प्रत्येक वर्ष 3 अप्रैल को मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्य तिथि मनाई जाती है।
छत्रपति शिवाजी महाराज
परिचय
जन्म: 19 फरवरी, 1630 को वर्तमान महाराष्ट्र राज्य में पुणे जिले के शिवनेरी किले में हुआ था।
उनके पिता एक मराठा सेनापति शाहजी भोंसले थे।
उनकी माता जीजाबाई, एक धर्मपरायण महिला थीं, जिनके धार्मिक गुणों का उन पर गहरा प्रभाव था।
प्रारंभिक जीवन
वर्ष 1645 में किशोरावस्था में ही इन्होंने बीजापुर के अधीन तोरण के किले पर सफलतापूर्वक नियंत्रण प्राप्त कर लिया।
इन्होंने कोंडाना किले पर भी अधिकार किया। ये दोनों किले बीजापुर के आदिल शाह के अधीन थे।
छत्रपति शिवाजी द्वारा लड़े गए महत्त्वपूर्ण युद्ध
प्रतापगढ़ का युद्ध, 1659
यह युद्ध मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलशाही सेनापति अफजल खान की सेनाओं के मध्य महाराष्ट्र के सतारा शहर के पास प्रतापगढ़ के किले में लड़ा गया था।
पवन खिंड का युद्ध, 1660
यह युद्ध मराठा सरदार बाजी प्रभु देशपांडे और आदिलशाही के सिद्दी मसूद के बीच महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर के पास (विशालगढ़ किले के आसपास) एक पहाड़ी दर्रे पर लड़ा गया।
सूरत का युद्ध, 1664
यह युद्ध गुजरात के सूरत शहर के पास छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल कप्तान इनायत खान के बीच लड़ा गया।
पुरंदर का युद्ध, 1665
यह युद्ध मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया।
सिंहगढ़ का युद्ध, 1670
यह युद्ध महाराष्ट्र के पुणे शहर के पास सिंहगढ़ के किले पर मराठा शासक शिवाजी महाराज के सेनापति तानाजी मालुसरे और जय सिंह प्रथम के अधीन उदयभान राठौड़, जो मुगल सेना प्रमुख थे, के बीच लड़ा गया।
कल्याण का युद्ध, 1682-83
इस युद्ध में मुगल साम्राज्य के बहादुर खान ने मराठा सेना को पराजित कर कल्याण पर अधिकार कर लिया।
संगमनेर का युद्ध, 1679
यह युद्ध मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया।
यह अंतिम युद्ध था, जिसमें मराठा राजा शिवाजी लड़े थे।
शिवाजी ने वर्ष 1659 में पुणे में शाइस्ता खान (औरंगज़ेब के मामा) और बीजापुर की एक बड़ी सेना को हराया।
शिवाजी ने वर्ष 1664 में सूरत के मुगल व्यापारिक बंदरगाह को अपने अधिकार में ले लिया।
जून 1665 में शिवाजी और राजा जय सिंह प्रथम के बीच पुरंदर की संधि (Treaty of Purandar) पर हस्ताक्षर किये गए।
उपाधि
शिवाजी का 6 जून, 1674 को रायगढ़ में मराठों के राजा के रूप में राज्याभिषेक किया गया।
इन्होंने छत्रपति, क्षत्रिय कुलवंत और हैंदव धर्मोद्धारक की उपाधि धारण की थी।
मृत्यु
3 अप्रैल, 1680 को इनकी मृत्यु हो गई।
शिवाजी का प्रशासन
इनके अधिकांश प्रशासनिक सुधार अहमदनगर में मलिक अंबर के सुधारों से प्रेरित थे।
अष्टप्रधान: राजा राज्य का सर्वोच्च प्रमुख होता था, जिसे ‘अष्टप्रधान’ के नाम से जाना जाने वाले आठ मंत्रियों के एक समूह द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी।
पेशवा, जिसे मुख्य प्रधान के रूप में भी जाना जाता है, मूल रूप से राजा शिवाजी की सलाहकार परिषद का नेतृत्व करता था।
चौथ और सरदेशमुखी आय के स्रोत थे।
चौथ कुल राजस्व का 1/4 भाग था, जिसे गैर-मराठा क्षेत्रों से मराठा आक्रमण से बचने के बदले में वसूला जाता था।
यह आय का 10 प्रतिशत होता था, जो अतिरिक्त कर के रूप में होता था।
सैन्य प्रशासन
एक अनुशासित और कुशल सेना का गठन किया।
सामान्य सैनिकों को नकद में भुगतान किया जाता था, लेकिन प्रमुख और सैन्य कमांडर को जागीर अनुदान (सरंजम या मोकासा) के माध्यम से भुगतान किया जाता था।
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