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भ्रष्टाचार बोध सूचकांक (CPI), 2023 (Corruption Perception Index (CPI), 2023)

Samsul Ansari January 31, 2024 03:33 648 0

संदर्भ

हाल ही में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI), 2023 से पता चलता है कि अधिकांश देशों ने सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार से निपटने में बहुत कम या कोई प्रगति नहीं की है।

संबंधित तथ्य

  • कुल देश: सूचकांक के तहत कुल 180 देशों को उनकी सार्वजनिक व्यवस्था में मौजूद भ्रष्टाचार के कथित स्तर पर विशेषज्ञों और कारोबारियों द्वारा दी गई राय के अनुसार रैंक दी जाती है।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल

  • ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1993 में बर्लिन (जर्मनी) में की गई थी। 
  • इसका प्राथमिक उद्देश्य नागरिक उपायों के माध्यम से वैश्विक भ्रष्टाचार का मुकाबला करना और भ्रष्टाचार के कारण उत्पन्न होने वाली आपराधिक गतिविधियों को रोकने हेतु कार्रवाई करना है।
  • इसके प्रकाशनों में वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर और भ्रष्टाचार बोध सूचकांक शामिल हैं।

वैश्विक स्थिति

  • यह 13 स्वतंत्र डेटा स्रोतों पर निर्भर करता है और इसमें 0 से 100 तक के स्तर का पैटर्न उपयोग किया जाता है, जहाँ 0 का अर्थ सबसे अधिक भ्रष्टाचार से है और 100 का अर्थ सबसे कम भ्रष्ट से है।

  • दो-तिहाई से अधिक देशों का स्कोर 50 से नीचे रहा है। 
  • रिपोर्ट में सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार को संबोधित करने में न्यूनतम प्रगति पर प्रकाश डाला गया, क्योंकि सीपीआई का वैश्विक औसत लगातार बारहवें वर्ष 43 पर स्थिर रहा।

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकर्ता

  • प्रथम स्थान: लगातार छठे वर्ष, डेनमार्क ने अपनी “अच्छी तरह से कार्यशील न्याय प्रणालियों” के कारण 90 अंक के साथ सूचकांक में शीर्ष स्थान हासिल किया है।
  • द्वितीय एवं तृतीय स्थान: फिनलैंड और न्यूजीलैंड क्रमशः 87 और 85 के स्कोर के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
  • इस वर्ष, सूचकांक में शीर्ष 10 देशों में नॉर्वे (84), सिंगापुर (83), स्वीडन (82), स्विट्जरलैंड (82), नीदरलैंड (79), जर्मनी (78), और लक्जमबर्ग (78) शामिल हैं।
  • पश्चिमी यूरोप और यूरोपीय संघ शीर्ष स्कोरिंग क्षेत्र बने रहे, इस वर्ष इसका क्षेत्रीय औसत स्कोर गिरकर 65 हो गया, क्योंकि नियंत्रण और संतुलन व्यवस्था कमजोर हुई है तथा राजनीतिक अखंडता समाप्त हो गई है।

सर्वाधिक भ्रष्ट देश

  • सबसे कम 11 अंक के साथ सोमालिया 180वें स्थान पर है।
  • सूचकांक में सर्वाधिक निम्न स्थान पर सोमालिया (11), वेनेजुएला (13), सीरिया (13), दक्षिण सूडान (13), और यमन (16) हैं।
    •  ये सभी देश लंबे संकटों, मुख्य रूप से सशस्त्र संघर्षों से प्रभावित हैं।
  • निकारागुआ (17), उत्तर कोरिया (17), हैती (17), इक्वेटोरियल गिनी (17), तुर्कमेनिस्तान (18), और लीबिया (18) सूचकांक में सबसे खराब प्रदर्शनकर्ता देश हैं।

  • भारत के पड़ोसी
    • पाकिस्तान 29 (रैंक 133) के स्कोर के साथ और श्रीलंका 34 (रैंक 115) के स्कोर के साथ कर्ज के बोझ और आगामी राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे हैं।
    • चीन (रैंक 76) ने पिछले दशक में 3.7 मिलियन से अधिक सार्वजनिक अधिकारियों को भ्रष्टाचार के लिए दंडित करके अपनी आक्रामक भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई से सुर्खियाँ बटोरी हैं परंतु रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता पर संस्थागत जाँच के बजाय सजा पर देश की भारी निर्भरता ऐसे भ्रष्टाचार विरोधी उपायों की प्रभावशीलता पर लंबे समय से संदेह पैदा करती है।

उल्लेखनीय गिरावट वाले देश

  • वर्ष 2018 के बाद से, 12 देशों के CPI स्कोर में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है। इनमें विभिन्न आय स्तरों वाले देश शामिल हैं-
    • इनमें अल सल्वाडोर (31), होंडुरास (23), लाइबेरिया (25), म्याँमार (20), निकारागुआ (17), श्रीलंका (34) जैसे निम्न और मध्यम आय वाले देश शामिल हैं। 
    • वेनेजुएला (13), अर्जेंटीना (37), ऑस्ट्रिया (71), पोलैंड (54), तुर्की (34), और यूनाइटेड किंगडम (71) जैसी उच्च-मध्यम और उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं ने भी अपने CPI स्कोर में गिरावट का अनुभव किया है।

उल्लेखनीय सुधार वाले देश

  • इसी अवधि के दौरान, आठ देशों ने अपने भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक स्कोर में सुधार किया है- 
  • इन देशों में आयरलैंड (77), दक्षिण कोरिया (63), आर्मेनिया (47), वियतनाम (41), मालदीव (39), मोल्दोवा (42), अंगोला (33) और उज्बेकिस्तान (33) शामिल हैं।

भारत की स्थिति

  • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा CPI में भारत ने 39 अंकों के साथ 93वाँ स्थान हासिल किया। 
  • वर्ष 2022 में भारत का स्कोर 40 था और इसने 85वाँ स्थान हासिल किया था।
    • भारत का समग्र स्कोर अपेक्षाकृत स्थिर रहा।
  • भारत की स्थिति कम होने के कारण:
  • रिपोर्ट के अनुसार: चुनावों से पहले भारत में नागरिक स्वतंत्रता में कमी देखी जा रही है, जिसमें एक दूरसंचार विधेयक का पारित होना भी शामिल है, जो मौलिक अधिकारों के लिए एक ‘गंभीर खतरा’ हो सकता है।

भ्रष्टाचार से निपटने के लिए भारतीय पहलें

  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988
  • कंपनी अधिनियम, 2013
  • लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग
  • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002
  • विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010।

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