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डायर वुल्फ (Dire Wolf) का डी-एक्सटिंक्शन

Lokesh Pal April 10, 2025 03:21 39 0

संदर्भ

हाल ही में, अमेरिका स्थित कंपनी कोलोसल बायोसाइंसेज (Colossal Biosciences) ने तीन आनुवंशिक रूप से संशोधित भेड़ियों के जन्म की घोषणा की और दावा किया कि वे विलुप्त हो चुके डायर वुल्फ की ‘कार्यात्मक प्रतिकृतियाँ’’ हैं।

संबंधित तथ्य

  • रोमुलस (Romulus), रेमस (Remus) और खलेसी (Khaleesi) नामक भेड़ियों का जन्म मादा कुतिया द्वारा सरोगेसी के माध्यम से हुआ है।

डायर वुल्फ के बारे में

  • डायर वुल्फ [एनोसियन डायरस (Aenocyon Dirus)] एक अत्यधिक, शक्तिशाली कैनाइन (Canine) था जो उत्तरी अमेरिका में पाया जाता था और लगभग 13,000 वर्ष पहले विलुप्त हो गया था।
  • यह वर्तमान ‘ग्रे वुल्फ’ से भी बड़ा था।
  • वे घोड़ों, बाइसन और संभवतः मैमथ जैसे बड़े स्तनधारियों का शिकार करते थे।

डी-एक्सटिंक्शन के बारे में

  • ‘डी-एक्सटिंक्शन’ का अर्थ उन्नत आनुवंशिक तकनीकों का उपयोग करके विलुप्त प्रजातियों को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया है। 
    • इसका उद्देश्य नष्ट हो चुकी जैव विविधता को पुनर्स्थापित करना और पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुद्धार करना है।

‘डी-एक्सटिंक्शन’ के उपाय

  • क्लोनिंग: इस विधि में विलुप्त जानवरों की संरक्षित कोशिकाओं का उपयोग आनुवंशिक रूप से समान प्रतिकृति को बनाने के लिए किया जाता है, जैसा कि पाइरेनियन आइबेक्स (Pyrenean ibex) को क्लोन करने के प्रयासों में देखा गया है।
  • चयनात्मक प्रजनन: विलुप्त प्रजातियों के समान लक्षणों वाली जीवित प्रजातियों का प्रजनन करके, वैज्ञानिकों का लक्ष्य मूल प्रजातियों से मिलते-जुलते जानवरों को पुनः उत्पन्न करना है, जैसे कि ऑरोच (Aurochs) का प्रजनन करना।
  • आनुवंशिक इंजीनियरिंग: वैज्ञानिक विलुप्त प्रजातियों के जीन को शामिल करने के लिए संबंधित जीवित प्रजाति के DNA को संपादित करते हैं, जैसा कि एशियाई हाथी के DNA का उपयोग करके वूली मैमथ (Woolly Mammoth) को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में किया गया था।

‘डी-एक्सटिंक्शन’ प्रक्रिया में प्रयुक्त प्रौद्योगिकियाँ

  • प्राचीन DNA रिकवरी: वैज्ञानिकों ने डायर वुल्फ के नमूने प्राप्त किए, जिसमें 13,000 वर्ष पुराना दाँत और 72,000 वर्ष पुराना करोटि (मष्तिष्क) शामिल है।
    • DNA को पेट्रस (आंतरिक कान) की हड्डी से निकाला गया, जिसे आनुवंशिक सामग्री को अच्छी तरह से संरक्षित करने के लिए जाना जाता है।
  • जीनोम अनुक्रमण (Genome Sequencing)
    • शोधकर्ताओं ने दो पूर्ण डायर वुल्फ जीनोम का पुनर्निर्माण किया।
    • उन्होंने इनकी तुलना ग्रे वुल्फ, काइओट (Coyotes), सियार एवं ढोल जैसे अन्य कैनिड्स से की।
    • यह पुष्टि की गई कि ग्रे वुल्फ अपने DNA का 99.5% डायर वुल्फ के साथ साझा करते हैं।
  • जीन एडिटिंग: वैज्ञानिकों ने ग्रे वुल्फ जीनोम में 20 लक्षित आनुवंशिक संपादन किए।
    • 14 जीनों को विशेष रूप से प्रमुख ‘डायर वुल्फ’ के लक्षणों को पुन: उत्पन्न करने के लिए संशोधित किया गया था, जैसे:-
      • हल्के रंग का आवरण
      • आवरण की लंबाई एवं पैटर्न
      • शरीर का बढ़ा हुआ आकार
      • मजबूत माँसपेशियाँ
  • भ्रूण प्रत्यारोपण: निषेचित, जीन-संपादित अंडजों को सरोगेट कुतिया में प्रत्यारोपित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप तीन आनुवंशिक रूप से संशोधित भेड़ियों का सफलतापूर्वक जन्म हुआ।

क्या वे सचमुच खूंखार भेड़िये हैं?

  • आनुवंशिक एडिटिंग के बावजूद, नए भेड़िये मूल ‘डायर वुल्फ’ के समान नहीं हैं।
  • वर्ष 2021 के नेचर अध्ययन के अनुसार, डायर वुल्फ और ग्रे वुल्फ लगभग 6 मिलियन वर्ष पहले अलग हो गए थे, जिससे वे दिखने के बावजूद लगभग सामान प्रजाति बन गए।
  • कोलोसल मॉर्फोलॉजिकल प्रजाति (Morphological Species) अवधारणा को लागू कर रहा है, जिसका अर्थ है कि यदि कोई जानवर ‘डायर वुल्फ’ जैसा दिखता है, तो उसे एक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
    • हालाँकि, दोनों प्रजातियों के बीच लाखों आधार-युग्म अंतर अभी भी मौजूद हैं।

डी-एक्सटिंक्शन का महत्त्व

  • वैज्ञानिक उपलब्धि: यह जीनोम इंजीनियरिंग के माध्यम से विलुप्त पशु प्रजातियों को वापस लाने का पहला प्रयास है।
  • पारिस्थितिकी प्रभाव: यदि सफल रहा, तो डायर वुल्फ खोए हुए पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्स्थापित करने में भूमिका निभा सकते हैं।
  • तकनीकी उन्नति: जीनोम अनुक्रमण, जीन एडिटिंग और प्राचीन डीएनए पुनर्प्राप्ति में प्रगति को दर्शाता है।

वर्तमान सीमाएँ

  • इन भेड़ियों के बच्चों में प्राकृतिक सामाजिक व्यवहार नहीं होगा, क्योंकि इनका पालन-पोषण मादा-नर या समूह के बिना हुआ।
  • उन्हें प्रजनन की अनुमति नहीं है, और कोलोसल की योजना केवल कुछ और प्रतिकृति बनाने की है।
  • इस प्रकार, एक आत्मनिर्भर ‘डायर वुल्फ’ आबादी अभी तक हासिल नहीं हुई है।
  • यह प्रजातियों के वर्गीकरण, पशु कल्याण और इंजीनियर्ड प्रजातियों को पुनः प्रस्तुत करने के जोखिमों के बारे में चर्चा भी शुरू करता है।

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