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भारत में जैव विविधता संबंधित डेटा

Lokesh Pal July 01, 2024 04:48 226 0

संदर्भ

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) के 109वें स्थापना दिवस के अवसर पर 1,04,561 प्रजातियों को शामिल करते हुए भारत के जीवों की एक सूची जारी की।

  • भारत अपने संपूर्ण जीव-जंतुओं की सूची तैयार करने वाला विश्व का पहला देश बन गया है।

संबंधित तथ्य

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने ZSI का एक प्रकाशन भी जारी किया, जिसमें 641 नई पशु प्रजातियाँ शामिल हैं, ‘एनिमल डिस्कवरीज – 2023’ और भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण का ‘प्लांट डिस्कवरीज– 2023’ जिसमें 339 पौधों की प्रजातियाँ शामिल हैं।

जारी किए गए दस्तावेजों पर महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि 

हाल ही में जारी दस्तावेजों से प्राप्त महत्त्वपूर्ण आँकड़े निम्नलिखित हैं:

  • ‘फौना ऑफ इंडिया’ चेकलिस्ट पोर्टल: यह भारत में पाई जाने वाली जीव-जंतुओं की प्रजातियों पर पहला व्यापक दस्तावेज है।
    • इसमें शामिल हैं: 36 फाइला (Phyla) को कवर करने वाले सभी ज्ञात टैक्सा (Taxa) की 121 चेकलिस्ट। 
    • सूची में स्थानिक, संकटग्रस्त और अनुसूचित प्रजातियों को शामिल किया गया है।
      • स्थानिक प्रजातियाँ केवल कुछ विशेष क्षेत्रों में पाई जाती हैं, जो आमतौर पर प्राकृतिक या भौगोलिक बाधाओं से अलग होती हैं। उदाहरण: एशियाई शेर।
      • संकटग्रस्त प्रजातियाँ जल्द ही खतरे में पड़ सकती हैं। उदाहरण: बंगाल टाइगर।
      • अनुसूचित प्रजातियाँ शिकार, व्यापार और वाणिज्य से पूरी तरह सुरक्षित हैं।
  • जीव-जंतु प्रजातियाँ: वर्ष 2023 में भारतीय जीव-जंतुओं में 641 नई प्रजातियाँ शामिल की जाएँगी, जिनमें 442 पूरी तरह से नई प्रजातियाँ और 199 प्रजातियाँ शामिल हैं, जिन्हें देश में हाल ही में दर्ज किया गया है।
    • उदाहरण: कैप्रा हिमालयेंसिस, यह सिद्ध करता है कि हिमालयन आईबेक्स, जो जम्मू और कश्मीर, लद्दाख तथा हिमाचल प्रदेश की ट्रांस-हिमालयी श्रेणियों में वितरित है, साइबेरियाई आईबेक्स से एक अलग प्रजाति है।
      • कर्नाटक में मुड़े हुए पंख वाले चमगादड़ की एक नई प्रजाति ‘मिनिओप्टेरस श्रीनी’ पाई गई।
    • जीव-जंतु प्रजातियों की प्रवृत्ति: इन नई खोजों में से अधिकांश अकशेरुकी श्रेणी में दर्ज की गई हैं और केवल कशेरुकी प्रजातियों से ही अधिकांश मछली प्रजातियाँ थीं।
      • विभिन्न समूहों में नई खोजों का रुझान पिछले वर्षों के समान ही रहा, जिसमें अकशेरुकी प्राणियों में कीटों की संख्या अधिक रही, जबकि कशेरुकी प्राणियों में मछलियाँ अत्यधिक थीं, उसके बाद सरीसृप, उभयचर, स्तनधारी तथा पक्षियों का स्थान रहा।
  • वनस्पति प्रजातियाँ: भारत ने अपने पादप डेटाबेस में 339 टैक्सा को भी जोड़ा, जिनमें 326 प्रजातियाँ और 13 इन्फ्रास्पेसिफिक टैक्सा शामिल हैं।
    • इनमें से 171 टैक्सा वैज्ञानिक दृष्टि से नवीन हैं तथा 168 टैक्सा भारत के नव वितरण संबंधी रिकॉर्ड हैं।
      • टैक्सा (Taxa): यह किसी पौधे की उप-प्रजाति या किस्म को संदर्भित कर सकता है।
    • उदाहरण: मणिपुर के काकचिंग में पाई जाने वाली हल्दी की एक नई प्रजाति करकुमा काकचिंगेंस और पश्चिम बंगाल के हावड़ा में आचार्य जगदीश चंद्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान में खोजा गया फूल वाला पौधा एसिस्टासिया वेनुई।
    • प्लांट डिस्कवरीज 2023: यह भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण द्वारा एक वार्षिक प्रकाशन है, इसके अनुसार, 106 एंजियोस्पर्म, 2 टेरिडोफाइट्स, 16 ब्रायोफाइट्स, 44 लाइकेन, 111 कवक, 50 शैवाल और 10 सूक्ष्मजीव हैं।
      • पश्चिमी घाट और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों जैसे हॉटस्पॉट क्षेत्रों ने कुल खोजों में 14% का योगदान दिया है।
  • शीर्ष पर स्थित राज्य 
    • नए जीव: अधिकांश नए जानवरों की खोज दक्षिणी भारत से की गई। केरल 101 प्रजातियों के साथ सूची में सबसे ऊपर है, उसके बाद पश्चिम बंगाल 72 नई प्रजातियों के साथ दूसरे और तमिलनाडु 64 के साथ तीसरे स्थान पर है।
    • नए जंगली पौधे: पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 52 नए पौधों की खोज की गई, उसके बाद केरल और उत्तराखंड का स्थान है।

