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SSP5-8.5 विश्व में चक्रवात

Lokesh Pal May 23, 2025 04:11 107 0

संदर्भ

दो हालिया अध्ययनों ने उष्णकटिबंधीय चक्रवातों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर प्रकाश डाला है, जो वैश्विक पारिस्थितिकी प्रणालियों पर दूरगामी और बहुआयामी परिणाम प्रस्तुत करते हैं।

  • पहला अध्ययन: यदि ग्लोबल वार्मिंग भविष्य के जलवायु परिदृश्य SSP5-8.5 का अनुसरण करती है, तो चक्रवात अधिक शक्तिशाली और विध्वंसकारी हो सकते हैं।
  • दूसरा अध्ययन: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की आवृत्ति में परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण वर्ष 2100 तक विश्व के लगभग आधे मैंग्रोव उच्च से गंभीर खतरे में होंगे।

अध्ययन-1 की मुख्य विशेषताएँ

  • विधि: CLIMADA (CLIMate ADAptation) ओपन-सोर्स जोखिम मॉडलिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग वर्ष 1980-2017 के मध्य उष्णकटिबंधीय चक्रवात पैटर्न में बदलाव और वर्ष 2015-2050 के लिए अनुमानित परिवर्तनों के लिए विश्व भर के विशिष्ट पारिस्थितिकी क्षेत्रों की प्रतिक्रिया की जाँच करने के लिए किया गया था।

इकोरिजन्स (Ecoregions) के बारे में

  • ये बड़े पारिस्थितिकी क्षेत्र होते हैं, जो जलवायु, भू-विज्ञान और मृदा सहित समान पर्यावरणीय विशेषताओं को साझा करते हैं। 
    • उदाहरण: भारत में दक्कन के कँटीले झाड़ीदार वन, बांग्लादेश और भारत में सुंदरबन मैंग्रोव।
  • विशिष्ट जैव विविधता: इस पारिस्थितिकी क्षेत्र की विशेषता अन्य पारिस्थितिकी क्षेत्रों से अलग होती है।
  • प्रकार: पारिस्थितिकी क्षेत्र विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों में पाए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं,
    • भूमि (स्थलीय), मीठे पानी के निकाय (जैसे- झीलें, नदियाँ), और महासागर (समुद्री)।

  • वर्गीकरण: प्रत्येक स्थलीय पारिस्थितिकी क्षेत्र को 3 समूहों में वर्गीकृत किया गया है,
    • अनुकूलन: ऐतिहासिक रूप से प्रायः चक्रवातों के संपर्क में आने वाला और जल्दी से पुनर्स्थापित होने में सक्षम।
    • आश्रित: चक्रवातों से नियमित रूप से प्रभावित होने वाला, जो क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र की गतिशीलता को भी आकार देता है।
    • संवेदनशील: चक्रवातों से शायद ही कभी प्रभावित होता है और चक्रवातों के संपर्क में आने पर धीरे-धीरे पूर्व रूप  ग्रहण करता है।
  • निष्कर्ष
    • चक्रवातों की बढ़ती सीमा: विश्व के 844 पारिस्थितिकी क्षेत्रों में से 290 पहले से ही उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से प्रभावित हैं। जलवायु मॉडल से पता चला है कि 200 पारिस्थितिकी क्षेत्रों को संवेदनशील और 26 को अनुकूलित माना जा सकता है।
    • कम रिकवरी समय: अनुकूलित पारिस्थितिकी क्षेत्रों में, उच्च तीव्रता वाले चक्रवातों की रिकवरी के लिए उपलब्ध समय वर्ष 1980-2017 की अवधि में 19 वर्षों से घटकर वर्ष 2015-2050 की अवधि में 12 वर्ष हो सकता है।
    • उच्च जोखिम वाले क्षेत्र: पूर्वी एशिया, मध्य अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र इन परिवर्तनों का सबसे अधिक अनुभव करेंगे। यह भी पाया गया कि मेडागास्कर और ओशिनिया के कुछ हिस्से संवेदनशील हैं।
    • चक्रवात बेल्ट का स्थानांतरण: उष्णकटिबंधीय चक्रवात बेल्ट भूमध्य रेखा से दूर उच्च अक्षांश क्षेत्रों में स्थानांतरित हो सकती है, जिससे नई चक्रवात गतिविधि उत्पन्न हो सकती है और वहाँ के पारिस्थितिकी तंत्र को बिना अनुकूलन वाले खतरों के सामने लाया जा सकता है।

