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दक्षिण गंगोत्री: भारत का पहला अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र

Lokesh Pal December 19, 2025 02:18 13 0

संदर्भ

दक्षिण गंगोत्री, अंटार्कटिका पर भारत का पहला स्थायी सैन्य अड्डा है, जिसने देश के अंटार्कटिक कार्यक्रम के भविष्य को आकार दिया है।

दक्षिण गंगोत्री के बारे में

  • दक्षिण गंगोत्री अंटार्कटिका में भारत का पहला वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र था, जिसकी स्थापना वर्ष 1983 में हुई थी।

  • इसका नाम गंगोत्री हिमनद के नाम पर रखा गया था, जो दक्षिणी गोलार्द्ध में भारत की वैज्ञानिक पहुँच का प्रतीक था।
  • स्थान: पूर्वी अंटार्कटिका में, सेंट्रल ड्रोनिंग मौड लैंड (Central Dronning Maud Land) में हिमखंड पर अवस्थित है।
    • यह एक तैरते हुए बर्फ के टीले पर स्थापित किया गया था, जिससे यह बर्फ की गति के प्रति संवेदनशील था।
  • उद्देश्य और अनुसंधान: इसने हिमनद विज्ञान, मौसम विज्ञान, भू-विज्ञान, समुद्र विज्ञान और वायुमंडलीय विज्ञान के अध्ययनों का समर्थन किया।
    • यह अंटार्कटिका में वैज्ञानिक अन्वेषण के लिए भारत का प्रवेश द्वार भी था।
  • प्रशासनिक नियंत्रण: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (भारत सरकार) के राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागरीय अनुसंधान केंद्र (NCPOR) के अधीन संचालित है।
  • परिचालन स्थिति: 1980 के दशक के दौरान सक्रिय रूप से कार्यरत रहा, बाद में बर्फ में डूब गया।
    • अब इसका उपयोग केवल आपूर्ति केंद्र और पारगमन शिविर के रूप में किया जाता है, स्थायी अनुसंधान के लिए नहीं।

दक्षिण गंगोत्री का रणनीतिक और वैज्ञानिक महत्त्व 

  • भू-राजनीतिक: इसने अंटार्कटिका में भारत की स्थायी उपस्थिति को चिह्नित किया।
  • वैज्ञानिक विरासत: इसने भविष्य के स्टेशनों (मैत्री एवं भारती), 40 से अधिक अभियानों और राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागरीय अनुसंधान केंद्र (NCPOR) के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
  • मौसम विज्ञान संबंधी महत्त्व: अंटार्कटिका, हिंद महासागर के मौसम को नियंत्रित करता है, जो परिणामतः भारतीय उपमहाद्वीप के मानसून एवं जलवायु को नियंत्रित करता है।
  • भौगोलिक संबंध: भारत और अंटार्कटिका प्राचीन गोंडवानालैंड महाद्वीप का हिस्सा थे।

भारत के अन्य अंटार्कटिका अनुसंधान केंद्र

  • मैत्री (वर्ष 1988 से कार्यरत): सेंट्रल ड्रोनिंग मौड लैंड के शिरमाकर ओएसिस (Schirmacher Oasis) में अवस्थित है।
    • मैत्री, अंटार्कटिका पर भारत का दूसरा स्थायी बेस था।
  • भारती (मार्च 2012 से कार्यरत): लार्समैन हिल्स (Larsemann Hills) में अवस्थित है।
  • मैत्री द्वितीय: मैत्री-द्वितीय पूर्वी अंटार्कटिका के लिए भारत का अगली पीढ़ी का अनुसंधान केंद्र है।
    • स्थिति: इसके वर्ष 2032 तक कार्यरत होने का अनुमान है।

राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागरीय अनुसंधान केंद्र (NCPOR)

  • राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागरीय अनुसंधान केंद्र (NCPOR) भारत का ध्रुवीय क्षेत्रों और महासागरों में अनुसंधान के समन्वय और संचालन के लिए केंद्रीय संस्थान है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1998 में राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं महासागरीय अनुसंधान केंद्र (NCAOR) के रूप में हुई थी और वर्ष 2016 में इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागरीय अनुसंधान केंद्र (NCPOR) कर दिया गया।
    • यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है।
  • प्राथमिक भूमिका: अंटार्कटिक, आर्कटिक, दक्षिणी महासागर और हिमालय में भारत के संपूर्ण वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रम की योजना बनाना, उसे बढ़ावा देना, समन्वय करना और उसे क्रियान्वित करना।
  • मुख्यालय: वास्को दा गामा, गोवा।

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