100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारतीय मसाला क्षेत्र में संकट

Lokesh Pal May 04, 2024 05:46 232 0

संदर्भ

हाल ही में विभिन्न देशों में भारतीय मसाला शिपमेंट की अस्वीकृति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

संबंधित तथ्य 

  • आरोपों का सामना करना 
    • अमेरिकी शिपमेंट अस्वीकृति: पिछले छः महीनों में, अमेरिका में महाशियान दी हट्टी (MDH) प्राइवेट लिमिटेड के मसाला शिपमेंट का लगभग एक-तिहाई साल्मोनेला संदूषण के कारण वापस कर दिया गया है।
    • हांगकांग की कार्रवाई: हांगकांग के खाद्य सुरक्षा केंद्र ने तीन MDH  मसाला मिश्रणों (मद्रास करी पाउडर, साँभर मसाला और करी पाउडर मसाला) और एवरेस्ट फिश करी मसाला की बिक्री निलंबित कर दी।
    • सिंगापुर और हांगकांग निलंबन: दोनों ने अपने उत्पादों में कथित तौर पर कैंसर पैदा करने वाले कीटनाशक (एथिलीन ऑक्साइड) का पता चलने के कारण MDH  और एवरेस्ट फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड दोनों के कई उत्पादों की बिक्री निलंबित कर दी है।

  • संदूषण पर जाँच: विभिन्न देशों (सिंगापुर, हांगकांग और अमेरिका सहित) ने शीर्ष भारतीय ब्रांडों द्वारा बेचे जाने वाले मसाला मिश्रणों के संभावित संदूषण की जाँच की घोषणा की है।
    • शिकायतों में एथिलीन ऑक्साइड की उपस्थिति का हवाला दिया गया है, जो कि खाद्य स्टेबलाइजर के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला एक जहरीला रसायन है, जो अनुमेय सीमा से अधिक है।
    • अंतरराष्ट्रीय जाँच ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण से घरेलू बाजारों में बेचे जाने वाले मसालों तथा करी पाउडर पर कड़ी गुणवत्ता जाँच सुनिश्चित करने की भी माँग उठाई है।
    • प्रोटीन पेय, फलों के रस, स्वास्थ्य पेय और आयातित नेस्ले बेबी उत्पादों के लिए भी विवाद उठे, जिससे नियामक खामियों की ओर ध्यान आकर्षित हुआ और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ बढ़ गईं।
    • उपभोक्ता विश्वसनीय ब्रांडों की सुरक्षा और गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं।
  • मसाला संदूषण पर भारत की प्रतिक्रिया
    • स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया की पहल: इसने विदेशों में भेजे जाने वाले उत्पादों का अनिवार्य परीक्षण शुरू किया है तथा कथित तौर पर संदूषण के मूल कारण की पहचान करने के लिए निर्यातकों के साथ काम कर रहा है।
    • निरीक्षण: नियामक मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए निर्यातक सुविधाओं पर गहन निरीक्षण भी चल रहा है।
    • रोकथाम के उपाय: कच्चे और अंतिम चरण के दौरान EtO के स्वैच्छिक परीक्षण द्वारा एथिलीन ऑक्साइड (Ethylene oxide-EtO) संदूषण को रोकना; EtO उपचारित उत्पादों को अलग से संगृहीत किया जाना चाहिए; EtO को एक खतरे के रूप में पहचानना और खतरे के विश्लेषण में महत्त्वपूर्ण नियंत्रण बिंदुओं को शामिल करना।
    • FSSAI कार्रवाई: FSSAI  ने राज्य नियामकों को EtO की उपस्थिति का परीक्षण करने के लिए MDH और एवरेस्ट सहित प्रमुख मसाला ब्रांडों के नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया है।
      • यह वर्ष 2024-25 में फलों और सब्जियों, मछली उत्पादों में साल्मोनेला, मसाला और पाक जड़ी-बूटियों, फोर्टिफाइड चावल तथा दुग्ध उत्पादों के लिए राष्ट्रव्यापी निगरानी करने की भी योजना बना रहा है।

