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महत्त्वपूर्ण खनिज पुनर्चक्रण प्रोत्साहन योजना

Lokesh Pal October 30, 2025 02:15 12 0

संदर्भ

राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन के तहत सितंबर 2025 में शुरू की गई ₹1,500 करोड़ की महत्त्वपूर्ण खनिज पुनर्चक्रण प्रोत्साहन योजना को उद्योग जगत से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।

महत्त्वपूर्ण खनिज पुनर्चक्रण के लिए सरकारी प्रोत्साहन योजना

  • परिव्यय: महत्त्वपूर्ण खनिजों की पुनर्प्राप्ति हेतु ई-अपशिष्ट और बैटरी अपशिष्ट पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने हेतु ₹1,500 करोड़।
  • उद्देश्य: खनन और अन्वेषण परियोजनाओं के उत्पादक बनने तक एक अल्पकालिक समाधान के रूप में कार्य करना।
  • प्रारंभ: राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन (NCMM) के अंतर्गत शुरू किया गया था।
  • मंत्रालय: खान मंत्रालय (भारत सरकार)।
  • उद्देश्य: महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिए भारत की आपूर्ति शृंखला अनुकूलन को मजबूत करना।
    • स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के लिए कच्चे माल को सुरक्षित करने हेतु एक घरेलू पुनर्चक्रण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।

योजना की मुख्य विशेषताएँ

  • अवधि: छह वर्ष (2025-26 से 2030-31)।
  • सीमा और पात्र फीडस्टॉक: यह योजना उन पुनर्चक्रण इकाइयों को शामिल करती है, जो महत्त्वपूर्ण खनिजों का निष्कर्षण करती हैं (केवल प्रारंभिक प्रसंस्करण के बजाय)। इस योजना हेतु पात्र फीडस्टॉक में शामिल हैं:-
    • ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2022 के अंतर्गत परिभाषित ई-अपशिष्ट।
    • प्रयुक्त लीथियम-आयन बैटरियों (LIBs) का स्क्रैप (विभिन्न रसायन) और उनका प्रसंस्करण।
    • अन्य धातु-समृद्ध स्क्रैप (उदाहरण के लिए, वैधता समाप्त हो चुके वाहनों में प्रयुक्त उत्प्रेरक कनवर्टर आदि) जिनसे महत्त्वपूर्ण खनिज प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • लाभार्थी: पुनर्चक्रण इकाईयाँ और स्टार्ट-अप, एक-तिहाई धनराशि पुनर्चक्रण इकाइयों के लिए आरक्षित।
  • प्रोत्साहन संरचना
    • पूँजीगत व्यय सब्सिडी: निर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर उत्पादन शुरू करने वाली इकाइयों के लिए संयंत्र एवं मशीनरी, उपकरण और संबद्ध उपयोगिताओं पर 20%। इसमें देरी के परिणामस्वरूप सब्सिडी कम होती है।
    • संचालन व्यय सब्सिडी (परिचालन व्यय): आधार वर्ष (वित्त वर्ष 2025-26) की तुलना में वृद्धिशील बिक्री से जुड़ी।
      • उदाहरण: निर्धारित सीमा की पूर्ति उपरांत पात्र परिचालन व्यय का 40% द्वितीय वर्ष में तथा शेष 60% पंचम वर्ष में प्रदेय होगा।।
    • कैप: बड़ी इकाइयाँ – ₹50 करोड़ (ओपेक्स के लिए ₹10 करोड़)
      • छोटी इकाइयाँ – ₹25 करोड़ (ऑपरेशन एक्सपेंशन के लिए ₹5 करोड़)
      • नई इकाइयों के साथ-साथ मौजूदा इकाइयों के विस्तार, आधुनिकीकरण और विविधीकरण को भी सहायता प्रदान करता है।

