्ज की गई।
  • ग्रामीण क्षेत्र: गिनी गुणांक में वृद्धि नागालैंड (0.192 से 0.244) में सबसे तेज थी, इसके बाद झारखंड (0.255 से 0.206), महाराष्ट्र (0.291 से 0.253), राजस्थान (0.283 से 0.248), मेघालय (0.223 से 0.19) एवं छत्तीसगढ़ (0.234 से 0.266) में थी। 

  • शहरी क्षेत्र: उपभोग व्यय के लिए गिनी गुणांक तीन राज्यों  [मेघालय (0.266 से 0.226), हिमाचल प्रदेश (0.311 से 0.29) एवं मणिपुर (0.221 से 0.209)] के शहरी क्षेत्रों में भी बढ़ गया है। 
  • राष्ट्रीय रुझान: देश स्तर पर, कुल उपभोग व्यय के गिनी गुणांक में सामान्य गिरावट दर्ज की गई, जो देश में व्यय असमानता में गिरावट को दर्शाता है।
    • गिनी गुणांक वर्ष 2011-12 (ग्रामीण क्षेत्रों) में 0.283 से घटकर वर्ष 2022-23 में 0.266 हो गया है। शहरी क्षेत्रों के लिए, यह इसी अवधि के दौरान 0.363 से घटकर 0.314 हो गया है।

घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) के बारे में 

  • HCES सर्वेक्षण मुख्य रूप से घरों द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं की खपत पर जानकारी एकत्र करने के लिए तैयार किया गया है तथा घरेलू विशेषताओं एवं उनके जनसांख्यिकीय विवरणों पर कुछ सहायक जानकारी भी एकत्र करता है।
  • उद्देश्य: HCES में एकत्र की गई जानकारी उपभोग एवं व्यय पैटर्न, जीवन स्तर तथा परिवारों के कल्याण को समझने के लिए उपयोगी है।
    • डेटा का उपयोग आधिकारिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Indices- CPIs) के संकलन के लिए भारांक आरेख तैयार करने के लिए किया जाता है।
  • संचालनकर्ता: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office- NSSO)
  • सर्वेक्षण कवरेज: सर्वेक्षण एक अखिल भारतीय अभ्यास है। कुल 2,61,746 घरों (ग्रामीण क्षेत्रों में 1,55,014 एवं शहरी क्षेत्रों में 1,06,732) को कवर करते हुए 8,723 गाँवों तथा 6,115 शहरी ब्लॉकों से जानकारी एकत्र की गई है।
  • उपभोग बॉक्स: वर्ष 2022-23 के HCES में वस्तुओं की बॉक्स को तीन व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया गया है, अर्थात् खाद्य पदार्थ, उपभोग्य वस्तुएँ एवं सेवा वस्तुएँ तथा टिकाऊ वस्तुएँ।

गिनी गुणांक (Gini coefficient) के बारे में 

  • गिनी इंडेक्स किसी देश की आबादी के बीच आय वितरण या धन वितरण को मापकर उसकी आय असमानता के स्तर को निर्धारित करता है। 
  • विकसित किया गया है: गिनी सूचकांक वर्ष 1912 में इतालवी सांख्यिकीविद् कोराडो गिनी द्वारा विकसित किया गया था।

  • पैमाना: गिनी गुणांक असमानता को 0 (या 0%) से 1 (या 100%) के पैमाने पर मापता है, जिसमें 0 पूर्ण समानता का प्रतिनिधित्व करता है एवं 1 पूर्ण असमानता का प्रतिनिधित्व करता है।
  • वैश्विक स्तर पर रैंकिंग: दक्षिण अफ्रीका में आय असमानता का स्तर दुनिया में सबसे खराब है, इसकी गिनी इंडेक्स रैंकिंग 63.0% है एवं नॉर्वे में आय असमानता का स्तर सबसे कम 22.7% है। 
    • विश्व बैंक के अनुसार, वर्ष 2021 में भारत का गिनी गुणांक 32.8 है। 
  • ग्राफिकल प्रतिनिधित्व: गिनी सूचकांक को अक्सर लोरेंज वक्र के माध्यम से ग्राफिकल रूप से दर्शाया जाता है।

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