मसालों के बारे में

  • मसालों को पौधों से प्राप्त पदार्थों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो किसी भी व्यंजन में स्वाद बढ़ाते हैं।
  • मसालों का उपयोग मुख्य रूप से भोजन को स्वादिष्ट बनाने (लौंग, काली मिर्च) या विविधता पैदा करने के लिए किया जाता है। इनका उपयोग इत्र सौंदर्य प्रसाधन (केसर, चंदन) और धूप (दालचीनी, स्टाइरैक्स) में भी किया जाता है। विभिन्न कालखंडों में, हर्बल चिकित्सा में कई मसालों का उपयोग किया जाता था।

भारतीय मसालों का इतिहास और विकास

  • प्राचीन उत्पत्ति: भारत में मसालों का उपयोग प्राचीन काल से (सिंधु घाटी सभ्यता तक) देखा जा सकता है और इसका उपयोग पाक और औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता था।
    • व्यापार मार्ग: सिल्क रूट सहित प्राचीन व्यापार मार्गों पर भारत की रणनीतिक स्थिति थी, जिससे मसालों के आदान-प्रदान तथा अन्य सभ्यताओं के साथ संबंधों की सुविधा मिलती थी।
    • आयुर्वेदिक प्रभाव: माना जाता है कि कई मसालों में औषधीय गुण होते हैं तथा उनका उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता था।
  • अरब और फारसी प्रभाव: मध्ययुगीन काल के दौरान, उन्होंने भारतीय मसालों को पश्चिम में विस्तारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो बाद में यूरोप में फला-फूला और विलासिता की वस्तु बन गया।
  • यूरोपीय प्रभाव: 15वीं शताब्दी में, यूरोपीय शक्तियों, विशेष रूप से पुर्तगाली, डच और बाद में ब्रिटिशों ने भारत के मसाला उत्पादक क्षेत्रों तक सीधी पहुँच की माँग की, जिसके कारण समुद्री व्यापार मार्गों की खोज और स्थापना हुई, जिसने अन्वेषण के युग में योगदान दिया। 
  • औपनिवेशिक शक्तियाँ: यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों का उद्देश्य मसाला व्यापार को नियंत्रित करना था, जिससे भारत में व्यापारिक चौकियों और उपनिवेशों की स्थापना हुई।
    • मसाला उत्पादक क्षेत्रों में प्रभुत्व के लिए पुर्तगाली, डच और ब्रिटिशों के बीच अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धा थी।
    • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company-EIC) का एकाधिकार 
      • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मसाला उत्पादन, वितरण और व्यापार मार्गों को नियंत्रित करके मसाला व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
      • अंग्रेजों ने निर्यात के लिए काली मिर्च, इलायची और दालचीनी जैसे मसालों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, विशेष रूप से केरल और कर्नाटक में बड़े पैमाने पर मसाला बागान शुरू किए।
  • स्वतंत्रता के बाद
    • वैश्विक मसाला बाजार में भारत एक प्रमुख खिलाड़ी बना हुआ है।
      • भारत अपनी विविध जलवायु और भूगोल के कारण विभिन्न प्रकार के मसालों के उत्पादन के लिए जाना जाता है।
    • उदाहरण: मसाले जैसे काली मिर्च, इलायची, दालचीनी, लौंग, हल्दी, जीरा, आदि।
    • वैश्विक प्रभाव: भारतीय मसालों का उपयोग अंतरराष्ट्रीय बाजारों और खाना पकाने में व्यापक है।

भारत का मसाला बाजार

अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) के बारे में

  • यह एक अंतरराष्ट्रीय मानक विकास संगठन है, जो सदस्य देशों के राष्ट्रीय मानक संगठनों के प्रतिनिधियों से बना है।
  • ISO आधिकारिक तौर पर वर्ष 1947 में अस्तित्व में आया था।