महत्त्वपूर्ण खनिज पुनर्चक्रण की आवश्यकता

  • स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की बढ़ती माँग: इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), सौर ऊर्जा तथा इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण की माँग में तीव्र वृद्धि ने लीथियम, कोबाल्ट, निकेल, ताँबा एवं दुर्लभ मृदा तत्त्वों जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों की माँग में अभूतपूर्व तीव्रता से वृद्धिशील प्रवृत्ति उत्पन्न की है।
    • पुनर्चक्रण इस माँग के एक हिस्से को घरेलू स्तर पर पूर्ण करने में मदद करता है, जिससे प्राथमिक खनन स्रोतों पर दबाव कम होता है।
  • आयात पर निर्भरता और आपूर्ति जोखिम: भारत वर्तमान में अपने अधिकांश महत्त्वपूर्ण खनिजों का आयात करता है, जिससे यह आपूर्ति में व्यवधान, मूल्य अस्थिरता और भू-राजनीतिक निर्भरताओं के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
    • पुनर्चक्रण ई-अपशिष्ट और पुरानी बैटरियों जैसे द्वितीयक स्रोतों से मूल्यवान धातुओं को प्राप्त करके एक रणनीतिक बफर प्रदान करता है।
  • सीमित घरेलू खनिज भंडार: भारत में कुछ खनिजों (जैसे- लीथियम, कोबाल्ट, ग्रेफाइट) की भू-वैज्ञानिक उपलब्धता सीमित है।
    • इसलिए, विदेशी खदानों पर अत्यधिक निर्भरता के बिना एक स्थिर और सतत् आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करने के लिए पुनर्चक्रण आवश्यक है।
  • तेजी से बढ़ता अपशिष्ट उत्पादन: शहरीकरण और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के साथ ई-अपशिष्ट (लगभग 1.75 मिलियन टन) और प्रयुक्त LIB (लगभग 60 किलो टन) का वार्षिक उत्पादन बढ़ रहा है।
    • इन अपशिष्ट में पुनर्चक्रण योग्य धातुएँ होती हैं, जिन्हें प्रायः निर्यात कर दिया जाता है या त्याग दिया जाता है, जिससे संसाधनों का नुकसान होता है।
  • पर्यावरणीय स्थिरता: महत्त्वपूर्ण खनिजों के खनन और शोधन में कार्बन और जल उत्सर्जन अधिक होता है।
    • पुनर्चक्रण कम संसाधनों का उपयोग करता है, कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित करता है, और भारत की शुद्ध-शून्य और LiFE (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) प्रतिबद्धताओं का समर्थन करता है।
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था और संसाधन दक्षता: यह रैखिक उपभोग एवं परित्याग’ प्रतिरूप से चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण को प्रोत्साहित करता है, जहाँ जीवन चक्र की समाप्ति पर पुनः उत्पादन चक्रों के लिए कच्चे संसाधन के रूप में रूपांतरित हो जाते हैं।
    • संसाधन दक्षता को बढ़ाता है और अपशिष्ट दबाव को कम करता है।
  • ईपीआर और वैश्विक स्थिरता मानदंडों का अनुपालन: विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) ढाँचे के अंतर्गत, निर्माताओं को ई-अपशिष्ट और बैटरी कचरे का उचित संग्रहण और पुनर्चक्रण सुनिश्चित करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य किया जाता है।
    • घरेलू पुनर्चक्रण क्षमता को मजबूत करने से भारत को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं और यूरोपीय संघ-शैली के स्थिरता ढाँचों के साथ सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलती है।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार प्रेरक: जलधातुकर्म, जैव-निक्षालन और विलायक निष्कर्षण प्रक्रियाओं में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करता है।
    • भारत के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र (IIT, CSIR प्रयोगशालाएँ) को मजबूत करता है और निष्कर्षण धातुकर्म तथा अपशिष्ट मूल्यांकन में कुशल कार्यबल का निर्माण करता है।

चुनौतियाँ और अवसर

  • फीडस्टॉक संग्रहण और औपचारिकीकरण: यद्यपि ई-अपशिष्ट एवं प्रयुक्त बैटरियों का उत्पादन विशाल मात्रा में होता है, तथापि उनके संग्रहण, औपचारिक विघटन, अनुगमन-क्षमता तथा पुनर्चक्रण तंत्रों में एकीकरण की प्रक्रियाएँ अभी भी कठिन एवं चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं।
  • प्रौद्योगिकी और उत्पादन: महत्त्वपूर्ण खनिजों का कुशलतापूर्वक निष्कर्षण (विशेषकर मिश्रित या जटिल अपशिष्ट धाराओं से) उन्नत प्रौद्योगिकी (जल-धातुकर्म आदि), कुशल कार्यबल और पैमाने की आवश्यकता होती है।
  • बाजार अर्थव्यवस्था: महत्त्वपूर्ण खनिजों का पुनर्चक्रण अभी भी लागत-गहन हो सकता है; सब्सिडी इसमें सहायक हो सकती है, लेकिन बाजार की व्यवहार्यता वैश्विक धातु कीमतों, फीडस्टॉक की गुणवत्ता, प्रक्रिया दक्षता, नियामक अनुपालन और आयात/निर्यात से प्रतिस्पर्द्धा पर निर्भर करेगी।
  • नियामक और पारिस्थितिकी तंत्र संरेखण: EPR (विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व) ढाँचे, अपशिष्ट संग्रहण नेटवर्क, विघटनकर्ताओं/स्क्रैप-प्रसंस्करणकर्ताओं का औपचारिकीकरण, पर्यावरणीय मंजूरी और रसद को योजना के लक्ष्यों के अनुरूप सुनिश्चित करना होगा।

