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क्रिप्टोकरेंसी-हवाला नेक्सस

Lokesh Pal May 08, 2025 03:43 7 0

संदर्भ

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बिटकॉइन से संबंधित एक मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि भारत में बिटकॉइन का व्यापार हवाला कारोबार के परिष्कृत रूप जैसा है तथा क्रिप्टोकरेंसी के लिए स्पष्ट नियामक ढाँचे के अभाव पर बल दिया।

मामले की पृष्ठभूमि

  • शैलेश बाबूलाल भट्ट, जिन्हें 14 अगस्त, 2024 को कथित अवैध बिटकॉइन व्यापार के लिए गिरफ्तार किया गया था, ने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा 25 फरवरी, 2025 को जमानत देने से इनकार करने के बाद पुनः जमानत माँगी।

बिटकॉइन पर सर्वोच्च न्यायालय (SC) की टिप्पणियाँ

  • वर्ष 2020: मार्च 2020 में, सर्वोच्च न्यायालय ने RBI के वर्ष 2018 के सर्कुलर को पलट दिया, जिसमें बैंकों को वर्चुअल करेंसी के लिए सेवाएँ देने पर प्रतिबंध लगाया गया था।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने सुनिश्चित किया कि क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।
  • वर्ष  2025: पारदर्शिता और निगरानी की कमी के कारण बिटकॉइन में बिना किसी विनियमन के व्यापार, हवाला संचालन के समान हो जाता है।

क्रिप्टोकरेंसी के बारे में

  • क्रिप्टोकरेंसी एक आभासी मुद्रा है, जिसे क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित किया जाता है।
  • क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर कार्य करती है और किसी भी केंद्रीय प्राधिकरण के नियंत्रण से मुक्त होती है।
  • इसे विनिमय के माध्यम के रूप में कार्य करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें व्यक्तिगत सिक्के के स्वामित्व के रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत डेटाबेस में संगृहीत किया जाता है।
  • बिटकॉइन के उच्च मूल्य (लगभग ₹82 लाख प्रति बिटकॉइन) पर प्रकाश डाला गया, जिससे इसके आर्थिक महत्त्व पर जोर दिया गया।

क्रिप्टोकरेंसी की वैधता

  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा क्रिप्टो से संबंधित लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने वाले RBI के वर्ष 2018 के सर्कुलर को रद्द करने के बाद बिटकॉइन ट्रेडिंग अवैध नहीं है।
  • क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग और निवेश की अनुमति है, लेकिन उन्हें मुद्रा के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
    • यह कानूनी अस्पष्टता निवेशकों, व्यापारियों और यहाँ तक ​​कि प्रवर्तन एजेंसियों के लिए भी चुनौतियाँ उत्पन्न करती है।
  • भारत में क्रिप्टोकरेंसी कराधान: सरकार के कराधान ढाँचे में क्रिप्टोकरेंसी पर लाभ पर 30% कर और 1% स्रोत पर कर कटौती (TDS) शामिल है।

क्रिप्टो में वृद्धि के कारण

  1. गुमनामी और छद्म नाम: क्रिप्टो लेन-देन अक्सर वास्तविक पहचान को छिपाते हैं, जो कि बिना रिकॉर्ड किए गए हवाला लेन-देन के समान है।
  2. सीमा पार हस्तांतरणीयता: क्रिप्टोकरेंसी आसानी से पूँजी नियंत्रण और सीमाओं को पार कर सकती है, ठीक वैसे ही जैसे हवाला नेटवर्क।
  3. विनियामक स्पष्टता का अभाव: स्पष्ट कानूनी ढाँचे की अनुपस्थिति अवैध अभिकर्ताओं द्वारा शोषण को बढ़ावा देती है।
  4. उच्च तरलता और मूल्य: उच्च मूल्य वाली, पोर्टेबल संपत्ति क्रिप्टो को अवैध फंड ट्रांसफर के लिए एक आकर्षक माध्यम बनाती है।
  5. ट्रेसिंग में कठिनाई: बिना किसी केंद्रीय प्राधिकरण के विकेंद्रीकृत, ‘पीयर-टू-पीयर’ लेन-देन जाँच को मुश्किल बनाते हैं।
  6. लेन-देन की कम लागत: कम लेन-देन शुल्क और औपचारिक बैंकिंग बुनियादी ढाँचे की कोई आवश्यकता नहीं औपचारिक जाँच से बचने के इच्छुक उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करती है।