  • स्थिति: भारत मसालों का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक, उत्पादक और उपभोक्ता है और उत्पादों के लिए इसके घरेलू बाजार का मूल्य वर्ष 2022 में 10.44 बिलियन डॉलर था।
    • भारत अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) द्वारा सूचीबद्ध 109 किस्मों में से 75 किस्मों का उत्पादन करता है।
  • निर्यात: वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत के करी पाउडर और मिश्रण के शीर्ष तीन आयातकों में अमेरिका (₹196.2 करोड़), संयुक्त अरब अमीरात (₹170.6 करोड़) और यूनाइटेड किंगडम (₹124.9 करोड़) शामिल हैं।
    • इसके बाद सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ओमान, कनाडा, कतर और नाइजीरिया हैं।
    • कुल मिलाकर, चीन, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश और थाईलैंड भारत से आने वाले सभी मसालों और मसाला मिश्रणों के शीर्ष आयातक हैं।
      • MDH  और एवरेस्ट के अलावा, अन्य प्रमुख निर्माताओं में मधुसूदन मसाला, एनएचसी फूड्स और उपभोक्ता दिग्गज टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और ITC शामिल हैं।

  • प्रमुख निर्यातित मसाले
    • काली मिर्च, इलायची, मिर्च, अदरक, हल्दी, धनिया, जीरा, अजवाइन, सौंफ, मेथी, लहसुन, जायफल और जावित्री, करी पाउडर, मसाला तेल और ओलियोरेसिन।
    • वर्ष 2023 और वर्ष 2024 के आँकड़े
      • वर्ष 2023 में, भारत का मसालों का निर्यात लगभग 3.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
      • वर्ष 2023 और वर्ष 2024  (फरवरी तक) में भारत का मसालों का निर्यात लगभग 3.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • भारत के सबसे बड़े मसाला उत्पादक राज्य
    • मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, असम, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल।

भारत में मसाला उत्पादन में वृद्धि के लिए सरकारी पहल

निर्यात विकास एवं संवर्द्धन: यह भारतीय ब्रांड के मसालों को बढ़ावा देने, मसाला उगाने वाले केंद्रों में बुनियादी ढाँचे की स्थापना करने और निर्यातकों को उन्नत तकनीक का उपयोग करने तथा मौजूदा तकनीक को उन्नत करने के लिए समर्थन देने के लिए भारतीय मसाला बोर्ड की एक पहल थी।

भारतीय मसाला बोर्ड

  • स्थापना: यह मसाला बोर्ड अधिनियम 1986 के तहत 26 फरवरी, 1987 को गठित वैधानिक संगठन है।
    • इसका गठन पूर्ववर्ती इलायची बोर्ड और मसाला निर्यात संवर्द्धन परिषद के विलय से हुआ था।
  • मुख्यालय: कोच्चि।
  • अधिदेश: मसाला बोर्ड (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार) भारतीय मसालों के विकास और विश्वव्यापी प्रचार के लिए प्रमुख संगठन है।
    • बोर्ड भारतीय निर्यातकों और विदेश में आयातकों के बीच एक अंतरराष्ट्रीय कड़ी है।

  • मसाला पार्कों की स्थापना: बोर्ड ने प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों और बाजार केंद्रों में आठ फसल-विशिष्ट मसाला पार्क स्थापित कर रहा है।
    • उद्देश्य
      • किसानों को उनकी फसलों के लिए बेहतर मूल्य और व्यापक बाजार पहुँच प्राप्त करने में सहायता करना।
      • मसालों की खेती, कटाई के बाद, प्रसंस्करण, मूल्य संस्करण और मसालों के भंडारण के लिए एक व्यापक प्रणाली बनाना।
  • स्पाइस कॉम्प्लेक्स सिक्किम: मसालों में सामान्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्द्धन की सुविधा और प्रदर्शन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्य में किसानों और अन्य हितधारकों की मदद करने की एक पहल।
  • मसालों और पाक जड़ी-बूटियों पर कोडेक्स समिति (CCSCH) की स्थापना: यह कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन की एक सहायक संस्था है, जो खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक संयुक्त पहल है।
    • कोडेक्स एलिमेंटेरियस आयोग खाद्य व्यापार की सुरक्षा, गुणवत्ता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय खाद्य मानक स्थापित करने के लिए उत्तरदायी है।
      • भारत वर्ष 1964 से इसका सदस्य है।