‘फौना ऑफ इंडिया’ चेकलिस्ट पोर्टल का महत्त्व

व्यापक जीव-जंतु चेकलिस्ट कई कारणों से महत्त्वपूर्ण है: 

  • संरक्षण और सुरक्षा: भारत में सभी ज्ञात पशु प्रजातियों का दस्तावेजीकरण करके, यह सूची जैव विविधता में परिवर्तनों को ट्रैक करने और लक्षित संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता वाली संकटग्रस्त या लुप्तप्राय प्रजातियों की पहचान करने के लिए एक आधार रेखा प्रदान करती है।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान: भारत के जीवों की विस्तृत सूची वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं के लिए देश की समृद्ध पारिस्थितिक विविधता को बेहतर ढंग से समझने तथा प्राकृतिक संसाधनों के सतत् प्रबंधन के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए एक अमूल्य संसाधन के रूप में काम करेगी।
  • अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व: चूँकि भारत अपने संपूर्ण जीवों की ऐसी व्यापक राष्ट्रीय-स्तरीय चेकलिस्ट तैयार करने वाला दुनिया का पहला देश है, इसलिए यह भारत को जैव विविधता दस्तावेजीकरण और संरक्षण में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करता है, जो अन्य देशों के अनुसरण करने के लिए एक उदाहरण स्थापित करता है।
  • नीति और नियोजन को सूचित करना: यह सरकार को पूरे भारत में वन्यजीव संरक्षण, आवास संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन के लिए अधिक प्रभावी नीतियों और कार्यक्रमों को विकसित करने में मदद करेगा।
    • यह वर्गीकरण वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, संरक्षण प्रबंधकों और नीति निर्माताओं के लिए एक अमूल्य संदर्भ के रूप में काम करेगा।

जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा की गईं पहल

भारत की परंपरा, लोकाचार और मूल्य प्रकृति का सम्मान करते हैं और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देते हैं।

  • ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम
  • प्रधानमंत्री का मिशन लाइफ
  • भारत व्यापार और जैव विविधता पहल (IBBI)
  • आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम 2010
  • जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय योजना
  • वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की स्थापना
  • ग्लोबल टाइगर इनिशिएटिव (GTI)
  • हाथियों की अवैध हत्या की निगरानी (MIKE)

जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक पहल: 

जैव विविधता की रक्षा के लिए विभिन्न वैश्विक कदम उठाए गए हैं, उनमें से कुछ का उल्लेख नीचे किया गया है:

  • नागोया प्रोटोकॉल
  • वन्य जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन
  • वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर
  • इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस
  • रीसाइकिल इकोनॉमी पर जोर: इसका अर्थ है कि हम प्रकृति से जो कुछ भी लेते हैं, उसे प्राचीन, शुद्ध रूप में वापस करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
    • यह उत्पादन और उपभोग का एक मॉडल है, जिसमें मौजूदा सामग्रियों और उत्पादों को यथासंभव साझा करना, किराए पर देना, पुनः उपयोग करना, मरम्मत करना, नवीनीकरण करना और पुनर्चक्रण करना शामिल है। इसका तात्पर्य है कि अपशिष्ट को न्यूनतम स्तर तक कम करना।

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण

यह पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन एक अधीनस्थ संगठन है और इसकी स्थापना वर्ष 1916 में हुई थी।

  • यह एक राष्ट्रीय जीव-जंतु सर्वेक्षण केंद्र के रूप में कार्य करता है, जो भारत के विविध जीव-जंतुओं के बारे में ज्ञान को आगे बढ़ाता है। 
  • मुख्यालय: कोलकाता
    • देश भर में इसके 16 क्षेत्रीय स्टेशन हैं।

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण

यह देश के वन्य पादप संसाधनों पर वर्गीकरण और पुष्पविज्ञान संबंधी अध्ययन करने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अंतर्गत शीर्ष अनुसंधान संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1890 में हुई थी।

  • मुख्यालय: कोलकाता
    • देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसके नौ क्षेत्रीय मंडल स्थित हैं।

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