भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मौजूदा उच्च दाब के चक्रवात में बदलने की संभावना और तूफान के तमिलनाडु तट से टकराने की संभावना की घोषणा की है।
चक्रवात फेंगल की वर्तमान स्थिति
पूर्वी भूमध्यरेखीय हिंद महासागर और दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक निम्न दाब का क्षेत्र 26 नवंबर, 2024 तक एक गहन अवदाब के कारण विकसित हो गया है।
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विश्वव्यापी शब्दावली
टाइफून (Typhoons): चीन सागर और प्रशांत महासागर में होते हैं।
यह आमतौर पर जापान, चीन,फिलीपींस सहित पूर्वी और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों को प्रभावित करता है।
तूफान (Hurricanes): कैरेबियन सागर और अटलांटिक महासागर के पश्चिमी भारतीय द्वीपों में पाए जाते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको और कैरिबियन देशों जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं।
टोरनेडो (Tornadoes): पश्चिमी अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका के पास उत्पन्न होते हैं।
विली-विलीज (Willy-willies): उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के लिए उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द।
इस क्षेत्र में भारी वर्षा और तेज हवाएँ चलाने के लिए जाना जाता है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) का अनुमान है, कि 27 नवंबर, 2024 तक यह चक्रवाती तूफान में परिवर्तित हो सकता है।
इस चक्रवात के कारण 26 से 30 नवंबर तक बंगाल की खाड़ी के आसपास के क्षेत्रों, खासकर तटीय तमिलनाडु में तेज हवाएँ, भारी बारिश और संभावित तटीय बाढ़ आने की आशंका है।
चक्रवात फेंगल का नामकरण
नाम की उत्पत्ति
प्रस्तावित: सऊदी अरब।
अरबी में निहित, क्षेत्रीय भाषायी और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है।
चक्रवातों के नाम छोटे, विशिष्ट और सार्वभौमिक रूप से गैर-आक्रामक होने के लिए चुने जाते हैं।
चक्रवात नामकरण प्रणाली
पैनल सदस्य: उत्तरी हिंद महासागर में चक्रवातों का नामकरण विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और एशिया एवं प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (UNESCAP) के तहत 13 देशों के एक पैनल द्वारा किया जाता है।
सदस्य देशों में बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और यमन शामिल हैं।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)
उत्पत्ति: वर्ष 1950
मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
उद्देश्य: WMO मौसम, जलवायु, जल विज्ञान और संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की सुविधा प्रदान करता है। यह सदस्य देशों के बीच डेटा, सूचना और अनुसंधान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
प्रक्रिया: प्रत्येक सदस्य 13 नामों की एक सूची प्रस्तुत करता है, जिससे चक्रीय क्रम में एक नामकरण प्रणाली बनती है। चक्रवातों के बनने के साथ ही नाम क्रमिक रूप से रखे जाते हैं। एक बार उपयोग हो जाने के बाद, नाम हटा दिया जाता है और उसका पुनः उपयोग नहीं किया जाता।
वर्तमान सूची: फेंगल (Fengal) के बाद, अगले चक्रवात का नाम शाक्ती (Shakhti) (श्रीलंका द्वारा दिया गया) रखा जाएगा, तथा मोन्था (Montha) (थाईलैंड से) एक अन्य आगामी नाम होगा।
अरब सागर बनाम बंगाल की खाड़ी में चक्रवात
अरब सागर में चक्रवात बंगाल की खाड़ी की तुलना में कम आते हैं, क्योंकि समुद्र की सतह के तापमान, हवा के पैटर्न और भौगोलिक कारकों में अंतर होता है।
बंगाल की खाड़ी में चक्रवात बनने के लिए अधिक अनुकूल परिस्थितियाँ होती हैं, जिनमें गर्म जल और ऊर्ध्वाधर कम वायु कर्तन शामिल है।
तैयारी और निगरानी
क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र चक्रवात फेंगल के विकास और संभावित प्रभाव पर सूक्ष्मता से निगरानी कर रहा हैं।
प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों को आधिकारिक स्रोतों के माध्यम से अपडेट रहने और संभावित जोखिमों को कम करने के लिए एहतियाती उपाय करने की सलाह दी जाती है।
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