भारत के लिए मसालों का महत्त्व

  • आर्थिक विकास
    • निर्यात: भारत दुनिया के सबसे बड़े मसाला निर्यातकों में से एक है और इसके मसालों की विश्व स्तर पर उच्च माँग है। भारत 150 से अधिक देशों में अपने मसाले निर्यात करता है, जिनमें अमेरिका, चीन, वियतनाम, संयुक्त अरब अमीरात और मलेशिया सबसे बड़े बाजार हैं।
    • रोजगार: मसाला क्षेत्र इसकी खेती, प्रसंस्करण और विपणन में शामिल लाखों किसानों, व्यापारियों और मजदूरों को आजीविका प्रदान करता है।
    • मूल्य संवर्द्धन: भारत मूल्य शृंखला में कच्चे मसालों के निर्यात से आगे बढ़कर मसाला तेल, ओलेओरेसिन (Oleoresins), पाक पेस्ट (Culinary Pastes) और उपयोग के लिए तैयार मसाला मिश्रण जैसे मूल्य वर्द्धित उत्पादों की पेशकश कर रहा है।
  • सांस्कृतिक महत्त्व
    • सांस्कृतिक विरासत: भारत में मसालों की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। वे सदियों से भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहे हैं, जिनका उपयोग न केवल व्यंजनों में बल्कि पारंपरिक चिकित्सा, अनुष्ठानों आदि में भी किया जाता है।
    • स्वास्थ्य लाभ: हल्दी को उसके सूजन-रोधी गुणों के लिए महत्त्व दिया जाता है, और अदरक का उपयोग पाचन में सहायता के लिए किया जाता है।
    • मसाला मिश्रण: गरम मसाला और करी पाउडर जैसे मसाला मिश्रण भारतीय खाना पकाने के केंद्र में हैं और मसालों के सावधानीपूर्वक तैयार किए गए संयोजन हैं, जो व्यंजनों को विशिष्ट स्वादिष्ट बनाते हैं।
    • क्षेत्रीय विविधताएँ: मसाले क्षेत्रीय व्यंजनों को परिभाषित करने और स्थानीय स्वादों में गहराई जोड़ने में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।