अध्ययन-2 की मुख्य विशेषताएँ

  • विधि: अध्ययन में संभाव्य स्थानिक रूप से स्पष्ट जोखिम सूचकांक (एक संख्या जो किसी घटना की संभावना और उसके अपेक्षित स्थानिक वितरण का मापन करती है) का उपयोग किया गया।
    • तीन परिदृश्यों का अनुकरण करने के लिए एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात मॉडल का उपयोग किया गया: SSP2-4.5, SSP3-7.0, और SSP5-8.5।
  • निष्कर्ष
    • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जोखिम में वृद्धि: SSP5-8.5 परिदृश्य में 2100 तक विश्व भर में 56% तक मैंग्रोव क्षेत्र उच्च से गंभीर जोखिम में हो सकते हैं।
      • दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है, जिसके 52-78% मैंग्रोव क्षेत्र ऐसे जोखिम में हैं। कम विनाशकारी SSP3-7.0 परिदृश्य में भी, 97-98% मैंग्रोव उच्च से गंभीर जोखिम में हैं।
    • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए जोखिम: पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ भी जोखिम में हैं, जिनमें कार्बन को अलग करने, तटों की रक्षा करने और मत्स्य स्टॉक में सुधार करने की मैंग्रोव की क्षमता शामिल है।

साझा सामाजिक-आर्थिक मार्ग (SSP) के बारे में

  • साझा सामाजिक-आर्थिक मार्ग (SSP) जलवायु अनुसंधान में उपयोग किए जाने वाले परिदृश्य हैं, जो यह पता लगाने के लिए उपयोग किए जाते हैं कि भविष्य का समाज, जनसांख्यिकी और अर्थशास्त्र कैसे विकसित हो सकता है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तथा जलवायु परिवर्तन को प्रभावित कर सकता है।
    • ये मार्ग तकनीकी, सामाजिक-आर्थिक और नीतिगत भविष्य की एक शृंखला का पता लगाते हैं तथा शमन तथा अनुकूलन की चुनौतियों पर विचार करते हैं।
  • प्रकार: जलवायु परिवर्तन से किसी विशेष रूप से प्रभावित विश्व का वर्णन करने के लिए पाँच मार्ग विकसित किए गए हैं।
    • (SSP-1) संधारणीयता: शमन और अनुकूलन के लिए कम चुनौतियाँ, जहाँ विश्व धीरे-धीरे एक अधिक संधारणीय मार्ग की ओर बढ़ रही है, जो कथित पर्यावरणीय सीमाओं का सम्मान करता है।
    • (SSP-2): दुनिया एक ऐसे रास्ते पर चल रही है, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी रुझान ऐतिहासिक पैटर्न से स्पष्ट रूप से नहीं बदलते हैं।
    • (SSP-3) क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता: शमन और अनुकूलन के लिए उच्च चुनौतियाँ हैं क्योंकि पुनरुत्थानवादी राष्ट्रवाद, क्षेत्रीय संघर्ष, प्रतिस्पर्द्धा घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है।
    • (SSP-4) असमानता: यह मॉडल शमन के लिए कम चुनौतियाँ, अनुकूलन के लिए उच्च चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। पर्यावरण नीतियाँ मध्यम और उच्च आय वाले क्षेत्रों के आस-पास के स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
    • (SSP-5) जीवाश्म ईंधन आधारित विकास: शमन के लिए उच्च चुनौतियाँ, अनुकूलन के लिए कम चुनौतियाँ। आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए जोर प्रचुर मात्रा में जीवाश्म ईंधन संसाधनों के दोहन और विश्व भर में संसाधन तथा ऊर्जा गहन जीवन शैली को अपनाने के साथ जुड़ा हुआ है।
      • (SSP5-8.5): यह SSP5 मार्ग एक विकिरण मार्ग है (अर्थात् ग्रह की सतह पर 8.5 W/m2 की अतिरिक्त ऊर्जा की मात्रा)।
        • वर्तमान में यह आँकड़ा 1750 के मूल्य से 2.7 W/m2 अधिक है।

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