निहितार्थ

  1. वित्तीय अखंडता के लिए खतरा: धनशोधन, आतंकवाद के वित्तपोषण और कर चोरी को बढ़ावा देता है, जिससे भारत की वित्तीय प्रणाली कमजोर होती है।
  2. धनशोधन विरोधी (AML) उपायों को कमजोर करता है: वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) मानकों और भारत के आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला (Countering the Financing of Terrorism- AML-CFT ) दायित्वों के प्रवर्तन में बाधा डालता है।
  3. राजकोष को राजस्व हानि: अनौपचारिक सीमा पार लेन-देन के माध्यम से करों और शुल्कों की चोरी की संभावना बढ़ जाती है।
  4. राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएँ: आतंकवादी संगठनों और संगठित अपराध सिंडिकेट के लिए संभावित वित्तपोषण चैनल की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  5. मौद्रिक नियंत्रण का क्षरण: पूँजी प्रवाह और मौद्रिक नीति प्रवर्तन पर RBI के नियंत्रण को कमजोर करता है।

आगे की राह

  • स्पष्ट विनियामक ढाँचा स्थापित करना: क्रिप्टोकरेंसी की वैधता, दायरे और अनुमेय उपयोग को स्पष्ट करने वाले कानून या दिशा-निर्देशों को शीघ्रता से लागू करना।
    • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं (जैसे- EU का MiCA विनियमन, FATF अनुशंसाएँ) का संदर्भ लेना।
  • अनिवार्य KYC और रिपोर्टिंग मानदंड: क्रिप्टो एक्सचेंजों और बिचौलियों पर ‘नो योर कस्टमर’ (KYC), एंटी-मनी लॉण्ड्रिंग (AML), और संदिग्ध लेन-देन रिपोर्टिंग (Suspicious Transaction Reporting- STR) दायित्वों को सख्ती से लागू करना।
  • समर्पित क्रिप्टो विनियामक प्राधिकरण स्थापित करना: क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन को विनियमित, पर्यवेक्षण और जाँच करने के लिए एक विशेष निकाय (या SEBI/RBI की निगरानी को मजबूत करना)।
  • प्रवर्तन क्षमता बढ़ाना: ED, FIU-India और पुलिस जैसी एजेंसियों को क्रिप्टो लेन-देन का पता लगाने तथा अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए उपकरण, प्रशिक्षण एवं तकनीक से युक्त करना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: सीमा पार क्रिप्टो अपराधों की निगरानी के लिए वैश्विक कानून प्रवर्तन और विनियामक एजेंसियों के साथ सहयोग को मजबूत करना।
  • जन जागरूकता और निवेशक शिक्षा: अनियमित क्रिप्टो ट्रेडिंग और हवाला जैसे दुरुपयोग के जोखिमों के बारे में नागरिकों को शिक्षित करने के लिए अभियान शुरू करना।
  • वैध ब्लॉकचेन नवाचार को प्रोत्साहित करना: सुरक्षित विकल्प प्रदान करने के लिए CBDC (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) और विनियमित ब्लॉकचेन अनुप्रयोगों को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष 

क्रिप्टोकरेंसी और हवाला के बीच बढ़ते अतिव्यापन के कारण दुरुपयोग को रोकने, वित्तीय स्थिरता की रक्षा करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिए तत्काल, स्पष्ट विनियमन की आवश्यकता है।

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