भारतीय मसाला क्षेत्र के सामने चुनौतियाँ

  • आर्थिक चिंताएँ
    • तत्काल जोखिम: दिल्ली स्थित थिंक टैंक ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (GTRI) ने कहा कि महत्त्वपूर्ण बाजारों में नियामक कार्रवाइयों के कारण लगभग 700 मिलियन डॉलर का निर्यात रुका हुआ है।
    • चीन का प्रभाव: यदि चीन हांगकांग का अनुसरण करता है, तो भारतीय निर्यात में ‘नाटकीय गिरावट’ देखी जा सकती है। इससे 2.17 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात पर असर पड़ सकता है, जो देश के वैश्विक मसाला निर्यात का लगभग 51.1% है।
    • यूरोपीय संघ का प्रभाव: यदि यूरोपीय संघ, जिसके बारे में वह कहता है, ‘गुणवत्ता के मुद्दों पर नियमित रूप से भारतीय मसाला खेपों को अस्वीकार करता है’ का अनुसरण करता है, तो यह और भी खराब हो सकता है।
    • कुल संभावित नुकसान: संभावित नुकसान अतिरिक्त $2.5 बिलियन का हो सकता है, जिससे कुल संभावित नुकसान वैश्विक निर्यात का 58.8% हो जाएगा।
  • गुणवत्ता और मानक रखरखाव: मसाला क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियों में से एक उच्च गुणवत्ता मानकों को बनाए रखना और आयातक देशों के कड़े कीटनाशक अवशेष मानदंडों को पूरा करना है।
  • खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: खाद्य सुरक्षा दुनिया भर के उपभोक्ताओं के लिए सर्वोपरि चिंता का विषय है, विशेष रूप से विकसित देशों में जहाँ कड़े नियम उत्पाद सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। भारतीय मसाला निर्यातकों को उपभोक्ताओं को अपने उत्पादों की सुरक्षा और स्वच्छता का आश्वासन देने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • हाल ही में हुए लोकल सर्कल्स सर्वेक्षण के अनुसार, 10 में से सात से अधिक भारतीय अपने द्वारा खाए जाने वाले मसालों की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, जिसमें 293 जिलों के 12,300 लोगों की प्रतिक्रियाओं का दस्तावेजीकरण किया गया है।
  • पता लगाने की क्षमता और पारदर्शिता: भारत की मसाला आपूर्ति शृंखला की खंडित प्रकृति पूर्ण पता लगाने की क्षमता और पारदर्शिता प्राप्त करने में चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है। मानकीकृत दस्तावेजीकरण की कमी, अपर्याप्त रिकॉर्ड-रखने की प्रथाएँ और अनौपचारिक व्यापार चैनल भारतीय निर्यातकों की सत्यापन योग्य ट्रैसेबिलिटी डेटा प्रदान करने की क्षमता में बाधा डालते हैं।
    • अनुपस्थित जवाबदेही और परिणामों का अर्थ अक्सर यह होता है कि प्रवर्तन एजेंसियाँ बेईमान खाद्य ऑपरेटरों को दंडित करने में विफल रहती हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है।
      • FSS अधिनियम की धारा 59 के तहत, खराब खाद्य पदार्थों को बेचने, भंडारण या निर्माण करने का दोषी पाए जाने वाले खाद्य व्यवसायों पर ₹3 लाख का जुर्माना और तीन महीने की जेल की सजा हो सकती है।
  • टैरिफ और व्यापार बाधाएँ: विकसित देशों द्वारा लगाए गए टैरिफ और व्यापार बाधाएँ भारतीय मसाला निर्यातकों के लिए महत्त्वपूर्ण अवरोध पैदा करती हैं। मसालों का एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक होने के बावजूद, भारत को अन्य निर्यातक देशों से कड़ी प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता है।
  • मूल्य अस्थिरता और प्रतिस्पर्द्धा: वैश्विक मसाला बाजार अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धी है और भारतीय निर्यातकों को अक्सर फसल की उपज, मौसम की स्थिति और मुद्रा में उतार-चढ़ाव जैसे कारकों से प्रभावित मूल्य अस्थिरता से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • परिचालन और लॉजिस्टिक बाधाएँ: कई कंपनियाँ मानकीकृत रिकॉर्ड रखने की कमी और जानबूझकर खाद्य धोखाधड़ी के कारण सामग्री, विशेष रूप से कच्ची कृषि वस्तुओं का पता लगाने के लिए संघर्ष करती हैं।
    • यह निर्माताओं को संभावित जोखिमों का आकलन करने से रोकता है, जिससे संपूर्ण खाद्य आपूर्ति शृंखला की सुरक्षा से समझौता होता है।
    • कम-से-कम 10 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में सरकारी या निजी अधिसूचित खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं का अभाव है, जैसा कि FSS अधिनियम के तहत अनिवार्य है।

  • सामाजिक प्रभाव: संभावित नुकसान की स्थिति में, ऐसी फसलों के किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे मामलों से किसान पर बोझ पड़ेगा।
  • स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ
    • MDH और एवरेस्ट के मसाला मिश्रण में कथित तौर पर एथिलीन ऑक्साइड (EtO) नामक प्रतिबंधित कीटनाशक का उच्च स्तर होता है।  
    • यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण (European Food Safety Authority- EFSA) ने भारतीय मसालों में EtO के उपयोग और पहले चिह्नित EtO संदूषण पर प्रतिबंध लगा दिया है। 
    • EtO का अनुचित एवं अत्यधिक उपयोग विषाक्त और कैंसरकारी यौगिक का निर्माण कर सकता है, जिससे उत्पाद दूषित हो सकता है। 
      • एथिलीन ऑक्साइड का लंबे समय तक संपर्क लिंफोमा और ल्यूकेमिया सहित कैंसर से जुड़ा है।

एथिलीन ऑक्साइड (EtO)

  • EtO एक रंगहीन, ज्वलनशील और उल्लेखनीय गैस है, जिसका मूल रूप से चिकित्सा उपकरणों को स्टरलाइज करने के लिए किया गया था।
  • इसका उपयोग औद्योगिक प्रतिष्ठान, कृषि में एक रसायन के रूप में और मसालों, सूखी सब्जियों और अन्य वस्तुओं सहित खाद्य उत्पादों में एक स्टरलाइजिंग एजेंट के रूप में किया जाता है।
  • यह रसायन मसाला उद्योग को जीवन प्रदान करता है क्योंकि यह माइक्रोबियल संदूषण को कम करता है, और बदले में, उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाता है और उनके भंडारण को सुरक्षित बनाता है।
  • कैंसर पर अनुसंधान के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसी (IARC) एथिलीन ऑक्साइड (केमिकल) को समूह 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत करती है।