आगे की राह

  • योजना का संचालन: आवेदकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे पात्रता (ईपीआर नियमों के तहत पंजीकरण, सुविधा प्राधिकरण की वैधता) पूरी करते हैं और पूर्ण सब्सिडी प्राप्त करने के लिए निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर उत्पादन शुरू करने के लिए तैयार हैं।
  • उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर ध्यान: पुनर्चक्रण इकाइयों को लाभ प्राप्त करने के लिए लक्ष्यों (जैसे- 10,000 टन/वर्ष या उससे अधिक) के अनुरूप क्षमता मॉडल डिजाइन करने का लक्ष्य रखना चाहिए।
  • फीडस्टॉक सोर्सिंग: ई-अपशिष्ट, वाहन स्क्रैप की एक स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण होगा। इसमें संग्रहण नेटवर्क, विघटनकर्ताओं, EPR मार्गों और संभवतः आयात (LIB स्क्रैप के लिए सीमा शुल्क लाइनों को समायोजित किया गया है) के साथ सामंजस्य स्थापित करना शामिल है।
  • प्रौद्योगिकी और उपज अनुकूलन: पुनर्चक्रण इकाइयों को निष्कर्षण (जलधातुकर्म, धातुकर्म) के लिए प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन करना चाहिए, उच्च पुनर्प्राप्ति को लक्षित करना चाहिए, ऐसी प्रक्रियाओं को डिजाइन करना चाहिए, जो पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन करती हों और महत्त्वपूर्ण खनिज प्रदान करती हों।
  • मूल्य शृंखला एकीकरण: यह योजना न केवल डाउनस्ट्रीम (धातु निष्कर्षण) पर बल्कि अपस्ट्रीम औपचारिकीकरण (डिसमेंटलर, क्रशर, श्रेडर) को औपचारिक प्रणालियों में शामिल करने पर भी जोर देती है, इसलिए सहयोग और पारिस्थितिकी तंत्र निर्माण के अवसर मौजूद हैं।
  • निगरानी और प्रदर्शन समीक्षा: पुनर्चक्रण इकाइयों को द्वितीय एवं पंचम वर्ष में परिचालन व्यय प्रोत्साहनों की अर्हता प्राप्त करने हेतु वृद्धिशील विक्रय, क्षमता-उपयोग तथा पुनर्प्राप्ति दरों की सतत् निगरानी एवं योजना के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए सुदृढ़ संस्थागत तंत्र स्थापित करना अपेक्षित है।

राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन (NCMM)

  • उद्देश्य: घरेलू और विदेशी स्रोतों से उपलब्धता सुनिश्चित करके भारत की महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखला को सुरक्षित करना। साथ ही महत्त्वपूर्ण खनिजों में भारत की रणनीतिक और औद्योगिक स्वतंत्रता को सशक्त करना।
  • अवधि: वित्त वर्ष 2024-25 से वित्त वर्ष 2030-31
  • दायरा: यह मिशन महत्त्वपूर्ण खनिज मूल्य शृंखला के सभी चरणों को शामिल करता है:
    • खनिज अन्वेषण: महत्त्वपूर्ण खनिजों के घरेलू स्रोतों की पहचान।
    • खनन: घरेलू खदानों से खनिजों का निष्कर्षण।
    • लाभकारीकरण और प्रसंस्करण: औद्योगिक उपयोग के लिए खनन किए गए खनिजों का उन्नयन।
    • जीवन-अंत उत्पादों से पुनर्प्राप्ति: ई-अपशिष्ट, बैटरियों और अन्य स्क्रैप से महत्त्वपूर्ण खनिजों का पुनर्चक्रण।

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