आगे की राह 

  • अच्छी कृषि पद्धतियाँ (Good Agricultural Practices-GAP तथा जैविक खेती: गुणवत्ता और मानक मुद्दों के समाधान के लिए, मसालों के लिए GAP और जैविक खेती पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • अच्छी कृषि पद्धतियाँ: इसके लिए अच्छी कृषि पद्धतियों को अपनाकर, सही मात्रा में पानी, मिट्टी, उन्नत किस्म के बीज, उर्वरक, अनुमोदित कीटनाशक और सही फसल पैटर्न का उपयोग करके अच्छी गुणवत्ता वाले मसालों के उत्पादन की आवश्यकता होती है।
      • कटाई, भंडारण और परिवहन में स्वच्छता प्रथाओं का उपयोग भी इन चरणों में क्रॉस-संदूषण से बचने में मदद करता है।
      • कोल्ड प्लाज्मा, स्पंदित प्रकाश स्टरलाइजेशन और उच्च दबाव प्रसंस्करण जैसी प्रौद्योगिकियाँ नवीन गैर-रासायनिक विधियाँ हैं, जो हानिकारक अवशेषों को छोड़े बिना माइक्रोबियल भार को प्रभावी ढंग से कम कर सकती हैं।
  • सख्त नियम और सुरक्षा जांच: FSSAI के आसपास उभरते अविश्वास को दूर करने के लिए, खाद्य उत्पादन और सुरक्षा उद्योग मानकों में सख्त नियामक उपायों और पारदर्शिता की आवश्यकता है।
    • व्यक्तिगत घटनाओं पर प्रतिक्रियात्मक प्रतिक्रिया के बजाय सक्रिय निगरानी और प्रवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए।
    • वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप खाद्य सुरक्षा मानकों को नियमित रूप से अद्यतन करने और खाद्य उद्योगों में सूचना प्रवाह में सुधार करने की आवश्यकता है ताकि वे नियमों का बेहतर अनुपालन कर सकें।
  • खाद्य प्रसंस्करण में एथिलीन ऑक्साइड के विकल्प अपनाएँ: ऐसे सुरक्षित रासायनिक विकल्पों की खोज करना, जिनमें कैंसरजन्य जोखिमों के बिना समान रोगाणुरोधी गुण हों, महत्त्वपूर्ण है।
    • ओजोन, हाइड्रोजन परॉक्साइड या ताप उपचार जैसे पदार्थ कुछ अनुप्रयोगों में एथिलीन ऑक्साइड के संभावित प्रतिस्थापन के रूप में काम कर सकते हैं।
  • पर्याप्त निवेश: गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचे में निवेश को प्राथमिकता देकर, कड़े खाद्य सुरक्षा उपायों को लागू करके, पता लगाने की क्षमता और पारदर्शिता को बढ़ाकर तथा बाजार के रुझान के साथ तालमेल बिठाकर, भारतीय मसाला निर्यातक इन बाधाओं को दूर कर सकते हैं और भारत के मसालों की समृद्ध शृंखला के लिए विकसित बाजारों की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
    • वित्त वर्ष 2027 तक 10 बिलियन डॉलर के निर्यात का समर्थन करने और हासिल करने के लिए, भारतीय मसालों को दुनिया भर में ‘ब्रांड इंडिया’ की प्रमुखता को बढ़ावा देने के लिए कृषि उत्पादों के लिए पथप्रदर्शक बनना चाहिए और 19.5% की वार्षिक वृद्धि दर की आवश्यकता है।
  • स्थिरता: जैसे-जैसे पर्यावरणीय मुद्दों और स्थिरता के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ती है, भारत के लिए जैविक मसालों के बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का अवसर है।
    • टिकाऊ कृषि पद्धतियों को लागू करने की आवश्यकता है, जो जैव विविधता को संरक्षित करने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में भी मदद कर सकती है।
  • बाजार विविधीकरण: नए बाजारों की खोज करना और कम-ज्ञात मसालों की माँग पैदा करना आवश्यक है और इससे पारंपरिक बाजारों पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.